लखनऊ विश्वविद्यालय विदेशी रिसर्चर्स की पहली पसंद:कुलपति बोले- स्टार्टअप और इन्क्यूबेशन पर बढ़ाना होगा फोकस; मॉडर्न कोर्स में बनेंगे लीडर
लखनऊ विश्वविद्यालय अब 104 साल का हो चुका है। कभी कैनिंग कॉलेज के नाम से इसकी स्थापना हुई थी। आज इस कॉलेज ने कामयाबी की गजब दास्तान पेश की है। लखनऊ विश्वविद्यालय के स्वर्णिम अतीत से लेकर उज्ज्वल भविष्य पर दैनिक भास्कर ने कुलपति प्रो.आलोक कुमार राय से खास बातचीत की। सवाल: 104 साल के सफर को आप कैसे देखते हैं?
जवाब: लखनऊ विश्वविद्यालय की यह यात्रा ग्लोरियस, हिस्टोरिकल और कंट्रिब्यूटिंग रही है। विश्वविद्यालय में अनेक नामचीन लोगों ने सेवा दी हैं। राधा कमल मुखर्जी हों, प्रोफेसर बीरबल साहनी, चाहे राधा कुमुद मुखर्जी की बात करें। चाहे डीएन मजूमदार की। सभी ने देश और प्रदेश में अपनी-अपनी भूमिका से विश्वविद्यालय को ख्याति दिलाई। यहां के स्टूडेंट देश विदेश में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। राष्ट्र और समाज के विकास में वो काम कर रहे हैं। यही वजह है कि यह पूरी यात्रा ग्लोरियस, हिस्टोरिकल और कट्रीब्यूटिंग है। सवाल: अपने खुद के 2 टेन्योर के कॉन्ट्रिब्यूशन के बारें क्या कहेंगे?
जवाब: यह उसी का एक्सटेंशन है। हम कोविड के दौरान न सिर्फ एकेडमिक बल्कि सोसाइटी में भी अहम भूमिका निभाने में कामयाब रहे। लखनऊ विश्वविद्यालय जुलाई 2022 में प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बना जिसे NAAC में A++ का एक्रेडिशन मिला। फिर UGC की फर्स्ट कटेगरी विश्वविद्यालय बना। इसके बाद प्रदेश का पहला राज्य विश्वविद्यालय बना। रेगुलर यूनिवर्सिटी कटेगरी में NIRF में टॉप किया। इसमें 100वां स्थान प्राप्त हुआ। स्टेट यूनिवर्सिटी कटेगरी में पूरे भारत में 32वां स्थान रहा। सबसे पहले हम लोगों ने ऑनलाइन एजुकेशन शुरू किया। देश के कई बड़े सेंट्रल इंस्टीट्यूशन में एडमिशन को लेकर कोविड के आफ्टर इफेक्ट के बाद दिक्कत रही। तब हमने कई नए डिपार्टमेंट इंस्टीट्यूट इस्टेबलिश किया। इस साल करीब 1 लाख फॉर्म भरे गए। 10 हजार एडमिशन भी दिए गए। यूनिवर्सिटी लगातार एक्सपेंशन कर रही है। अलग-अलग विषयों में स्टूडेंट सर्वे कर रहे हैं। कुल मिलाकर यही कहना चाहूंगा कि जो कुछ भी शासन, सरकार और समाज की तरफ से अपेक्षित है वह सब कुछ यूनिवर्सिटी करने का प्रयास कर रही है। सवाल: आपको लगता है कि लखनऊ यूनिवर्सिटी अब यूपी की टॉप यूनिवर्सिटी बन चुकी है?
जवाब: रैंकिंग तो यही कहती है। ये बात मैं कहूंगा तो छोटे मुंह बड़ी बात होगी। सवाल: ऐसे कौन से काम हैं जो छूट गए या किसी कारण से पूरा नहीं पाए?
जवाब: अभी तक जितना प्रयास हुआ वो सब पूरा हुआ है। एक बड़ा विषय स्पोर्ट्स फील्ड है। इसमें यूनिवर्सिटी को जितनी उपलब्धि हासिल करनी चाहिए थी वो हम कर नहीं पाए। इसके पीछे कई वजह है। हालांकि कारणों का निदान किया जा रहा है। इसके अलावा एलुमिनाई से कंट्रब्यूशन के दिशा में भी काम करना होगा। बीते 5 सालों से हम फाउंडेशन डे पर डिस्टिंग्विश्ड एल्युमिनाई अवार्ड से उनसे कनेक्ट हैं। इंटरनेशनल एल्युमिनाई मीट का भी आयोजन होता है। सवाल: एकेडमिक सेशन डिले हो रहा है, इस पर क्या कहेंगे?
