UK सांसद बोले-भारत से जलियांवाला पर माफी मांगे ब्रिटिश सरकार:बॉब ब्लैकमैन ने संसद में कहा- यह हमारे साम्राज्य पर धब्बा
ब्रिटेन में विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने ब्रिटेन सरकार से 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए भारत के लोगों से औपचारिक तौर पर माफी मांगने को कहा है। उन्होंने गुरुवार को संसद में कहा कि ब्रिटिश सरकार को 13 अप्रैल से पहले माफी मांगनी चाहिए। अगले महीने जलियांवाला बाग हत्याकांड की 106वीं बरसी मनाई जाएगी। ब्रिटिश सांसद ब्लैकमैन ने अपने भाषण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी शेयर किया है। ब्लैकमैन ने अपने भाषण में कहा- बैसाखी के दिन कई सारे लोग शांतिपूर्वक तरीके से अपने परिवार के साथ जलियांवाला बाग में शामिल हुए थे। जनरल डायर ने ब्रिटिश सेना की तरफ से अपने सैनिकों को भेजा और मासूम लोगों पर तब तक गोलियां चलाने का आदेश दिया था, जब तक उनकी गोलियां खत्म न हो जाएं। सांसद ब्लैकमैन ने कहा- जालियावांला हत्याकांड ब्रिटिश साम्राज्य पर एक धब्बा है। इसमें 1500 लोग मारे गए थे और 1200 घायल हुए थे। आखिरकार, ब्रिटिश साम्राज्य पर इस दाग के लिए जनरल डायर को बदनाम किया गया। ब्रिटिश सांसद ने आगे कहा- तो क्या हम सरकार से बस एक बयान हासिल कर सकते हैं जिसमें यह माना गया हो कि क्या गलत हुआ था और क्या औपचारिक तौर पर भारत के लोगों से माफी मांगी गई थी? किसी ब्रिटिश PM ने अब तक माफी नहीं मांगी आज तक किसी भी ब्रिटिश पीएम ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए माफी नहीं मांगी है। हालांकि कई ब्रिटिश नेताओं ने समय-समय पर इसके लिए खेद जाहिर जरूर किया है लेकिन आधिकारिक तौर पर माफी नहीं मांगी गई है। साल 2013 में तत्कालीन ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन ने 2013 में जलियांवाला बाग स्मारक का दौरा किया था। उन्होंने हत्याकांड को शर्मनाक घटना कहा था लेकिन कभी माफी नहीं मांगी थी। इसके बाद ब्रिटिश पीएम थेरेसा मे ने 10 अप्रैल को 2019 में इस हत्याकांड से 100वीं वर्षगांठ से पहले बयान दिया था। थेरेसा मे ने जलियांवाला बाग हत्याकांड को ब्रिटिश-भारतीय इतिहास का सबसे शर्मनाक धब्बा करार दिया था। उन्होंने भी अफसोस जताया था लेकिन माफी नहीं मांगी थी। साल 1997 में भारत दौरे के दौरान ब्रिटिश क्वीन एलिजाबेथ ने इसे एक दुखद मामला बताया था। अफसोस जताते हैं फिर माफी क्यों नहीं मानते ब्रिटिश नेता एक्सपर्ट्स के मुताबिक जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए अगर ब्रिटिश सरकार आधिकारिक तौर पर माफी मांगे तो वह कई कानूनी और वित्तीय जिम्मेदारियों में फंस सकती है। अगर माफी मांगी जाती है, तो यह पीड़ित परिवारों की तरफ से मुआवजे की मांग को मजबूत कर सकता है। ब्रिटेन इस तरह के वित्तीय बोझ से बचना चाहता है, क्योंकि औपनिवेशिक इतिहास में ऐसी कई घटनाएं हैं, जिनके लिए माफी मांगने की नजीर बन सकती है। रौलट एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन करने जलियांवाला बाग आए थे लोग ब्रिटिश सरकार भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए रौलट एक्ट लेकर आई थी। इसमें बिना मुकदमे के हिरासत में लेने और गुप्त रूप से सुनवाई करने जैसे प्रावधान थे। इसे लेकर भारतीय लोगों में गुस्सा था। इसी के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए लोग जलियांवाला बाग में जुटे थे। इस सभा में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे। ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर ने बिना किसी चेतावनी के अपनी सेना को गोली चलाने का आदेश दिया। इस सेना में गोरखा और बलूच रेजिमेंट के सैनिक शामिल थे, जो ब्रिटिश भारतीय सेना का हिस्सा थे। ब्रिटिश सरकार के मुताबिक इस नरसंहार में 379 लोग मारे गए थे। लेकिन कहा जाता है कि मरने वालों की संख्या 1000 से ज्यादा थी। जलियावांला बाग से निकलने का रास्ता एक ही था। संकरा रास्ता होने की वजह से लोग भाग नहीं सके। कई लोग जान बचाने के लिए कुएं में कूद गए, जहां बाद में उनकी लाशें मिलीं। डायर के ऐसा करने का मकसद निहत्थे लोगों में दहशत फैलाना था, ताकि आजादी की मांग को दबाया जा सके। इस हत्याकांड ने पूरे भारत में आक्रोश की लहर पैदा की। रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी 'नाइटहुड' की उपाधि त्याग दी, और महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया।

UK सांसद बोले-भारत से जलियांवाला पर माफी मांगे ब्रिटिश सरकार
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जलियांवाला बाग नरसंहार की पृष्ठभूमि
1919 में, अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार ने भारतीयों के दिलों में आज भी एक गहरा घाव छोड़ा है। इस घटना में, ब्रिटिश सेना ने निहत्थे भारतीयों पर गोलियां चलाईं, जिससे सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए। आज, जब हम इतिहास की इन क painful घटनाओं को देखते हैं, यह जरूरी है कि हम उनसे सीखें और आगे बढ़ें।
बॉब ब्लैकमैन का बयान
हाल ही में, ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन ने संसद में एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार को भारत से जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए औपचारिक माफी मांगनी चाहिए। ब्लैकमैन ने इसे ब्रिटिश साम्राज्य का एक बड़ा धब्बा करार दिया और कहा कि यह समय है कि हम अपने अतीत को स्वीकार करें। उनके अनुसार, यह माफी ना केवल भारतीयों के लिए बल्कि हमारे साम्राज्य के इतिहास के लिए भी महत्वपूर्ण है।
माफी की आवश्यकता और सामाजिक न्याय
ब्लैकमैन का मानना है कि माफी के माध्यम से हम एक सकारात्मक संदेश पहुंचा सकते हैं। यह आपसी समझ और सामाजिक न्याय की ओर एक कदम है, जो दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि यह हमें अपने अतीत को सुधारने और भविष्य की ओर देखने का अवसर देगा।
समाज में प्रतिक्रिया
ब्लैकमैन के बयान के बाद, विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस पर अपनी राय व्यक्त की है। कई लोगों का मानना है कि माफी मांगना एक आवश्यक कदम है, जबकि कुछ का मानना है कि यह केवल एक आधिकारिक बयान है। इस मामले पर चर्चा अब भी चल रही है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि ब्रिटिश सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।
आगे का मार्ग
यदि ब्रिटिश सरकार इस माफी को स्वीकार करती है, तो यह एक नई शुरुआत का प्रतीक बन सकती है। यह कदम एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाने में मदद करेगा, जहां दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे। ऐसे कदमों से आने वाली पीढ़ियों को अतीत से सीखने और आगे बढ़ने का मजबूत आधार दिया जा सकता है।
जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए माफी मांगने की बात एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए, ताकि सभी पक्षों की आवाज सुनी जा सके।
अंत में
आशा करते हैं कि यह चर्चा न केवल भारत और ब्रिटेन के संबंधों को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि हमें अपने अतीत से सीखने का अवसर भी प्रदान करेगा।
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