विश्वराज सिंह मेवाड़ का खून से राजतिलक की रस्म हुई:चित्तौड़गढ़ किले में 21 तोपों की सलामी दी, उदयपुर के दोनों कार्यक्रमों में विवाद की स्थिति
उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद अब उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ को गद्दी पर बैठाने की परंपरा निभाई गई। लोकतंत्र आने के बाद राजशाही खत्म हो गई है, लेकिन प्रतीकात्मक यह रस्म निभाई जाती है। सोमवार को चित्तौड़गढ़ किले के फतह प्रकाश महल में दस्तूर (रस्म) कार्यक्रम के दौरान खून से राजतिलक की रस्म हुई। इस दौरान उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई। विश्वराज एकलिंगनाथजी के 77वें दीवान होंगे। मेवाड़ राजवंश के 77वें महाराणा के लिए पूरे रास्ते में फूल बिछाए गए हैं। विभिन्न राजघरानों से आए लोग उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं। विश्वराज वर्तमान में नाथद्वारा से विधायक भी हैं। सुबह से चल रहा आयोजन चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित फतेह प्रकाश महल में 493 साल बाद राजतिलक की रस्म निभाई जा रही है। इसकी तैयारियों को लेकर जौहर स्मृति संस्थान के महामंत्री तेजपाल सिंह ने बताया- राजतिलक की रस्म में सोमवार को सुबह करीब 6.30 बजे से हवन शुरू हुआ था। इसमें 9.30 बजे विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ शामिल हुए हैं। कार्यक्रम में नई राजगद्दी की पूजा की जाएगी। उधर, उदयपुर के सिटी पैलेस धूणी दर्शन को लेकर विवाद गहरा रहा है। उदयपुर एसपी योगेश गोयल ने कहा- प्रशासन ने मध्यस्थता कराने का प्रयास किया, लेकिन सहमति नहीं बनी। सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। दूसरे पक्ष ने दो विधिक नोटिस जारी कर बिना अनुमति पैलेस में और एकलिंगजी मंदिर में प्रवेश पर चेताया है। दूसरी तरफ विश्वराज सिंह मेवाड़ का पक्ष सिटी पैलेस में जाने के लिए अड़ा है। फोटो में देखिए राजतिलक की रस्म...
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