भारत बोला- बांग्लादेश बंगाल हिंसा पर बयानबाजी न करे:अपने यहां अल्पसंख्यकों की रक्षा पर ध्यान दे; वहां नरसंहार हो रहा, अपराधी खुले घूम रहे
भारत ने बंगाल हिंसा पर बयानबाजी कर रहे बांग्लादेश से कहा है कि वह भारत के मसलों में दखल देने की बजाय अपने यहां अल्पसंख्यकों की रक्षा पर फोकस करे। दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी ने कहा था कि भारत को उन अल्पसंख्यक मुस्लिमों की रक्षा करनी चाहिए, जो पिछले हफ्ते बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा से प्रभावित हुए हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया कि इस हिंसा को भड़काने में बांग्लादेश का हाथ है। भारत ने शुक्रवार को इस बयान का कड़ा विरोध किया है। भारत ने कहा कि बांग्लादेश का यह बयान धूर्तता और कपट से भरा है। वह अपने यहां अल्पसंख्यकों के नरसंहार से ध्यान भटकाना चाहता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, पश्चिम बंगाल में हुई घटनाओं को लेकर बांग्लादेश की ओर से की गई टिप्पणियों को हम खारिज करते हैं। बांग्लादेश इस तरह के बयान दे रहा है, जबकि वहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वाले अपराधी आजाद घूम रहे हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर इस साल 72 हमले बांग्लादेश में बीते कुछ समय से अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ गए हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले महीने संसद में बताया था कि 2024 में बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल शुरू होने के बाद अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न की 2400 घटनाएं हुई। इस साल अब तक ऐसी 72 घटनाएं हो चुकी हैं। पश्चिम बंगाल में 8 अप्रैल से भड़की हिंसा 8 अप्रैल को भारत में वक्फ संशोधन कानून लागू हुआ। इसके विरोध में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में 8 अप्रैल की शाम को हिंसा भड़क गई है। प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों में आग लगा दी है। इसमें पुलिस की गाड़ियां भी शामिल थीं। प्रदर्शनकारियों से झड़प में कई पुलिसकर्मी घायल हुए। वक्फ कानून के विरोध में मुर्शिदाबाद में मुस्लिम संगठन प्रदर्शन कर रहा था। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंके। पुलिस ने उन्हें खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। भीड़ हिंसक हो गई। लोगों ने पुलिस के वाहन और अन्य वाहनों में आग लगी दी। अगस्त 2024 से दिसंबर 2024 के बीच बांग्लादेश में 32 हिंदुओं की जान गई 5 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश में लंबे छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ था। हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके साथ ही बांग्लादेश में हालात बिगड़ गए। पुलिस रातों-रात अंडरग्राउंड हो गई। लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त हो गया। बेकाबू भीड़ के निशाने पर सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक, खासतौर पर हिंदू आए। बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां सांप्रदायिक हिंसा में 32 हिंदुओं की जान चली गई। रेप और महिलाओं से उत्पीड़न के 13 केस सामने आए। करीब 133 मंदिर हमलों का शिकार हुए। ये घटनाएं 4 अगस्त 2024 से 31 दिसंबर 2024 के बीच हुईं। काउंसिल के मुताबिक, तख्तापलट के बाद महज 15 दिनों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की 2010 घटनाएं हुईं। 11 जनवरी 2025 को बांग्लादेश सरकार ने इनमें से 1769 केस कन्फर्म किए। इनमें से 1415 मामलों में जांच पूरी हो चुकी है। 