जवाब: मैं इसको स्ट्रांग्ली डिसएग्री करता हूं। एकेडमिक सत्र 24-25 में 16 जुलाई से क्लासेस शुरू हो गई हैं। सेकेंड ईयर ऑनवर्डस सभी कोर्सेज में 15 अगस्त तक एडमिशन भी हो गए थे। ज्यादातर डिपार्टमेंट में मिड सेम हो चुके हैं। कोर्स कम्पलीट हो गया है। दिसंबर फर्स्ट वीक से एग्जाम शुरू होंगे। सवाल: NEP में आप अगुवा रहे, ये आप ही नहीं सब मानते हैं, आगे के चैलेंज को कैसे देखते हैं?
जवाब - राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को देशभर में सबसे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय ने इंप्लीमेंट किया। फोर्थ ईयर अंडरटेकर प्रोग्राम पूरी तरह से मैच्योर हो गया है। इसके अलावा वन ईयर पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम का आर्डिनेंस तैयार है। ड्यूल डिग्री और जॉइंट डिग्री प्रोग्राम के आर्डिनेंस तैयार हैं। हमारे 500 से ज्यादा जो कॉलेज हैं। उन्हें ऑन बोर्ड करने से पहले हमें कुछ बातों को देखना होगा। जैसे- रायबरेली में जो हमारा कॉलेज है। वहां पर रेल कोच कारखाना है। लखीमपुर में जो कॉलेज है, वहां चीनी मिल। ऐसे ही हरदोई में जहां आलू की खेती ज्यादा होती है उन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर को देखते हुए अब इस दिशा में भी कदम उठाना है। पहले हम 9 वोकेशनल कोर्स करा रहे थे, अब हम 35 कोर्स करा रहे हैं। सवाल: NAAC की टॉप ग्रेडिंग मिले हुए 2 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, आप क्या बदलाव देखते हैं?
जवाब: स्टूडेंट, टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ का कॉन्फिडेंस बढ़ा है। इसका साइकोलॉजिकल इम्पैक्ट बहुत ज्यादा हुआ है। दूसरा इंस्टीट्यूशन के ब्रांडिंग पर भी असर पड़ा है। बाहर बच्चे भी कॉन्फिडेंस से कहते हैं कि 1 लाख से ज्यादा बच्चे एडमिशन के लिए अप्लाई करते हैं। रजिस्ट्रेशन कराने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 2 लाख 44 हजार से ज्यादा है। ब्रांडिंग बढ़ी और हमारे स्टूडेंटस की एम्पलाईबिलिटी भी बढ़ी। हम देश में इकलौते ऐसे इंस्टीट्यूशन हैं जहां बीए, बीएससी और बीकॉम के 2 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स को निजी क्षेत्र में जॉब मिली है। इसी का नतीजा रहा कि NIRF की रैंकिंग में भी सुधार हुआ है। सवाल: इंटरनेशनल रैंकिंग और इंटरनेशनल स्टूडेंट्स पर आप कितना फोकस कर रहे?
जवाब: इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के नंबर तेजी से बढ़े हैं। इसके अलावा रिसर्च इन रेजिडेंस प्रोग्राम शुरू किया है। इसमें फॉरेन से जो हमारे रिसर्चर आते हैं, उनके लिए भी अलग स्कीम शुरू की है। 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' में भी हमारे पास बहुत से लोग आ रहे हैं। टाइम्स हायर एजुकेशन और QAS रैंकिंग में भी हमारा एक स्थान है। हां, ये जरूर है कि इसमें हमें लगातार सुधार करते रहना है। सवाल: अगले साल के लिए आपके टॉप 3 टारगेट क्या होंगे?
जवाब: हमको ओवरऑल यूनिवर्सिटी NIRF रैंकिंग में टॉप 50 के अंदर आना है। इस पर हम फोकस कर रहे हैं। दूसरा हमारा फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर है। यूनिवर्सिटी 104 साल पुरानी है। सरकार की पीएम ऊषा योजना के तहत हम इंफ्रास्ट्रक्चर को नया रूप दे रहे हैं। हमें एडवांस प्रोग्राम में लीडर शिप रोल में आना है। सवाल: बीते वर्ष आप
लखनऊ विश्वविद्यालय अब 104 साल का हो चुका है। कभी कैनिंग कॉलेज के नाम से इसकी स्थापना हुई थी। आज इस कॉलेज ने कामयाबी की गजब दास्तान पेश की है। लखनऊ विश्वविद्यालय के स्वर्णिम अतीत से लेकर उज्ज्वल भविष्य पर दैनिक भास्कर ने कुलपति प्रो.आलोक कुमार राय से खास बातचीत की। सवाल: 104 साल के सफर को आप कैसे देखते हैं?
