राष्ट्रीय बीज कांग्रेस में बीज की चुनौतियों पर किया मंथन:देश-विदेश के वैज्ञानिकों के प्रतिनिधि हुए शामिल, केन्द्रीय मंत्री ने जलवायु परिवर्तन से सामना करने पर दिया जोर

वाराणसी में 13वां राष्ट्रीय बीज सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह तीन दिवसीय सम्मेलन 30 नवंबर तक अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र वाराणसी में आयोजित किया गया है । इस सम्मेलन में 700 से अधिक प्रतिनिधि, जिसमें विशेषज्ञ, नीति निर्माता, उद्योग जगत के नेता, शोधकर्ता और किसान शामिल हैं, बीज क्षेत्र से जुड़े प्रमुख मुद्दों और प्रगति पर चर्चा करेंगे। जलवायु परिवर्तन के चुनौतियों का सामना करने पर दिया जोर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा - वैश्विक बीज क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत की जैव विविधता, अनुसंधान क्षमता और नवीन तकनीकों का लाभ उठाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा "राष्ट्रीय बीज सम्मेलन ज्ञान साझा करने, साझेदारी को बढ़ावा देने और बीज प्रणाली को मजबूत करने के लिए नवाचार को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण मंच है। यह सम्मेलन भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, जलवायु चुनौतियों का सामना करने और छोटे किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने विशेषज्ञों और प्रतिभागियों से ऐसे रणनीतिक कदम विकसित करने का आग्रह किया, जो बीजों को अधिक सुलभ, किफायती और प्रभावशाली बनाएं।" इस अवसर पर एब्स्ट्रैक्ट कॉम्पेंडियम और चावल की परती (फेलो) वेबपेज और एटलस का भी शुभारंभ किया गया। टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की कही बात उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इस ऐतिहासिक आयोजन की मेजबानी पर गर्व व्यक्त किया और राज्य की कृषि उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा "उत्तर प्रदेश कृषि को आगे बढ़ाने की समृद्ध परंपरा रखता है और वाराणसी में इस सम्मेलन की मेजबानी करके सम्मानित महसूस कर रहा है। यह कार्यक्रम हमें नवीन तकनीकों के साथ अपने प्रयासों को संरेखित करने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है, जो प्रत्येक किसान तक पहुंचे।" उद्घाटन दिवस पर तीन महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए गए “वैश्विक बीज क्षेत्र में भारत की भूमिका: अवसर और अपेक्षाएं” इस सत्र में भारत के वैश्विक बीज बाजार में नेतृत्व और सार्वजनिक-निजी सहयोग के अवसरों पर चर्चा की गई। “बीज क्षेत्र में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा” इस सत्र ने विकासशील देशों के बीच साझेदारी और बीज प्रौद्योगिकी में नवाचार की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित किया। “सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से बीज क्षेत्र को मजबूत बनाना” इस सत्र में सरकारी और निजी संस्थाओं के सहयोग से बीज की गुणवत्ता और किसानों की पहुंच बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की गई।

Nov 28, 2024 - 18:40
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राष्ट्रीय बीज कांग्रेस में बीज की चुनौतियों पर किया मंथन:देश-विदेश के वैज्ञानिकों के प्रतिनिधि हुए शामिल, केन्द्रीय मंत्री ने जलवायु परिवर्तन से सामना करने पर दिया जोर
वाराणसी में 13वां राष्ट्रीय बीज सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह तीन दिवसीय सम्मेलन 30 नवंबर तक अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र वाराणसी में आयोजित किया गया है । इस सम्मेलन में 700 से अधिक प्रतिनिधि, जिसमें विशेषज्ञ, नीति निर्माता, उद्योग जगत के नेता, शोधकर्ता और किसान शामिल हैं, बीज क्षेत्र से जुड़े प्रमुख मुद्दों और प्रगति पर चर्चा करेंगे। जलवायु परिवर्तन के चुनौतियों का सामना करने पर दिया जोर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा - वैश्विक बीज क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत की जैव विविधता, अनुसंधान क्षमता और नवीन तकनीकों का लाभ उठाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा "राष्ट्रीय बीज सम्मेलन ज्ञान साझा करने, साझेदारी को बढ़ावा देने और बीज प्रणाली को मजबूत करने के लिए नवाचार को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण मंच है। यह सम्मेलन भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, जलवायु चुनौतियों का सामना करने और छोटे किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने विशेषज्ञों और प्रतिभागियों से ऐसे रणनीतिक कदम विकसित करने का आग्रह किया, जो बीजों को अधिक सुलभ, किफायती और प्रभावशाली बनाएं।" इस अवसर पर एब्स्ट्रैक्ट कॉम्पेंडियम और चावल की परती (फेलो) वेबपेज और एटलस का भी शुभारंभ किया गया। टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की कही बात उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इस ऐतिहासिक आयोजन की मेजबानी पर गर्व व्यक्त किया और राज्य की कृषि उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा "उत्तर प्रदेश कृषि को आगे बढ़ाने की समृद्ध परंपरा रखता है और वाराणसी में इस सम्मेलन की मेजबानी करके सम्मानित महसूस कर रहा है। यह कार्यक्रम हमें नवीन तकनीकों के साथ अपने प्रयासों को संरेखित करने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है, जो प्रत्येक किसान तक पहुंचे।" उद्घाटन दिवस पर तीन महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए गए “वैश्विक बीज क्षेत्र में भारत की भूमिका: अवसर और अपेक्षाएं” इस सत्र में भारत के वैश्विक बीज बाजार में नेतृत्व और सार्वजनिक-निजी सहयोग के अवसरों पर चर्चा की गई। “बीज क्षेत्र में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा” इस सत्र ने विकासशील देशों के बीच साझेदारी और बीज प्रौद्योगिकी में नवाचार की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित किया। “सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से बीज क्षेत्र को मजबूत बनाना” इस सत्र में सरकारी और निजी संस्थाओं के सहयोग से बीज की गुणवत्ता और किसानों की पहुंच बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की गई।

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