IMF ने पाकिस्तान को ₹12 हजार करोड़ का लोन दिया:भारत ने कहा- आतंकवाद को फंडिंग करना खतरनाक, वोटिंग में शामिल नहीं हुआ

इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने शुक्रवार (9 मई) को क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को 1.4 बिलियन डॉलर (करीब ₹12 हजार करोड़) का नया लोन दे दिया है। साथ ही, एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत मिल रहे 7 बिलियन डॉलर (करीब ₹60 हजार करोड़) की मदद की पहली समीक्षा को भी मंजूरी दी है। इससे पाकिस्तान को अगली किस्त के 1 बिलियन डॉलर (करीब ₹8,542 करोड़) मिलेंगे। इस रिव्यू अप्रूवल से 7 बिलियन डॉलर के सहायता प्रोग्राम के तहत कुल 2 बिलियन डॉलर का डिस्बर्समेंट हो गया है। रेजिलिएंस लोन से पाकिस्तान को तत्काल कोई राशि नहीं मिलेगी। भारत ने कहा- आतंकवाद को फंडिंग करना खतरनाक IMF की एग्जीक्यूटिव बोर्ड की मीटिंग में भारत ने पाकिस्तान को दी जा रही फंडिंग पर चिंता जताई और कहा कि इसका इस्तेमाल पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद फैलाने के लिए करता है। भारत समीक्षा पर वोटिंग का विरोध करते हुए उसमें शामिल नहीं हुआ। भारत ने एक बयान जारी कर कहा- सीमा पार आतंकवाद को लगातार स्पॉन्सरशिप देना ग्लोबल कम्युनिटी को एक खतरनाक संदेश भेजता है। यह फंडिंग एजेंसियों और डोनर्स की प्रतिष्ठा को जोखिम में डालता है और वैश्विक मूल्यों का मजाक उड़ाता है। हमारी चिंता यह है कि IMF जैसे इंटरनेशनल फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन से आने वाले फंड का दुरुपयोग सैन्य और राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवादी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। भारत के विरोध की 5 बड़ी बातें... पाकिस्तान को फंड जारी करते हुए IMF ने अपने बयान में कहा, क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान ने अपने प्रयासों से चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल के बीच अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और विश्वास बहाल करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा, IMF कार्यक्रम को नुकसान पहुंचाने के भारत के प्रयास विफल हो गए हैं। भारत ने कहा था- पाक को सहायता देने से पहले IMF अपने अंदर गहराई से झांके IMF की मीटिंग से एक दिन पहले गुरुवार (8 मई) को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा था कि पाकिस्तान को राहत देने से पहले IMF के बोर्ड को अपने अंदर गहराई से देखना चाहिए और तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए। पिछले तीन दशकों में IMF ने पाकिस्तान को कई बड़ी सहायता दी है। उससे चलाए गए कोई भी कार्यक्रम सफल नतीजे तक नहीं पहुंच पाए हैं। भारत ने कहा- आप जानते हैं IMF के फैसले लेने के तरीके क्या हैं गुरुवार को मिस्री ने कहा था कि भारत के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर 9 मई को IMF बोर्ड की बैठक में देश का पक्ष रखेंगे। बोर्ड का फैसला क्या होगा यह एक अलग मामला है, आप जानते हैं कि IMF के फैसले लेने के तरीके क्या हैं। लेकिन, मुझे लगता है कि पाकिस्तान के मामले में उन लोगों को फैक्ट्स पता होने चाहिए, जो इस देश को बचाने के लिए आराम से अपना खजाना खोल देते हैं। 7 बिलियन डॉलर के पैकेज की पहली समीक्षा पाकिस्तान और IMF ने जुलाई 2024 में तीन साल के लिए 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सहायता पैकेज पर सहमति जताई थी, जिसके तहत नए कार्यक्रमों से पाकिस्तान को आर्थिक मजबूती देने पर काम किया जाना है। 37 महीने के EFF कार्यक्रम (सहायता कार्यक्रम) में पूरा पैसा मिलने तक छह समीक्षाएं होनी हैं। पाकिस्तान की परफॉर्मेंस के आधार पर लगभग 1 बिलियन डॉलर की अगली किस्त रिलीज की जानी है। भारत ने विचार करने को कहा था, IMF ने मना किया भारत ने पाकिस्तान को दिए जाने वाले 1.3 बिलियन डॉलर के ऋणों पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि इस पर दोबारा विचार किया जाए, क्योंकि पाकिस्तान को मिलने वाला पैसा आतंक को बढ़ावा देने में इस्तेमाल हो सकता है। हालांकि, IMF ने भारत के अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया था। क्या करता है IMF का एग्जीक्यूटिव बोर्ड? IMF एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो देशों को आर्थिक मदद करती है, सलाह देती है और उनकी अर्थव्यवस्था पर नजर रखती है। इस संस्था की कोर टीम एग्जीक्यूटिव बोर्ड होता है। यह टीम देखती है कि किस देश को लोन देना है, किन नीतियों को लागू करना है और दुनिया की अर्थव्यवस्था पर कैसे काम करना है। इसमें 24 सदस्य होते हैं जिन्हें कार्यकारी निदेशक कहा जाता है। हर एक सदस्य किसी देश या देश के समूह का प्रतिनिधित्व करता है। भारत का एक अलग (स्वतंत्र) प्रतिनिधि होता है। जो भारत की तरफ से IMF में अपनी बात रखता है। साथ ही यह देखता है कि IMF की नीतियां देश को नुकसान न पहुंचाएं। संस्था किसी देश को लोन देने वाली हो, तो उस पर भारत की तरफ से राय देना। क्या भारत अपने दम पर नहीं रुकवा सकता पाकिस्तान को मिलने वाला फंड? IMF में फैसले वोटिंग के आधार पर होते हैं। लेकिन इसमें वोट की वैल्यू अलग-अलग होती है। अमेरिकी वोट की तुलना में भारतीय वोट की वैल्यू करीब 7 गुना कम है। IMF में कोटे के आधार पर होती है वोटिंग IMF में 191 सदस्य देश हैं। सबके पास एक-एक वोट का अधिकार है। लेकिन वोट की वैल्यू अलग-अलग है। यह IMF में उस देश को मिले कोटे के आधार पर तय होती है। यानी जितना ज्यादा कोटा, वोट की वैल्यू उतनी ज्यादा। भारत के वोट की वैल्यू करीब 2.75% है। IMF में किसी देश का कोटा कितना होगा ये उसकी आर्थिक स्थिति (जैसे GDP), विदेशी मुद्रा भंडार, व्यापार और आर्थिक स्थिरता से तय होता है। अमेरिका का कोटा सबसे ज्यादा 16.5% है, इसलिए IMF में उसका वोट वीटो की तरह सबसे ताकतवर है। भारत की 2.75% जबकि पाकिस्तान की 0.43% है। वोटिंग राइट दो आधार पर मिलता है क्या है SDR? स्पेशल ड्राविंग राइट्स यानी SDR आईएमएफ IMF का बनाया एक इंटरनेशनल रिजर्व एसेट है। इसे 'IMF की इंटरनेशनल करेंसी' या 'ग्लोबल करेंसी यूनिट' कहा जा सकता है। इसका इस्तेमाल फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन के लिए किया जाता है। हालांकि ये असली करेंसी नहीं है। अमेरिका के बिना कोई फैसला नहीं लिया जा सकता IMF में कोई भी फैसला लेने के लिए 85% वोट की जरूरत होती है। अमेरिका के पास सबसे ज्यादा 16.5% वोटिंग राइट्स हैं। ऐसे म