354 मामलों का रिव्यू किया जा रहा है। बांग्लादेश सरकार ने इन हमलों के मामलों में 10 दिसंबर तक 70 लोगों को कस्टडी में लिया। वहीं, कुल 88 केस दर्ज किए। ------------------------------------------- बांग्लादेश-भारत संबंधों से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... बांग्लादेश को भारी नुकसान, एक्सपोर्ट लागत बढ़ेगी:भारत ने रद्द की ट्रांस-शिपमेंट सुविधा, बांग्लादेशी अंतरिम PM के चीन में दिए विवादित बयान का असर भारत ने बांग्लादेश को दी जानी वाली माल ट्रांसफर फैसिलिटी (ट्रांस-शिपमेंट सुविधा) वापस ले ली है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने 8 अप्रैल को सर्कुलर जारी कर इस फैसले के बारे में बताया। 2020 से जारी इस व्यवस्था के अंतर्गत बांग्लादेश को भारतीय कस्टम स्टेशनों के जरिए अपने एक्सपोर्ट्स कार्गो को तीसरे देशों में बंदरगाहों और एयरपोर्ट तक भेजने की परमिशन थी। पूरी खबर यहां पढ़ें... बांग्लादेश की यूनुस सरकार का भारत विरोधी एजेंडा सामने आया:चीन को कोलकाता के पास पोर्ट सौंपा, पाकिस्तान के साथ मिलकर एयरबेस बना रहा बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ. मोहम्मद यूनुस का भारत विरोधी रवैया जारी है। BIMSTEC समिट में पीएम मोदी से मुलाकात के बाद भी यूनुस सरकार ने चीन और पाकिस्तान को रणनीतिक जगहों पर अहम प्रोजेक्ट सौंप दिए हैं। इनमें एक पोर्ट और एक एयरबेस शामिल है। पूरी खबर यहां पढ़ें...

भारत बोला- बांग्लादेश बंगाल हिंसा पर बयानबाजी न करे
भारत ने बांग्लादेश से स्पष्ट किया है कि उसे अपने देश में जारी हिंसा पर बयानबाजी करने के बजाय अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भारत ने यह टिप्पणी बांग्लादेश में हाल ही में हुए घटनाक्रमों को लेकर की है जहां हिंसा और नरसंहार की खबरें मिली हैं। भारत का मानना है कि ऐसी स्थिति में बाहर से टिप्पणी करने के बजाय बांग्लादेश को अपने देश में हो रही समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय विशेषकर हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदाय लगातार उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। हाल की घटनाओं में इन समुदायों के खिलाफ हुई हिंसा और हमलों ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। बांग्लादेश से आ रही रिपोर्ट्स ने यह स्पष्ट किया है कि अपराधी घटनाओं के बाद भी खुले घूम रहे हैं। ऐसे में भारत का यह निवेदन बांग्लादेश के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि उसे अपने यहां के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।
भारत का दृष्टिकोण
भारत ने हमेशा से अपने पड़ोसी देशों के साथ संयम और सहयोग की नीति अपनाई है। लेकिन जब बात अपने अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा की आती है, तो भारत पूरी तरह से सतर्क रहता है। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह बांग्लादेश को मानवाधिकारों की रक्षा के लिए और अधिक जिम्मेदार तरीके से आगे बढ़ने की जरूरत है। इसके साथ ही भारत ने यह भी उल्लेख किया है कि दुनिया को ऐसे घटनाक्रमों पर ध्यान देना चाहिए जो मानवता के खिलाफ हैं।
समाज और राजनीति पर प्रभाव
बांग्लादेश में घटी हिंसा न केवल एक राजनीतिक मुद्दा है, बल्कि यह समाज में भी गहरा प्रभाव डाल रही है। इससे दोनों देशों के बीच के रिश्तों में तनाव उत्पन्न हो सकता है। भारत की यह सलाह बांग्लादेश को सुरक्षित और सामंजस्यपूर्ण माहौल बनाने के लिए प्रेरित करती है। दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों के लिए जरूरी है कि बांग्लादेश अपने यहां हो रहे नरसंहारों और हिंसक घटनाओं का समापन करे।
इस तरह की बयानबाजी संवेदनशीलता का उदाहरण है और इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि मानवता के दृष्टिकोण से देखना चाहिए। बांग्लादेश को अपने आंतरिक मुद्दों का समाधान करना चाहिए, ताकि स्थिति में सुधार हो सके और क्षेत्र में शांति बनी रहे।
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