अमेरिका की रूस-यूक्रेन वॉर रुकवाने की कोशिश के बीच खुलासा:17 साल बाद ब्रिटेन में अमेरिकी परमाणु हथियारों की तैनाती की तैयारियां शुरू

फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका दो दशक (करीब 17 साल) बाद ब्रिटेन में अपने परमाणु हथियार तैनात करने की योजना बना रहा है। राष्ट्रपति ट्रम्प के रुस-यूक्रेन वॉर को रुकवाने की कोशिशों के बीच इस रिपोर्ट का खुलासा चौकाने वाला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि सैफॉक स्थित आरएएफ लैकेनहीथ बेस में 22 परमाणु बंकरों को अपग्रेड किया गया है। इन बंकरों में अंडरग्राउंड चेम्बर हैं, जिनमें से प्रत्येक में 4 परमाणु हथियार रखे जा सकते हैं। लैकेनहीथ बेस ब्रिटेन में अमेरिकी एयरफोर्स का का सबसे बड़ा बेस है। और यूरोप के प्रमुख सैन्य ठिकानों में से एक है। यहां परमाणु-सक्षम एफ-15ई स्ट्राइक ईगल और एफ-35ए लाइटनिंग II लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन तैनात हैं। अमेरिका को जवाब देने के लिए रूस ने पश्चिमी हिस्से में कई परमाणु हथियार तैनात किए हैं। दुनिया के 9 देशों के पास 12 हजार एटम बम, रूस टॉप पर विशेष हथियार' साइट को अपग्रेडेशन की लिस्ट में जोड़ा रूस बोला- वक्त आने पर सही जवाब दिया जाएगा 1954 में आरएएफ लैकेनहीथ सहित ब्रिटेन के ठिकानों पर अमेरिकी परमाणु बम तैनात किए गए थे। 1990 में 33 बंकर थे जो 132 अमेरिकी परमाणु हथियारों को संग्रहीत करने में सक्षम थे। शीत युद्ध की समाप्ति के साथ तनाव कम होने पर 2008 में जब जॉर्ज डब्ल्यू बुश राष्ट्रपति थे, ब्रिटेन से सभी अमेरिकी परमाणु हथियार हटा दिए गए थे। नए खुलासे पर रूसी राष्ट्रपति भवन क्रैमलीन ने इस योजना को तनाव बढ़ाने वाला बताया और कहा कि आने पर 'प्रतिपूरक जवाब' देंगे। ................................. परमाणु हथियार से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... अमेरिका ने 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं से बैन हटाया:20 साल से लगा था प्रतिबंध; अमेरिकी NSA ने परेशानियां दूर करने की बात कही थी अमेरिका ने 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं पर 20 साल से लगा प्रतिबंध हटाया। इसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) और इंडियन रेयर अर्थ (IRE) के नाम हैं। वहीं, अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चाइना की 11 संस्थाओं को प्रतिबंध की लिस्ट में जोड़ा है। यूनाइटेड स्टेट्स ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (BIS) ने इसकी पुष्टि की है। पूरी खबर पढ़ें...

Mar 10, 2025 - 04:00
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अमेरिका की रूस-यूक्रेन वॉर रुकवाने की कोशिश के बीच खुलासा:17 साल बाद ब्रिटेन में अमेरिकी परमाणु हथियारों की तैनाती की तैयारियां शुरू
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका दो दशक (करीब 17 साल) बाद ब्रिटेन मे

अमेरिका की रूस-यूक्रेन वॉर रुकवाने की कोशिश के बीच खुलासा: 17 साल बाद ब्रिटेन में अमेरिकी परमाणु हथियारों की तैनाती की तैयारियां शुरू

News by indiatwoday.com

ब्रिटेन में अमेरिकी परमाणु हथियारों की तैनाती

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच, अमेरिका ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 17 साल बाद ब्रिटेन में परमाणु हथियारों की तैनाती के लिए तैयारियों की घोषणा की है। यह कदम न केवल द्विपक्षीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भौगोलिक और राजनीतिक स्थिरता को भी प्रभावित करेगा। अमेरिका का यह प्रयास रूस की आक्रामकता को रोकने और यूक्रेन में जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिए एक रणनीतिक पहल माना जा रहा है।

रूस-यूक्रेन युद्ध का संदर्भ

यूक्रेन में चल रहे संघर्ष ने वैश्विक राजनीति में गहरा असर डाला है। इस युद्ध ने NATO और अमेरिका जैसे देशों को अपने रक्षा नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इस तरह की तैनाती NATO के सहयोगियों को सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगी और संभावित खतरों का सामना करने की क्षमता को बढ़ाएगी।

पारस्परिक सुरक्षा की आवश्यकता

इस समय, अमेरिका और ब्रिटेन के बीच सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। परमाणु हथियारों की तैनाती इस बात का संकेत हो सकता है कि अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सामूहिक सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है। यह कदम यूरोप में सुरक्षा कूटनीति को भी प्रभावित करेगा और ख़ासकर पूर्वी यूरोप में तनाव को कम करने का प्रयास होगा।

भविष्य की रणनीतियाँ

अमेरिका की यह रणनीति न केवल रूस को जवाब देने के लिए है, बल्कि यह यूक्रेन के नागरिकों के लिए भी सुरक्षा का संदेश प्रदान करती है। निकट भविष्य में, अमेरिका और ब्रिटेन का समन्वय यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि युद्ध को रोकने की संभावनाएँ बढ़ें। इस संदर्भ में, अमेरिकी और ब्रिटिश अधिकारियों के बीच ongoing dialogues को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

निष्कर्ष

अमेरिका की ब्रिटेन में परमाणु हथियारों की तैनाती न केवल राजनीतिक स्थिति को प्रभावित करेगी, बल्कि यह वैश्विक सुरक्षा में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। साथ ही, यह उम्मीद भी जताता है कि भविष्य में रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। इसके परिणामों पर पूरे विश्व की नजर रहेगी।

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