जवाब: लखनऊ विश्वविद्यालय की यह यात्रा ग्लोरियस, हिस्टोरिकल और कंट्रिब्यूटिंग रही है। विश्वविद्यालय में अनेक नामचीन लोगों ने सेवा दी हैं। राधा कमल मुखर्जी हों, प्रोफेसर बीरबल साहनी, चाहे राधा कुमुद मुखर्जी की बात करें। चाहे डीएन मजूमदार की। सभी ने देश और प्रदेश में अपनी-अपनी भूमिका से विश्वविद्यालय को ख्याति दिलाई। यहां के स्टूडेंट देश विदेश में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। राष्ट्र और समाज के विकास में वो काम कर रहे हैं। यही वजह है कि यह पूरी यात्रा ग्लोरियस, हिस्टोरिकल और कट्रीब्यूटिंग है। सवाल: अपने खुद के 2 टेन्योर के कॉन्ट्रिब्यूशन के बारें क्या कहेंगे?
जवाब: यह उसी का एक्सटेंशन है। हम कोविड के दौरान न सिर्फ एकेडमिक बल्कि सोसाइटी में भी अहम भूमिका निभाने में कामयाब रहे। लखनऊ विश्वविद्यालय जुलाई 2022 में प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बना जिसे NAAC में A++ का एक्रेडिशन मिला। फिर UGC की फर्स्ट कटेगरी विश्वविद्यालय बना। इसके बाद प्रदेश का पहला राज्य विश्वविद्यालय बना। रेगुलर यूनिवर्सिटी कटेगरी में NIRF में टॉप किया। इसमें 100वां स्थान प्राप्त हुआ। स्टेट यूनिवर्सिटी कटेगरी में पूरे भारत में 32वां स्थान रहा। सबसे पहले हम लोगों ने ऑनलाइन एजुकेशन शुरू किया। देश के कई बड़े सेंट्रल इंस्टीट्यूशन में एडमिशन को लेकर कोविड के आफ्टर इफेक्ट के बाद दिक्कत रही। तब हमने कई नए डिपार्टमेंट इंस्टीट्यूट इस्टेबलिश किया। इस साल करीब 1 लाख फॉर्म भरे गए। 10 हजार एडमिशन भी दिए गए। यूनिवर्सिटी लगातार एक्सपेंशन कर रही है। अलग-अलग विषयों में स्टूडेंट सर्वे कर रहे हैं। कुल मिलाकर यही कहना चाहूंगा कि जो कुछ भी शासन, सरकार और समाज की तरफ से अपेक्षित है वह सब कुछ यूनिवर्सिटी करने का प्रयास कर रही है। सवाल: आपको लगता है कि लखनऊ यूनिवर्सिटी अब यूपी की टॉप यूनिवर्सिटी बन चुकी है?
जवाब: रैंकिंग तो यही कहती है। ये बात मैं कहूंगा तो छोटे मुंह बड़ी बात होगी। सवाल: ऐसे कौन से काम हैं जो छूट गए या किसी कारण से पूरा नहीं पाए?
जवाब: अभी तक जितना प्रयास हुआ वो सब पूरा हुआ है। एक बड़ा विषय स्पोर्ट्स फील्ड है। इसमें यूनिवर्सिटी को जितनी उपलब्धि हासिल करनी चाहिए थी वो हम कर नहीं पाए। इसके पीछे कई वजह है। हालांकि कारणों का निदान किया जा रहा है। इसके अलावा एलुमिनाई से कंट्रब्यूशन के दिशा में भी काम करना होगा। बीते 5 सालों से हम फाउंडेशन डे पर डिस्टिंग्विश्ड एल्युमिनाई अवार्ड से उनसे कनेक्ट हैं। इंटरनेशनल एल्युमिनाई मीट का भी आयोजन होता है। सवाल: एकेडमिक सेशन डिले हो रहा है, इस पर क्या कहेंगे?
