₹85-हजार के आईफोन की कीमत ₹2.5 लाख हो सकती है:ट्रम्प ने कहा था- नहीं चाहता एपल प्रोडक्ट भारत में बनें, अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ाएं
अगर एपल अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस भारत या चीन से अमेरिका में शिफ्ट करता है, तो एक आईफोन की कीमत 1,000 डॉलर से बढ़कर 3,000 डॉलर तक हो सकती है। इसे रुपए में बदले तो आईफोन की कीमत करीब 85 हजार रुपए से बढ़कर करीब 2.50 लाख रुपए हो जाएगी। एक दिन पहले यानी, 16 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कतर की राजधानी दोहा में बताया था कि उन्होंने एपल के CEO टिम कुक से कहा है कि भारत में फैक्ट्रियां लगाने की जरूरत नहीं है। वो नहीं चाहते कि एपल के प्रोडक्ट वहां बनाएं जाए। चार पॉइंट में जानें आईफोन की कॉस्ट कैसे बढ़ेगी? लेबर कॉस्ट: फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में एपल असेंबली वर्कर्स को औसतन 290 डॉलर (करीब 25,000 रुपए) प्रति माह देता है। यू.एस. न्यूनतम वेतन कानून के तहत यह बढ़कर 2900 डॉलर (करीब 2.5 लाख रुपए) हो जाएगा। यानी, ये कॉस्ट 13 गुना बढ़ जाएगी। इंफ्रा की कमी: अमेरिका में आईफोन प्रोडक्शन के लिए स्पेशलाइज्ड सप्लाई चेन और स्किल्ड लेबर फोर्स की कमी है। इसके अलावा नई मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज बनाने से लागत बढ़ेगी। इसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है। भारत मैन्युफैक्चरिंग में PLI स्कीम के जरिए इंसेंटिव भी देता है। कंपोनेंट सोर्सिंग कॉस्ट: कई आईफोन कंपोनेंट एशिया (जैसे, चीन) से सोर्स किए जाते हैं। पास होने की वजह से भारत में भेजने की लॉजिस्टिक कॉस्ट कम है। वहीं अगर इसे अमेरिका में सप्लाई किया जाएगा तो लॉजिस्टिक कॉस्ट बढ़ जाएगी। असेंबलिंग कॉस्ट: एक डिवाइस को असेंबल करने की लागत 30 डॉलर (करीब 2500) से बढ़कर 390 डॉलर (करीब 33,000 रुपए) प्रति डिवाइस हो जाएगी। प्रति डिवाइस मुनाफा 450 डॉलर (38,000 रुपए) से घटकर 60 डॉलर (करीब 5,000 रुपए) रह जाएगा। इसका सीधा असर अमेरिकी खरीदारों पर पड़ेगा। एक्सपर्ट ने कहा- भारत से बाहर जाने से एपल को वित्तीय नुकसान होगा भारत में 60 हजार तो चीन में 3 लाख लोगों को रोजगार देता है एपल अमेरिका में लगभग 1,000 डॉलर (करीब 85 हजार रुपए) में बिकने वाले आईफोन पर भारत और चीन में मैन्युफैक्चरर्स को प्रति डिवाइस मात्र 30 डॉलर (करीब 2500) मिलते हैं। ये डिवाइस की लागत का 3% से भी कम है, लेकिन इससे रोजगार जनरेट होता है। चीन में लगभग 3 लाख कर्मचारी और भारत में 60,000 कर्मचारी इन इकाइयों में काम करते हैं। यही कारण है कि ट्रम्प चाहते हैं कि एपल अपनी मैन्युफैक्चरिंग अमेरिका में शिफ्ट करे। मार्च-24 से मार्च-25 में 60% बढ़ा आईफोन प्रोडक्शन मार्च 2024 से मार्च 2025 तक एपल ने भारत में 22 बिलियन डॉलर (करीब ₹1.88 लाख करोड़) वैल्यू के आईफोन बनाए। पिछले साल की तुलना में इसमें 60% की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान एपल ने भारत से 17.4 बिलियन डॉलर (करीब ₹1.49 लाख करोड़) वैल्यू के आईफोन एक्सपोर्ट किए। वहीं, दुनियाभर में हर 5 में से एक आईफोन अब भारत में बन रहा है। भारत में आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग तमिलनाडु और कर्नाटक की फैक्ट्रियों में की जाती है। इसमें सबसे ज्यादा उत्पादन फॉक्सकॉन करता है। फॉक्सकॉन एपल का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर है। इसके अलावा टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पेगाट्रॉन भी मैन्युफैक्चरिंग करते हैं।

