SSC की तैयारी कर रहे छात्र ने दी जान:सुसाइड नोट में लिखा- मम्मी-पापा माफ करना, अच्छा बेटा नहीं बन पाया

प्रयागराज में एफाफामऊ के प्रसिद्धकापुरा इलाके में रविवार रात में वैभव कुमार सिंह(19) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वैभव भदोही जिले का रहने वाला था। उसके पिता संतोष कुमार सिंह भदरी रेलवे स्टेशन पर स्टेशन मास्टर हैं। वह बीएससी द्वितीय वर्ष के छात्र था। कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। सोमवार को मकान मालिक ने कमरे का दरवाजा बंद देखा। आवाज देने पर कोई जवाब नहीं मिला। खिड़की से झांककर देखा तो वैभव का शव पंखे से लटका हुआ था। पुलिस को सूचना दी गई। कमरे की तलाशी में एक सुसाइड नोट मिला। नोट में वैभव ने लिखा था - "माफ करना मम्मी-पापा, मैं अच्छा बेटा नहीं बन पाया।" वैभव के माता-पिता कुछ दिन पहले ही गांव गए थे। इस वजह से वह कमरे में अकेले रह रहे थे। स्थानीय लोगों के अनुसार वैभव शांत और अनुशासित छात्र थे। वह पढ़ाई में गंभीर थे और किसी से ज्यादा मेलजोल नहीं रखते थे। मंगलवार को पोस्टमार्टम के दौरान बेटे की लाश देखकर माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल था। पुलिस ने परिवार की तहरीर पर जांच शुरू कर दी है।

Apr 21, 2025 - 19:59
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SSC की तैयारी कर रहे छात्र ने दी जान:सुसाइड नोट में लिखा- मम्मी-पापा माफ करना, अच्छा बेटा नहीं बन पाया
प्रयागराज में एफाफामऊ के प्रसिद्धकापुरा इलाके में रविवार रात में वैभव कुमार सिंह(19) ने फांसी लगा

SSC की तैयारी कर रहे छात्र ने दी जान: सुसाइड नोट में लिखा- मम्मी-पापा माफ करना, अच्छा बेटा नहीं बन पाया

हाल ही में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें SSC की तैयारी कर रहा एक छात्र ने आत्महत्या कर ली। उसने अपने सुसाइड नोट में अपने माता-पिता से माफी मांगी और लिखा कि वह एक अच्छा बेटा नहीं बन पाया। यह घटना न केवल उसके परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि हमारे बच्चे किस मानसिक दबाव का सामना कर रहे हैं।

घटना का पृष्ठभूमि

छात्र, जो SSC की परीक्षा की तैयारी कर रहा था, उसे अपने भविष्य को लेकर काफी तनाव महसूस हो रहा था। समाज में परीक्षाओं के प्रति अत्यधिक दबाव और माता-पिता के अपेक्षाओं ने उसे इस हद तक पहुंचा दिया। यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपने बच्चों पर अपेक्षाओं का बोझ डाल रहे हैं?

सुसाइड नोट का भावनात्मक संदेश

सुसाइड नोट में छात्र ने लिखा कि उसने अपने माता-पिता को निराश किया है। उसने महसूस किया कि वह उन मानकों पर खरा नहीं उतर सका, जो उसके माता-पिता ने उसके लिए तय किए थे। यह बताता है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे हमारे समाज में कितना महत्वपूर्ण है। समय रहते अगर इसका समाधान न निकाला गया, तो ऐसे और भी मामले सामने आ सकते हैं।

समाज पर प्रभाव

यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि यह समाज में तैयारी के तनाव और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर भी प्रकाश डालती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने बच्चों को आवश्यक समर्थन और सुरक्षा दें ताकि वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें बिना किसी दबाव के।

वृत्तिनिर्माण और समर्थन

स्कूलों और शिक्षा प्रणाली को भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए विशेष कार्यक्रम विकसित करने चाहिए। माता-पिता को भी यह समझना चाहिए कि एक अच्छे बेटे या बेटी का मानदंड केवल शैक्षणिक प्रदर्शन पर नहीं, बल्कि उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है।

इस घटना को ध्यान में रखते हुए, सभी को अपने बच्चों के साथ खुलकर संवाद करना चाहिए और उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास करना चाहिए। समर्थन और प्यार से भरी पारिवारिक जगह उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस प्रकार की घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि हमें सामाजिक दबावों से उबरने और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखने की आवश्यकता है। कृपया ध्यान रखें, किसी भी समस्या का समाधान हमेशा है और आप अकेले नहीं हैं।
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