शिमला में फर्जी दस्तावेजों से 56.83 लाख का लोन लिया:साइन भी नकली किए, दो बैंक अधिकारियों समेत आरोपी पर FIR

शिमला में एक व्यक्ति ने चार लोगों के फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर 56.83 लाख रुपए का लोन ले लिया। मामले में दो बैंक अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है। घटना ठियोग उपमंडल की है। पुलिस ने मुख्य आरोपी और दो पूर्व बैंक अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। चार पीड़ितों की शिकायत पर धारा 420 और 120-बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। भलेच गांव का संजीव कुमार इस धोखाधड़ी का मुख्य आरोपी है। उसने इंदर सिंह, अनिल वर्मा, जगदीश और हरीश चौहान की पहचान का दुरुपयोग किया। बैंक ऑफ इंडिया की सरोग शाखा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक और कैशियर की मदद से यह फर्जीवाड़ा किया गया। 2018 में संजीव ने इंदर सिंह के नाम पर 15 लाख रुपए की लोन लिमिट बनवाई। इसके अलावा इंदर सिंह की मां आशा देवी के नाम पर 9 लाख और पत्नी निशा देवी के नाम पर 9 लाख रुपए का लोन लिया। सभी राशि संजीव कुमार ने खुद निकाली। बैंक अधिकारियों ने फर्जी लोन आवेदनों को मंजूरी दी और संजीव ने खातों से पैसे निकाल लिए। नकली साइन कर रुपए निकाले 2019 में अनिल वर्मा के नाम से 8 लाख 50 हजार रुपए की सीमा बनाई गई और यह रकम भी संजीव कुमार द्वारा निकाली गई। इसी साल हरीश चौहान के नाम से 8 लाख रुपए की कर्ज राशि भी संजीव कुमार द्वारा निकाल ली गई। 2022 में संजीव कुमार ने जगदीश के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ऑटो लोन लिया और उससे फॉर्च्यूनर कार (नंबर HP95-1767) खरीदी। सभी मामलों में संजीव कुमार ने जिन लोगों के नाम पर लोन लिया तो उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी और जब उनके पास बैंकों की नोटिस या कॉल्स आने लगीं, तब जाकर यह फर्जीवाड़ा सामने आया। शिकायत में बताया गया कि संजीव कुमार ने बैंकों से राशि निकलवाने के लिए खुद को संबंधित व्यक्ति दर्शाया और नकली हस्ताक्षर करवा कर या स्वयं करके बैंक से रकम निकाली। कैशियर ने दस्तावेजों की जांच नहीं की इस पूरी धोखाधड़ी में तत्कालीन शाखा प्रबंधक (अब सेवानिवृत्त) और कैशियर की सीधी संलिप्तता पाई गई है, जिन्होंने नियमों को ताक पर रखकर कर्ज स्वीकृत किए और दस्तावेजों की जांच नहीं की। शिकायतकर्ताओं के अनुसार यह धोखाधड़ी केवल आर्थिक फायदा के लिए की गई और सभी फर्जीवाड़ों के जरिए कुल 56 लाख 83 हजार रुपए अलग-अलग खातों और नामों से निकाले गए। डीएसपी ठियोग सिद्धार्थ शर्मा ने शनिवार को बताया कि चार व्यक्तियों की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है। मुख्य आरोपी सहित दो तत्कालीन बैंक कर्मचारियों को भी नामजद किया गया है। इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

May 3, 2025 - 18:27
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शिमला में फर्जी दस्तावेजों से 56.83 लाख का लोन लिया:साइन भी नकली किए, दो बैंक अधिकारियों समेत आरोपी पर FIR
शिमला में एक व्यक्ति ने चार लोगों के फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर 56.83 लाख रुपए का लोन ले लिया। म

शिमला में फर्जी दस्तावेजों से 56.83 लाख का लोन लिया

हाल ही में शिमला में एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जहां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 56.83 लाख रुपये का लोन लिया गया। इस मामले में आरोप है कि आरोपी ने नकली साइन का इस्तेमाल किया और दो बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से यह धोखाधड़ी की। यह घटना स्थानीय प्रशासन और बैंकिंग सिस्टम के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी बिंदु है।

धोखाधड़ी का खुलासा

एफआईआर के अनुसार, जांच में पता चला है कि आरोपी ने दस्तावेज़ों में कई फर्जी जानकारियों का समावेश किया, जिससे अनुमति मिली कि उन्हें लोन दिया जा सके। यह प्रक्रिया न केवल बैंकिंग नियमों का उल्लंघन है, बल्कि इससे लोगों के विश्वास पर भी सवाल उठता है।

चुनौतियाँ और परिणाम

इस तरह के मामलों से न केवल वित्तीय संस्थाओं को नुकसान होता है, बल्कि आम जनता भी प्रभावित होती है। इसके अलावा, इससे समाज में आर्थिक अपराधों की संख्या में वृद्धि होने का डर बना रहता है। विशेष रूप से ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।

सरकारी कार्रवाई

सरकारी एजेंसियाँ अब इस मामले की गहन जांच कर रही हैं, और आरोपी के खिलाफ सख्त कदम उठाने का आश्वासन दिया गया है। बैंकिंग क्षेत्र में इन धोखाधड़ी के मामलों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे अपराधों को रोका जा सके।

इस घटना के प्रकाश में आने के बाद, शिमला और अन्य शहरों के बैंकों में सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की आवश्यकता है। आगामी समय में, अधिक जागरूकता और निगरानी से ही इस तरह के मामलों को कम किया जा सकता है।

अंत में, यह जरूरी है कि सभी बैंक ग्राहक सावधानी बरतें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करें। आपकी सुरक्षा और वित्तीय सुरक्षा का ध्यान रखना प्राथमिकता होनी चाहिए।

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