6 महीने की बेटी को फर्श पर पटका:दहेज में बाइक और कैश न मिलने पर पत्नी को किया गंजा, मारपीट कर घर से निकाला
मेरठ के लिसाड़ी गेट में दहेज में बाइक न मिलने पर आरोपी ने अपनी 6 महीने की बेटी को फर्श पर पटक दिया। इसके बाद कड़ाके की ठंड में पत्नी के साथ मारपीट करते हुए उसे घर से निकाल दिया। आरोपी दहेज की डिमांड पूरी न होने पर एक साल पहले अपनी पत्नी को गंजा भी कर चुका है। विवाहिता रविवार देर रात में कपकपाती हुई थाने पहुंची और आरोपी पति के खिलाफ तहरीर देकर कार्यवाही की मांग की। पुलिस ने आरोपी की तलाश शुरू कर दी है। श्यामनगर की रहने वाली अलीशा रविवार देर रात कड़ाके की ठंड में अपनी 6 महीने की बेटी को लेकर लिसाड़ी गेट थाने पहुंची। अलीशा ने बताया कि उसकी शादी करीब डेढ़ साल पहले श्यामनगर के रहने वाले शरिक के साथ हुई थी। अलीशा का आरोप था कि उसका पति दहेज कम लाने की बात कहकर उसे शादी के बाद से ही प्रताड़ित कर रहा है। आरोपी ने एक साल पहले पत्नी अलीशा को घर के एक कमरे में बंधक बना लिया था। जहां आरोपी ने उसे यातनाएं देते हुए गंजा कर दिया था। अलीशा का आरोप है कि पति शरिक अब उससे बाइक और कैश लाने की जिद कर रहा है। अलीशा के इंकार करने पर पति ने उसकी 6 महीने की बेटी को उससे छीनकर फर्श पर पटक दिया। गनीमत रही कि बच्ची बच गई अलीशा ने आरोपी के खिलाफ तहरीर देकर कार्यवाही की मांग की है।

दहेज के चलते पत्नी और बेटी पर अत्याचार: shocking घटना का खुलासा
यह सुनने में बेहद दुखद है कि दहेज की मांग पूरी न होने पर एक पति ने अपनी पत्नी के साथ न केवल मारपीट की, बल्कि उसकी 6 महीने की बेटी को भी फर्श पर पटका। इस घटना ने समाज में दहेज प्रथा की गंभीरता को एक बार फिर उजागर किया है। News by indiatwoday.com
घटना का विवरण
उक्त घटना उस समय हुई जब पति ने अपनी पत्नी से दहेज में बाइक और नकद राशि की मांग की। जब पत्नी ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए यह मांग पूरी नहीं की, तो पति ने न केवल भयानक तरीके से उसकी पिटाई की, बल्कि उसे घर से भी निकाल दिया।
दहेज प्रथा का प्रभाव
दहेज प्रथा ने भारतीय समाज में कई परिवारों को बर्बाद किया है। महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार और हिंसा की एक बड़ी वजह दहेज की मांग है। यह घटना इस बात का सबूत है कि समाज को इस बुराई को समाप्त करने की कितनी जरूरत है।
कानूनी उपाय
भारत में दहेज प्रथा के खिलाफ कई कानून हैं जो महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करते हैं। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं मामले की रिपोर्ट कर सकती हैं और कानूनी मदद ले सकती हैं। यह घटना एक गंभीर संकेत है कि हमें अपने समाज में बदलाव लाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
इस घटना ने दहेज प्रथा के खिलाफ एक बार फिर से चर्चा छेड़ दी है। समाज को जागरूक होना और दहेज के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। सुरक्षा की दृष्टि से यह जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है।
महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमें एकजुट होकर इस पवित्र उद्देश्य की ओर बढ़ना चाहिए।
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