भीख मांगने वाले 78 बच्चे योगी को सलामी देंगे:लखनऊ में सालभर पहले चौराहों पर पैसे मांगते थे; बोले- जो भगाते थे, वही अब ताली बजा रहे
लखनऊ में 78 बच्चे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सीएम योगी को सलामी देंगे। ये बच्चे साल भर पहले तक सड़क किनारे, चौराहों, मंदिरों और मॉल के सामने भीख मांगते थे, लेकिन अब इनकी जिंदगी बदल चुकी है। बच्चे 26 जनवरी की परेड की रिहर्सल कर रहे हैं। बच्चों की आंखों में IAS, डॉक्टर और कमांडो बनने के सपने हैं। बच्चे कहते हैं कि जो पहले पैसे मांगने पर गाली देकर भगा देते थे, आज वही लोग ताली बजा रहे हैं। दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने बच्चों से बात की। इस दौरान बच्चों ने भी अपनी पढ़ाई और भविष्य के सपनों को लेकर खुलकर बात की। पहले देखते हैं बच्चों के 26 जनवरी परेड रिहर्सल की दो तस्वीरें... अब पढ़ें बच्चों की जुबानी, उन्हीं की कहानी.. जिसके पास जाती डांट कर भगा देते माही भीख मांगना छोड़ चुकी हैं। अब वह सेकेंड क्लास की स्टूडेंट हैं। माही कहती हैं- 'पहले जो लोग हमें भगा दिया करते थे अब वही लोग हमारे लिए तालियां बजा रहे हैं। हमारे जीवन में बदलाव आया है। हम चाहते हैं कि दूसरे बच्चे भी भीख मांगना छोड़ दें। हमारी तरह जिंदगी जिएं। मैं बड़ी होकर डॉक्टर बनकर लोगों की मदद करना चाहती हूं। एक साल पहले तक मैं जनेश्वर पार्क, लुलु मॉल के पास भीख मांगती थी। जिसके पास जाती डांट कर भगा देते। कहते भीख मांगने के अलावा तुम्हारे पास और कोई काम नहीं। यह सुनकर हमें बुरा लगता था। मैं सोचती थी कि हमारे साथ ऐसा बर्ताव क्यों होता है।' जो पहले डांटते थे, अब वही बजा रहे ताली नगराम के रहने वाले साजन एक साल पहले हजरतगंज और बर्लिंगटन चौराहे पर भीख मांगते थे। एक साल पहले के दिनों याद करते हुए साजन की आंखें भर आती हैं। वह कहते हैं- पहले लोग डांटते और मरते थे। अब हमारी जिंदगी बदल रही है। जो लोग गाली देते थे अब वह ताली बजा रहे। राज्यपाल से मिलना दूर जानते तक नहीं थे परेड में रिहर्सल करती हुई खुशी ने बताया- भीख मांगना अच्छा नहीं लगता था, फिर भी मांगना पड़ता था। अब हमने यह काम छोड़ दिया है। हमारी मुलाकात राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से भी हुई है। राज भवन देखकर बहुत अच्छा लगा। अब तक टीवी में देखा, पहली बार सीएम को सामने से देखूंगी सांस्कृतिक टीम में शामिल सुनैना ने बताया कि वह पांचवी क्लास में पढ़ रही हैं। बचपन से ही भीख मांगने के लिए उसे छोड़ दिया गया था। मगर कुछ साल पहले उसकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया। भीख मांगना छोड़कर किताबें उठा ली और पढ़ाई कर रही हूं। दो ग्रुपों में बच्चे देंगे परफॉर्मेंस 26 जनवरी की परेड में शामिल होने के लिए इन बच्चों को 'उम्मीद संस्था' द्वारा तैयार किया गया है। बच्चों का दो ग्रुप है। पहले ग्रुप में 41 बच्चे हैं, ये सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। दूसरे ग्रुप में 37 बच्चे हैं, ये ब्रास बैंड के साथ नजर आएंगे। मुश्किल था बच्चों के माता-पिता को समझाना उम्मीद संस्था की अध्यक्ष आराधना कहती हैं कि शुरुआत में जब इन बच्चों से बात करने जाती तो ये डर कर भाग जाते। ये खौफ में थे कि कहीं पुलिस के हवाले न कर दें। माता-पिता को समझाने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा। बस्तियां में पहुंचकर इनके माता-पिता को समझाई। काम मुश्किल था लेकिन अब सफलता मिल गई है। इन बच्चों में 5 बच्चे ऐसे हैं जो क्राइस्ट चर्च स्कूल में पढ़ रहे हैं। यह अपने आप में सफलता है। क्योंकि जिस कॉन्वेंट स्कूल में आम आदमी के बच्चों को एडमिशन नहीं मिलता वहां भीख मांगने वाले बच्चे पढ़ रहे हैं। हमारा प्रयास है कि कोई भी बच्चा भीख न मांगे। इसलिए इन बच्चों को पढ़ा-लिखा कर इतना आत्मनिर्भर बना