₹85-हजार के आईफोन की कीमत ₹2.5 लाख हो सकती है: ट्रम्प ने कहा था- नहीं चाहता एपल प्रोडक्ट भारत में बनें, अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ाएं
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लेखक: सृष्टि कुमारी, ज्योति सहगल, टीम इंडियाTwoday
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि एपल के CEO टिम कुक से बातचीत के दौरान, उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें भारत में एपल उत्पादों का निर्माण नहीं करना चाहिए। अगर एपल अपनी मैन्युफैक्चरिंग अमेरिका में शिफ्ट करता है, तो आईफोन की कीमत ₹85,000 से बढ़कर ₹2.5 लाख तक जा सकती है।
आईफोन की कीमत में संभावित वृद्धि
ट्रम्प के इस बयान के बाद, एफेक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अगर एपल अमेरिका में अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस स्थापित करता है, तो आईफोन की लागत में भारी वृद्धि हो सकती है। एक आईफोन की कीमत 1,000 डॉलर (लगभग ₹85,000) से बढ़कर 3,000 डॉलर (लगभग ₹2.5 लाख) तक पहुँच सकती है। ऐसा होने पर यह उपभोक्ताओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा और एप्पल के बाजार में प्रतिस्पर्धा को भी प्रभावित कर सकता है।
कॉस्ट बढ़ने के चार मुख्य कारण
यहाँ पर हम आईफोन की लागत बढ़ने के चार प्रमुख कारणों पर चर्चा करेंगे:
- लेबर कॉस्ट: भारत में एपल अपने असेंबली कर्मचारियों को $290 (लगभग ₹25,000) प्रति माह देता है, वहीं अमेरिका में यह बढ़कर $2,900 (लगभग ₹2.5 लाख) हो जाएगा। यह लागत 13 गुना बढ़ जाएगी।
- इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी: अमेरिका में स्पेशलाइज्ड सप्लाई चेन और कुशल श्रम की कमी है। नई फैक्ट्रियों की स्थापना करने पर अतिरिक्त लागत लग सकती है, जो अंततः उपभोक्ताओं पर डाली जाएगी।
- कंपोनेंट सोर्सिंग कॉस्ट: अधिकांश आईफोन के कंपोनेंट एशिया से आयात किए जाते हैं। अगर इनकी आपूर्ति अमेरिका में होगी, तो लॉजिस्टिक को लेकर भी लागत में वृद्धि होगी।
- असेंबलिंग कॉस्ट: एक डिवाइस की असेंबली लागत $30 (लगभग ₹2,500) से बढ़कर $390 (लगभग ₹33,000) हो जाएगी। इससे मुनाफा भी कम होकर $60 (लगभग ₹5,000) रह जाएगा।
भारत में मैन्युफैक्चरिंग का महत्व
एक्सपर्ट्स का मानना है कि एपल अगर भारत से बाहर जाएगा, तो उसे वित्तीय नुक्सान उठाना पड़ सकता है। वर्तमान में भारत में साठ हजार और चीन में तीन लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। भारत में आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग तमिलनाडु और कर्नाटक की फैक्ट्रियों में की जाती है, जिनमें फॉक्सकॉन, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पेगाट्रॉन प्रमुख हैं।
आईफोन उत्पादन में बढ़ोतरी
मार्च 2024 से मार्च 2025 के बीच, एपल ने भारत में 22 बिलियन डॉलर (लगभग ₹1.88 लाख करोड़) के आईफोन बनाए। यह पिछले साल की तुलना में 60% की वृद्धि है। इस दौरान एपल ने भारत से 17.4 बिलियन डॉलर (लगभग ₹1.49 लाख करोड़) के आईफोन का निर्यात भी किया।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रम्प का बयान और एपल की मैन्युफैक्चरिंग नीति का असर भारत और अमेरिका दोनों देशों पर पड़ेगा। यदि एपल अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लेता है, तो उपभोक्ताओं को महंगे आईफोन खरीदने होंगे, जबकि रोजगार के अवसर भी प्रभावित हो सकते हैं। यह स्थिति न केवल एपल के लिए बल्कि पूरी तकनीकी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है।
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