लग्जरी वॉच-शूज से लेकर पेंटिंग्स खरीदने पर अब नया टैक्स:सरकार ने ₹10 लाख से ज्यादा के लग्जरी-आइटम्स की खरीद पर 1% TCS लागू किया
अब 10 लाख रुपए से ज्यादा की वॉच, पेंटिंग्स, सनग्लास, शूज, होम थिएटर सिस्टम्स और हेलिकॉप्टर जैसे लग्जरी आइटम्स की खरीद पर सरकार ने 1% टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स (TCS) लागू किया है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज यानी CBDT ने बुधवार (23 अप्रैल) को एक नोटिफिकेशन जारी कर इसका ऐलान किया है। CBDT ने कहा है कि सरकार ने लग्जरी खर्चों पर नजर रखने और 10 लाख रुपए से ज्यादा के लेन-देन को इनकम टैक्स रिटर्न में दर्ज कराने के लिए हाई-वैल्यू शॉपिंग पर टैक्स का दायरा बढ़ा दिया है। इस टैक्स को वसूलने की जिम्मेदारी सेलर यानी विक्रेता की होगी। लग्जरी आइटम्स पर 1% TCS 22 अप्रैल से लागू कर दिया गया है। अब से 10 लाख रुपए से ज्यादा की खरीदारी पर सेलर को 1% TCS वसूलना होगा। केंद्र सरकार ने TCS के तहत लग्जरी वस्तुओं की एक डिटेल्ड लिस्ट जारी की है। जिसका मकसद टैक्स बेस को बढ़ाना और हाई-एंड खर्चों पर नजर रखना है। लग्जरी आइटम्स की लिस्ट, जिनपर 1% TCS लगेगा 1. लग्जरी रिस्ट वॉच 2. एंटीक, पेंटिंग, स्कल्पचर जैसे आर्ट पीसेज 3. कलेक्टिबल्स जैसे कॉइन, स्टाम्प 4. यॉट, रोइंग बोट, कैनोई, हेलीकॉप्टर 5. पेयर ऑफ सनग्लासेस 6. बैग जैसे हैंडबैग, पर्स 7. पेयर ऑफ शूज 8. स्पोर्ट्स वियर एंड इक्विपमेंट जैसे गोल्फ किट, स्की वियर 9. होम थिएटर सिस्टम 10. रेस क्लबों में होर्स रेसिंग के लिए होर्स और पोलो के लिए होर्स जुलाई 2024 के बजट प्रस्ताव के बाद अब जाकर केंद्र ने लग्जरी आइटम्स की लिस्ट जारी की है। बजट में हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (HNIs) के लग्जरी आइटम्स पर बढ़ते खर्च को देखते हुए 10 लाख रुपए से ज्यादा की खरीद पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया था। हालांकि, तब सरकार ने ये स्पष्ट नहीं किया था कि किन वस्तुओं को 'लग्जरी' माना जाएगा। अब इस लिस्ट से टैक्स के लिहाज से 'लग्जरी गुड्स' की परिभाषा स्पष्ट हो गई है। क्या है TCS? TCS का मतलब टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स होता है। इसका मतलब स्रोत पर एकत्रित टैक्स (इनकम से इकट्ठा किया गया टैक्स) होता है। TCS का भुगतान सेलर, डीलर, वेंडर, दुकानदार की तरफ से किया जाता है। हालांकि, वह कोई भी सामान बेचते हुए खरीदार या ग्राहक से वो टैक्स वसूलता है। वसूलने के बाद इसे जमा करने का काम सेलर या दुकानदार का ही होता है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 206C में इसे कंट्रोल किया जाता है। कुछ खास तरह की वस्तुओं के विक्रेता ही इसे कलेक्ट करते हैं। इस तरह का टैक्स तभी काटा जाता है जब पेमेंट एक सीमा से ज्यादा होता है।

लग्जरी वॉच-शूज से लेकर पेंटिंग्स खरीदने पर अब नया टैक्स
सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके तहत ₹10 लाख से अधिक के लग्जरी आइटम्स की खरीद पर 1% TCS (Tax Collected at Source) लागू किया गया है। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य उच्च मूल्य के सामानों की बिक्री में पारदर्शिता बढ़ाना और टैक्स संग्रहण को मजबूत करना है। News by indiatwoday.com
नई टैक्स नीति का विवरण
यह टैक्स नीति विभिन्न उत्पादों पर लागू होगी, जैसे कि लग्जरी वॉच, जूते-चप्पल, आर्ट वर्क (पेंटिंग्स), और दूसरे उच्च मूल्य के सामान। इस नई व्यवस्था के तहत, जब भी कोई ग्राहक इन सामानों की खरीद करेगा, तो उसे कुल रकम का 1% अतिरिक्त टैक्स चुकाना होगा। यह टैक्स रिटेलर द्वारा सरकार को दिया जाएगा।
सरकार का लक्ष्य
सरकार का लक्ष्य टैक्स व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी बनाना है। यह कदम उन खरीदारों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो महंगे सामान खरीदते हैं, क्योंकि इससे उन्हें अपने लेनदेन में अधिक सावधानी बरतनी पड़ेगी। इस टैक्स की शुरुआत उच्च मूल्य मार्केट उत्पादों पर निगरानी बढ़ाने के लिए की गई है।
खरीदारी में बदलाव
इस नए टैक्स के लागू होने से खरीदारी के तरीकों में बदलाव आ सकता है। ग्राहक अब महंगे आइटम खरीदते समय अतिरिक्त लागत पर विचार करेंगे। इससे संभव है कि लोग अपने बजट को फिर से निर्धारित करें या वे इस प्रकार के सामान खरीदने से बचें।
उपभोक्ताओं के लिए सलाह
इस नई टैक्स नीति के अंतर्गत, उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने बजट की योजना बनाते समय इस अतिरिक्त टैक्स का ध्यान रखें। महंगे सामान की खरीदारी करते समय, यह जानना आवश्यक है कि कुल लागत में टैक्स भी शामिल होगा।
निष्कर्ष
सरकार द्वारा लागू किया गया यह नया टैक्स नीति उपभोक्ताओं और रिटेलर दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। इसे लागू करने का मुख्य उद्देश्य उच्च मूल्य की संपत्तियों की खरीद में पारदर्शिता और जिम्मेदारी बढ़ाना है। समय के साथ, यह टैक्स संग्रह में भी वृद्धि कर सकता है, जिससे विकासशील अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा।
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