May 10, 2025 - 18:28
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IMF ने पाकिस्तान को ₹12 हजार करोड़ का लोन दिया:भारत ने कहा- आतंकवाद को फंडिंग करना खतरनाक, वोटिंग में शामिल नहीं हुआ
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने शुक्रवार (9 मई) को क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग

IMF ने पाकिस्तान को ₹12 हजार करोड़ का लोन दिया

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को ₹12 हजार करोड़ का लोन प्रदान किया है, जो कि पाकिस्तान की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था के लिए सहायता के रूप में देखा जा रहा है। यह लोन IMF की सुविधाओं के अंतर्गत दिया गया है और इसे पाकिस्तान की वित्तीय स्थिरता को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक समझा गया है।

भारत का दृष्टिकोण

भारत ने इस लोन के संदर्भ में अपनी चिंता जताई है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान में आतंकवाद को फंडिंग करना एक गंभीर समस्या है और यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरनाक हो सकता है। भारत ने लोन की वोटिंग प्रक्रिया में भाग नहीं लिया और इस पर अपनी असहमति जताई है।

आर्थिक सहायता के फायदे और नुकसान

इस लोन के माध्यम से पाकिस्तान को अपनी मौजूदा आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी, लेकिन भारत का मानना है कि इस तरह की वित्तीय सहायता आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए बिना दी जा रही है। आर्थिक संकट से बाहर निकलने के लिए पाकिस्तान को पुनर्गठन योजनाओं का पालन करना होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि यह फंड आतंकवादियों के हाथों में न जाए।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका

IMF के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने भी कई सवाल खड़े होते हैं। क्या यह लोन पाकिस्तान को स्थायी सहायता प्रदान करने के प्रयासों का हिस्सा है, या यह सिर्फ एक अस्थायी उपाय है? भारत ने जोर दिया है कि आर्थिक सहायता केवल उस देश को दी जानी चाहिए जो आतंकवाद को रोकने में कदम उठाए।

ध्यान देने वाली बात यह है कि IMF द्वारा दी गई इस प्रकार की वित्तीय सहायता अक्सर बड़े फैसले लेने की प्रक्रिया का हिस्सा होती है, जिसमें विभिन्न देशों के विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए।

News by indiatwoday.com

निष्कर्ष

अंत में, IMF का लोन पाकिस्तान के लिए एक कदम है, लेकिन इससे जुड़े चिंताएं और भारत का स्टांस यह साफ दर्शाते हैं कि यह मुद्दा केवल वित्तीय मदद तक सीमित नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद का खतरा और इसको नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सभी देशों की है। Keywords: IMF लोन पाकिस्तान, भारत का आतंकवाद पर स्टांस, आर्थिक सहायता पाकिस्तान, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, पाकिस्तान आर्थिक संकट, आतंकवाद को फंडिंग, IMF और आतंकवाद, भारत का विरोध, पाकिस्तान की वित्तीय मदद, लोन प्रक्रिया में भारत की अनुपस्थिति.

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