जवाब: मैं इसको स्ट्रांग्ली डिसएग्री करता हूं। एकेडमिक सत्र 24-25 में 16 जुलाई से क्लासेस शुरू हो गई हैं। सेकेंड ईयर ऑनवर्डस सभी कोर्सेज में 15 अगस्त तक एडमिशन भी हो गए थे। ज्यादातर डिपार्टमेंट में मिड सेम हो चुके हैं। कोर्स कम्पलीट हो गया है। दिसंबर फर्स्ट वीक से एग्जाम शुरू होंगे। सवाल: NEP में आप अगुवा रहे, ये आप ही नहीं सब मानते हैं, आगे के चैलेंज को कैसे देखते हैं?
जवाब - राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को देशभर में सबसे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय ने इंप्लीमेंट किया। फोर्थ ईयर अंडरटेकर प्रोग्राम पूरी तरह से मैच्योर हो गया है। इसके अलावा वन ईयर पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम का आर्डिनेंस तैयार है। ड्यूल डिग्री और जॉइंट डिग्री प्रोग्राम के आर्डिनेंस तैयार हैं। हमारे 500 से ज्यादा जो कॉलेज हैं। उन्हें ऑन बोर्ड करने से पहले हमें कुछ बातों को देखना होगा। जैसे- रायबरेली में जो हमारा कॉलेज है। वहां पर रेल कोच कारखाना है। लखीमपुर में जो कॉलेज है, वहां चीनी मिल। ऐसे ही हरदोई में जहां आलू की खेती ज्यादा होती है उन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर को देखते हुए अब इस दिशा में भी कदम उठाना है। पहले हम 9 वोकेशनल कोर्स करा रहे थे, अब हम 35 कोर्स करा रहे हैं। सवाल: NAAC की टॉप ग्रेडिंग मिले हुए 2 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, आप क्या बदलाव देखते हैं?
जवाब: स्टूडेंट, टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ का कॉन्फिडेंस बढ़ा है। इसका साइकोलॉजिकल इम्पैक्ट बहुत ज्यादा हुआ है। दूसरा इंस्टीट्यूशन के ब्रांडिंग पर भी असर पड़ा है। बाहर बच्चे भी कॉन्फिडेंस से कहते हैं कि 1 लाख से ज्यादा बच्चे एडमिशन के लिए अप्लाई करते हैं। रजिस्ट्रेशन कराने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 2 लाख 44 हजार से ज्यादा है। ब्रांडिंग बढ़ी और हमारे स्टूडेंटस की एम्पलाईबिलिटी भी बढ़ी। हम देश में इकलौते ऐसे इंस्टीट्यूशन हैं जहां बीए, बीएससी और बीकॉम के 2 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स को निजी क्षेत्र में जॉब मिली है। इसी का नतीजा रहा कि NIRF की रैंकिंग में भी सुधार हुआ है। सवाल: इंटरनेशनल रैंकिंग और इंटरनेशनल स्टूडेंट्स पर आप कितना फोकस कर रहे?
जवाब: इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के नंबर तेजी से बढ़े हैं। इसके अलावा रिसर्च इन रेजिडेंस प्रोग्राम शुरू किया है। इसमें फॉरेन से जो हमारे रिसर्चर आते हैं, उनके लिए भी अलग स्कीम शुरू की है। 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' में भी हमारे पास बहुत से लोग आ रहे हैं। टाइम्स हायर एजुकेशन और QAS रैंकिंग में भी हमारा एक स्थान है। हां, ये जरूर है कि इसमें हमें लगातार सुधार करते रहना है। सवाल: अगले साल के लिए आपके टॉप 3 टारगेट क्या होंगे?
जवाब: हमको ओवरऑल यूनिवर्सिटी NIRF रैंकिंग में टॉप 50 के अंदर आना है। इस पर हम फोकस कर रहे हैं। दूसरा हमारा फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर है। यूनिवर्सिटी 104 साल पुरानी है। सरकार की पीएम ऊषा योजना के तहत हम इंफ्रास्ट्रक्चर को नया रूप दे रहे हैं। हमें एडवांस प्रोग्राम में लीडर शिप रोल में आना है। सवाल: बीते वर्ष आपने कहा था कि हम मेडिकल के क्षेत्र में भी आगे बढ़ना चाहते हैं, इसमें कहां तक पहुंचे।
जवाब: मेडिकल के क्षेत्र में हमारी रफ्तार धीमी है। नेचुरोपैथी हमने शुरू कर दिया है। एग्रीकल्चर के फील्ड में हम बड़ा काम करने जा रहे हैं। सरकार के सहयोग से जल्द नया कैंपस खुलेगा। इसमें हम एग्रीकल्चर और वेटरनरी साइंस की पढ़ाई शुरू होगी।