शिमला में वकीलों ने किया प्रदर्शन:अधिवक्ता अधिनियम संशोधन का विरोध, केंद्र सरकार के खिलाफ की नारेबाजी
शिमला जिले के रामपुर में बार एसोसिएशन ने मंगलवार को अधिवक्ता अधिनियम बिल 1961 में प्रस्तावित संशोधन का विरोध किया। वकीलों ने पहले कोर्ट परिसर के बाहर प्रदर्शन किया। इसके बाद एसडीएम निशांत तोमर के माध्यम से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को ज्ञापन भेजा। बार एसोसिएशन रामपुर के अध्यक्ष अशोक मेहता ने कहा कि यह बिल अधिवक्ताओं के हित में नहीं है। इसलिए पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित संशोधन से वकीलों को कोर्ट में स्वतंत्र और निष्पक्ष काम करने में दिक्कतें आएंगी। मेहता ने चेतावनी दी कि जब तक सरकार इस बिल को वापस नहीं लेती, तब तक इसका विरोध जारी रहेगा। ये अधिवक्ता हुए शामिल विरोध प्रदर्शन में वरिष्ठ अधिवक्ता योगराज देष्टा, एचएस नेगी, रमेश नेगी, पुनीत गुप्ता, महेश मनसैईक समेत कई वकील शामिल हुए। हिमेश ठाकुर, नार्गेश कटोच, पवन निराला, जेआर रोष्टा, राजेश शर्मा, देव कुमार शर्मा, एचके शर्मा, गोपाल कश्यप भी मौजूद रहे। इनके अलावा तनुजा ठाकुर, दिव्या, रक्षा और दीपाली निशा सहित अन्य अधिवक्ता भी प्रदर्शन में शामिल हुए।

शिमला में वकीलों ने किया प्रदर्शन: अधिवक्ता अधिनियम संशोधन का विरोध
शिमला में वकीलों ने हाल ही में एक बड़े प्रदर्शन का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने अधिवक्ता अधिनियम में अपेक्षित संशोधनों का विरोध किया। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार के विरुद्ध आवाज उठाना और अधिवक्ता समुदाय की चिंताओं को उजागर करना था। कानून के पेशे में न्यूनतम मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए वकील यह चाहते हैं कि किसी भी प्रकार के विवादास्पद संशोधन को लागू न किया जाए।
प्रदर्शन के मुख्य बिंदु
प्रदर्शन में वकीलों ने कानून व न्याय मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की, जिसमें उन्होंने कहा कि कई प्रस्तावित बदलाव अधिवक्ताओं के अधिकारों को कमजोर करेंगे। वकीलों ने एक जुट होकर यह संदेश दिया कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार हैं और सरकार को उनकी चिंताओं का महत्व समझना चाहिए।
अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन की पृष्ठभूमि
अधिवक्ता अधिनियम का संशोधन कई कारणों से विवादित रहा है। वकील मानते हैं कि संशोधन का उद्देश्य उन्हें कमजोर करना है और इस प्रकार उनके कार्य क्षेत्र में अनावश्यक बाधाएं उत्पन्न करना है। प्रदर्शनकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसा करने से न केवल उनके पेशेवर जीवन पर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि यह न्यायालय के समग्र कार्यों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
सरकार से अपील
वकीलों ने केंद्र सरकार से निवेदन किया है कि वे उनके सुझावों का ध्यानपूर्वक मूल्यांकन करें और संशोधनों को लागू करने से पहले वकीलों की राय को महत्वपूर्ण मानें। उन्होंने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो वे आने वाले दिनों में और भी सख्त प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।
शिमला के वकीलों ने यह सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है कि उनके मुद्दों को सुना जाए और उन्हें उचित ध्यान दिया जाए। इस प्रदर्शन ने यह सिद्ध कर दिया कि वकील एकजुट होकर अपनी आवाज उठाने में सक्षम हैं।
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