रहे कि अन्य भीख मांगने वाले बच्चों की ये मदद कर सकें। ...................................................... यह खबर भी पढ़ें.... ग्राउंड रिपोर्ट: लखनऊ में भिखारी 80 हजार रुपए महीना कमा रहे:दिवाली पर 1 हजार भिखारी दूसरे जिलों से आए, परिवार 1 दिन में 5 हजार कमा रहा दिवाली पर 1000 से अधिक भिखारी लखनऊ पहुंचे हैं। ये सभी भिखारी लखनऊ से 50-150 किलोमीटर की दूरी वाले जिलों से आए हुए हैं। त्योहार के दौरान चौराहों पर भीख मांगने में परहेज कर रहे हैं। लेकिन बाजार और मिठाई की दुकानों के आगे इनका जमावड़ा है। महिलाएं और बच्चे अधिक संख्या में भीख मांगते दिखाई दे रहे हैं। ये भिखारी लखपति हैं, समाज कल्याण विभाग और डूडा के सर्वे के मुताबिक 5315 भिखारी लखनऊ में मिले हैं। इन भिखारियों को लोग करीब 63 लाख रुपए दिन में देते हैं, जबकि त्योहार के दौरान यह आंकड़ा 1 करोड़ के ऊपर पहुंच जाता है। वहीं, भिखारियों की संख्या भी 6 हजार 300 को पार कर जाती है। दैनिक भास्कर ने लखनऊ के प्रमुख चौराहों और दुकानों की पड़ताल की। इसमें कई चौंकाने वाली बात सामने आई। सीतापुर, हरदोई, बाराबंकी, रायबरेली से दीपावली के दौरान भीख मांगने के लिए महिलाएं और बच्चे लखनऊ पहुंचे हैं। मुंशी पुलिया, टेढी पुलिया, पत्रकार पुरम और हजरतगंज चौराहे सहित पुराने लखनऊ में भारी संख्या में भिखारी दिखाई दिए। इस दौरान भिखारियों ने हिडन कैमरे पर कमाई की बात को कबूल किया है। जानिए कमाई की गणित...

भीख मांगने वाले 78 बच्चे योगी को सलामी देंगे
लखनऊ में एक अद्वितीय घटना होने जा रही है, जहां 78 बच्चे जो पहले चौराहों पर भीख मांगने की आदत में थे, अब वे योगी आदित्यनाथ को सलामी देने के लिए तैयार हैं। यह घटना उस समय की है, जब एक साल पहले ये बच्चे अपने जीवन की कठिनाइयों से जूझते हुए चौराहों पर पैसे मांगते थे। इस प्रक्रिया में उनके जीवन में कई कठिनाइयाँ आईं, लेकिन अब वे अपने हालात से बाहर निकलने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
बच्चों की मेहनत और बदलाव की कहानी
इन बच्चों ने अपने जीवन में जो बदलाव लाया है, वह वास्तव में प्रेरणादायक है। पहले जो लोग इन बच्चों को भगाते थे, वही अब उनकी मेहनत और संघर्ष की सराहना कर रहे हैं। ये बच्चे अब आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ रहे हैं और देश के नेताओं के सामने अपने आत्मविश्वास को प्रदर्शित करने के लिए तैयार हैं। यह उनके लिए एक बड़ा पल है, जो न केवल उनके लिए बल्कि समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है।
योगी आदित्यनाथ की पहल
योगी आदित्यनाथ ने हमेशा समाज के गरीब और जरूरतमंद वर्ग के लिए कई उपाय किए हैं। उनके नेतृत्व में, ये बच्चे अब सम्मान के साथ एक नई दिशा की ओर बढ़ रहे हैं। सरकारी योजनाओं के तहत, बच्चों को शैक्षणिक और व्यावसायिक प्रशिक्षण मिल रहा है, जिससे वे अपने सपनों को साकार कर सकें।
समाज का समर्थन और बच्चों का उज्जवल भविष्य
यहाँ तक कि समाज के अन्य वर्गों ने भी इन बच्चों की मदद करने का संकल्प लिया है। विभिन्न गैर सरकारी संगठनों और समाजसेवियों ने मिलकर बच्चों के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिसमें एंटरप्रेन्योरशिप, प्रशिक्षण और समर्पित शिक्षा का समावेश है।
इस समारोह का महत्व केवल बच्चों के लिए नहीं है, बल्कि यह समाज के समृद्धि की दिशा में एक कदम है। यह दर्शाता है कि यदि सही दिशा और समर्थन मिले, तो कोई भी बच्चा अपने हालात से लड़ सकता है और एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकता है।
अंततः, यह कार्यक्रम समाज के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि कैसे सामूहिक प्रयासों से नहीं केवल बच्चों का जीवन बदल सकता है, बल्कि पूरे समाज में सकारात्मकता भी ला सकता है।
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