मुस्लिम जवान बोले- महाकुंभ के लिए जान की बाजी लगाएंगे:देश मेरा, मेला भी अपना; महिलाओं ने कहा- सियासत हमें न तोड़े
देश-दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले महाकुंभ में मुस्लिमों को लेकर खूब रार मची। मुस्लिमों को बैन करने तक की आवाजें उठीं। गंगा-जमुनी तहजीब के शहर प्रयागराज (इलाहाबाद) में हिंदू-मुस्लिम कम ही चलता है। देश और विदेशों से आकर कई मुस्लिमों ने संगम में डुबकी लगाई। बहुत सारे मुस्लिम महाकुंभ घूमने आ रहे हैं। महाकुंभ की सुरक्षा में आए पैरामिलिट्री फोर्स के मुस्लिम जवानों का कहना है कि यह देश उनका भी है। महाकुंभ उनका भी है। वह सुरक्षा में अपनी जान की बाजी लगा देंगे। पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बने महाकुंभ को लेकर वह गर्व ही महसूस करते हैं। मुस्लिम महिलाएं खुश हैं कि प्रयागराज का महाकुंभ पूरी दुनिया में मशहूर है। हालांकि साधु-संतों के बयान, राजनीति गरमाने से मुस्लिम थोड़ा असहज हुए। दैनिक भास्कर ने मुस्लिमों और महाकुंभ मेले में आए मुस्लिम जवानों से बात की। पहले पढ़िए, महाकुंभ शुरू होने से पहले ये दो बयान... मुस्लिम महिला पार्षद असमा श्रद्धालुओं को ठंड से बचाने के लिए अलाव का इंतजाम कर रही हैं। वहीं, वकील काशान सिद्दीकी कहते हैं कि मुस्लिमों को गर्व है, लेकिन बयानबाजी की वजह से वे अवॉयड कर रहे हैं। इतना तो साफ है कि मुस्लिमों से सवाल होने पर वे खुशी का इजहार जरूर करते हैं। लेकिन दिल में एक टीस है कि इस बार महाकुंभ में वह उस तरह से शामिल नहीं हो सके, जैसे पहले होते रहे हैं। इस बार कारोबार से दूरी बनाई प्रयागराज में होने वाले माघ मेला, अर्द्धकुंभ और महाकुंभ में अब तक हजारों मुस्लिमों का कारोबार होता था। दुकानें लगती थीं। इस बार ऐसा देखने को नहीं मिल रहा। विवाद से बचने के लिए मुस्लिम महाकुंभ से दूरी बना रहे हैं। अटाला में ही हमें गुलाम गौर हबीबी मिले। वह कहते हैं- महाकुंभ बड़ा नहान है। हमारे शहर में होता है, इसलिए हम अच्छा महसूस करते हैं। इस शहर में हमेशा से गंगा-जमुनी तहजीब रही है। पहले कुंभ मेले में मुस्लिमों की हजारों दुकानें लगती थीं। हम खुद झूला लगाते थे। प्रशासन पूरी मदद करता था। लेकिन, अब ऐसा नहीं है। अब सुनने में आ रहा कि रोक दिया गया है। सियासत को ऐसा नहीं करना चाहिए। हमने पूछा कि आपका मन करता है, कुंभ में जाने का? गुलाम कहते हैं, मन तो करता है, लेकिन नहीं जाएंगे। जो दुकानें लगती भी थीं, अब वहां नहीं लग पाएंगी। हम कहीं और लगाएंगे। जम्मू कश्मीर के मो. अफसर ने कहा- कुंभ डयूटी से मन प्रसन्न 40 करोड़ श्रद्धालुओं की सुरक्षा में इंडिया के हर स्टेट से पैरामिलिट्री फोर्स बुलाई गई है। जम्मू-कश्मीर तक के जवान प्रयागराज की कुंभनगरी की सुरक्षा में पहुंचे हैं। महाकुंभ में मुस्लिमों की एंट्री, दुकानें और कामकाज को लेकर काफी बयानबाजी हुई। यहां तक कि एंट्री बैन करने की बातें मुद्दा बनती रहीं। लेकिन देश की सुरक्षा में मुस्तैद जवान ऐसी बातों का मुंहतोड़ जवाब देते नजर आ रहे हैं। महाकुंभ में ड्यूटी पर आए पैरामिलिट्री के जवान अकरम अली स्पेशल टीम में शामिल होकर मेला क्षेत्र के हर कोने की जांच-परख में जुटे हैं। कहीं कोई बम प्लांट तो नहीं कर गया, एक्सप्लोसिव तो नहीं है। कोई संदिग्ध तो नहीं घुस आया, इसकी जांच में उन्हें लगाया गया है। महाकुंभ में मुस्लिम? इस सवाल के जवाब में रामपुर के रहने वाले सीआरपीएफ जवान अकरम अली ने कहा- क्या यह देश मेरा नहीं है, मेरा भी है। क्या महाकुंभ मेरा अपना नहीं है, मेरा भी है। जम्मू कश्मीर के पुंछ से मोहम्मद अफसर आए हैं। पैरामिलिट्री फोर्स के जवान मो. अफसर पहली बार कुंभ में ड्यूटी पर हैं। मो. अफसर ने कहा- महाकुंभ में सुरक्षा ड्यूटी की जिम्मेदारी निभाते बहुत अच्छा लग रहा है। महाकुंभ को पूरी तरह से सुरक्षित बनाएंगे। हम चाहते हैं, ज्यादा से ज्यादा लोग महाकुंभ में आएं। वह कहते हैं कि देश की सुरक्षा में तैनात जवानों के नाम क्या हैं, इस पर कोई सवाल नहीं। उन्हें हर अहम ड्यूटी में लगाया जाता है। इसी प्रकार पुलिस, सीआरपीएफ, आरएएफ, पीएसी समेत अन्य फोर्स और सुरक्षा एजेंसियों में मुस्लिम अधिकारी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। चूंकि वो फोर्स से हैं, इसलिए सुरक्षा से इतर सवालों का जवाब नहीं देना चाहते। अकरम अली, मो. अफसर जैसे तमाम जवान मेला क्षेत्र में फ्लैग मार्च में शामिल हो रहे हैं। मेला क्षेत्र में बम डिस्पोजल टीम का हिस्सा हैं। महाकुंभ के हर क्षेत्र में घूमकर जांच कर रहे हैं। ------------------------------ ये खबर भी पढ़ें... 'हिंदू मक्का नहीं जा सकते, तो कुंभ में मुस्लिम क्यों', अखाड़ा परिषद का कहना-धर्म बचाने के लिए यह जरूरी ‘जब कोई अब्दुल अपना नाम सूर्य रखकर परचून की दुकान खोलेगा या टी स्टॉल लगाएगा, तो उसमें जरूर थूकेगा। इसलिए हमने कहा कि जितने भी गैर-सनातनी हैं, उनको मेला क्षेत्र में प्लॉट न दिया जाए। ’ महाकुंभ में मुस्लिमों की एंट्री बैन करने के समर्थन में यह तर्क साधु-संतों के सबसे बड़े मंच अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी देते हैं। पढ़िए पूरी खबर...

मुस्लिम जवान बोले- महाकुंभ के लिए जान की बाजी लगाएंगे: देश मेरा, मेला भी अपना
महाकुंभ मेला 2021 के दौरान मुस्लिम समुदाय के जवानों ने एक सशक्त आवाज उठाई है, जिसमें उन्होंने अपनी देशभक्ति और मेले के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का उल्लेख किया है। "सियासत हमें न तोड़े" के नारे के साथ, उन्होंने यह संकेत दिया है कि धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को एक साथ जोड़ना ज़रूरी है। महाकुंभ का आयोजन भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है और इसमें सभी धर्मों के लोग एक साथ आते हैं।
महाकुंभ की महत्वत्ता
महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है और यह केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, जो इसे एक अद्वितीय अनुभव बनाते हैं। मुस्लिम जवानों का इस आयोजन के लिए आगे आना इस बात का प्रमाण है कि यह मेला सबको जोड़ने का माध्यम है। इस दीवानेपन में मुस्लिम महिलाएं भी पीछे नहीं हैं, उन्होंने कहा है कि सियासत को इस महान अवसर पर न आने देना ही बेहतर है।
सामाजिक एकता का संदेश
महिलाओं की आवाज़ और मुस्लिम जवानों की भावना, दोनों ही समाज में एकता और सहयोग का संदेश देते हैं। यह दिखाता है कि अगर हम मिलकर काम करें, तो किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों के माध्यम से सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा मिलता है, और इससे देश की विविधता की महत्ता को समझने का मौका मिलता है।
इस साल महाकुंभ में शामिल होने के लिए सभी समुदायों के लोग एकजुट हो रहे हैं, और ये सभी धर्मों के त्योहारों को मनाने की भावना को दर्शाता है। इस संदर्भ में मुस्लिम जवानों और महिलाओं के साहसिक विचारों ने इस महाकुंभ को और भी विशेष बना दिया है।
आखिर में, यह आवश्यक है कि हम एक-दूसरे का सम्मान करें और एक मजबूत समाज का निर्माण करें। महाकुंभ न केवल एक धार्मिक मेला है, बल्कि यह सामूहिकता और भाईचारे का एक जीवंत उदाहरण है। यह दर्शाता है कि हमें एकता के सूत्र में बंधकर ही कोई भी चुनौती स्वीकार करनी चाहिए।
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