आजमगढ़ में 41 साल से इंसाफ की आस में भाई:1984 में भतीजे भाई को गोली मारने वाले हिस्ट्रीशीटर ने 35 साल की होमगार्ड की नौकरी, भाई बोला मिले फांसी
आजमगढ़ जिले के जहानागंज थाना क्षेत्र के रहने वाले मनीराम उर्फ मुन्नू की 1984 में गोली मारकर हत्या करने वाले आरोपी 41 साल बाद भी मौज से होमगार्ड की नौकरी करता रहा। अभियोजन की दुहाई देने वाली पुलिस इस आरोपी के बारे में इन 41 वर्षों में न तो कोई जानकारी जुटा पाई और न ही हत्या, डकैती के आरोपी आपराधिक होमगार्ड को सजा दिलवा पाई। यही कारण है कि हत्या और डकैती के आरोपी ने सिस्टम को चुनौती देते हुए 35 साल तक जिले के मेंहनगर थाना क्षेत्र में होमगार्ड की ड्यूटी कर पूरे सिस्टम को मुंह चिढ़ाता रहा। आरोपी के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया है। भाई और भतीजे की हत्या करने वाले हिस्ट्रीशीटर नंदलाल उर्फ नकदू की पोल खुलने के बाद मृतक मनीराम उर्फ मुन्नू के भाई रामधनी का दर्द छलक पड़ा। दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए रामधनी का कहना है कि जिस पुलिस के साथ रहने के कारण मेरे भाई और भतीजे की हत्या हुई। वह पुलिस यदि चाहती तो मेरे भाई के हत्यारों को सजा मिलती पर दुर्भाग्य से वह पुलिस भी मेरे साथ नहीं खड़ी हुई। यही कारण है कि भाई की हत्या के इतने दिनों बाद भी मुझे इंसाफ नहीं मिल सका। यह कहते-कहते रामधनी की आंखे भर आई। उम्र के 70 वर्ष पूरा कर चुके रामधनी का कहना है कि ऐसे हत्यारे को फांसी की सजा मिलनी चाहिए। आइए जानते हैं भाई-भतीजे की हत्या मामले में इंसाफ न मिलने पर क्या बोला भाई आजमगढ़ जिले के जहानागंज थाना क्षेत्र के रहने वाले बलकू यादव के चार बेटे थे। चार बेटों में सबसे बड़ा बेटा मनीराम उर्फ मुन्नू जो कि घर पर रहता था। जबकि तीनों और बेटे रामधनी यादव, श्रीराम यादव और हरिशंकर यादव दिल्ली में मंडी में काम किया करते थे। मनीराज उर्फ मुन्नु का थाने पर काफी आना-जाना था। यही कारण है कि अपराधिक छवि का नंदलाल यादव नकदू इस बात से चिढ़ता था कि कहीं मनीराम उर्फ मुन्नू पुलिस से मेरी मुखबिरी न कर दे। इसी शक में मनीराम उर्फ मुन्नू के पहले बेटे नगीना जिसकी उम्र लगभग 14 वर्ष की थी की रस्सी से बांधकर हत्या कर डेडबॉडी को तालाब में फेंक दिया। इस घटना के कुछ दिन बाद ही आरोपी ने मनीराम उर्फ मुन्नू की 1984 में गोली मारकर हत्या कर दी। इस मामले में मृतक की पत्नी कौल देई ने इस मामले की शिकायत दर्ज कराई थी। इसी आधार पर जहानागंज थाने में इस मामले में आरोपी नंदलाल यादव उर्फ नकदू के विरूद्ध 1984 में धारा 302 हत्या और 201 की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। बेटे का तय कर चुके थे विवाह दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए मृतक के भाई रामधनी ने बताया कि जिस भाई मनीराम की 1984 में हत्या हुई। उस भाई ने अपने बेटे का विवाह तय कर लिया था। इस बारे में चिट्ठी लिखकर जानकारी दी थी। दिल्ली में रह रहे भाईयों ने विवाह में हर संभव मदद का भरोसा दिलाया था और कपड़े की खरीददारी भी दिल्ली मे की गई। कपड़े खरीदकर भाई जब बस से आजमगढ़ पहुंचे तो पता चला कि चार दिन पूर्व भाई की हत्या हो चुकी है। घर पहुंचने पर हमारी भाभी कौल देई ने बताया कि यह हत्या नंदलाल उर्फ नकदू ने की है। मामले की जानकारी होते ही हम लोग बेहोश हो गए। हम लोगों को कुछ नहीं समझ आ रहा था कि क्या करें। थाने पर जाने से चिढ़ता था आरोपी इस बारे में मृतक के भाई रामधनी ने बताया कि मेरे बड़े भाई मनीराम उर्फ मुन्नू का थाने पर आना जाना रहता था। ऐसे में आरोपी इस बात से चिढ़ता था। आरोपी मनबढ़ और आपराधिक किस्म का था। इसलिए आरोपी ने भाई और भतीजे की हत्या कर दी। नहीं मिला पुलिस से सहयोग, आरोपी को मिले फांसी दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए मृतक मनीराम उर्फ मुन्नू के भाई रामधनी ने बताया कि पुलिस का सहयोग करने वाले मेरे भाई की हत्या के बाद पुलिस से जो सहयोग चाहिए था। वह नहीं मिला नहीं तो आरोपी आज सजा काट रहा होता। छोटे भाई रामधनी का कहना है कि भाई की हत्या के 41 वर्ष बाद भी हमें इंसाफ नहीं मिला। हमारी मांग है कि आरोपी होमगार्ड नंदलाल यादव उर्फ नकदू को फांसी की सजा हो। कौन है नंदलाल उर्फ नकदू जिसने हिस्ट्रीशीटर बनकर की 35 साल तक होमगार्ड की नौकरी आजमगढ़ जिले में हत्या, डकैती, लूट और चोरी के आरोपी नंदलाल यादव ने 35 वर्षों तक आजमगढ़ की पुलिस और इंटीलेजेंस की आंख में जमकर धूल झोंकी। हत्या, हत्या के मामले में साक्ष्य छुपाने, डकैती जैसी घटनाओं के आरोपी गैंगेस्टर ने सितंबर 1989 में होमगार्ड में भर्ती भी हो गया और तब से लेकर 2024 तक आजमगढ़ जिले में बेखौफ होकर जिले के रानी की सराय और मेंहनगर थाने में नौकरी भी करता रहा। इस मामले की जानकारी न तो जिले के पुलिस कर्मियों को हुई और न ही लोकल इंटेलीजेंस को। तीन दिसंबर को इस मामले की शिकायत आजमगढ़ मंडल के डीआईजी से की गई। जिसके बाद मामले की जांच जब डीआईजी ने कराई तो बातें सत्य पाई गई। जिसके बाद पुलिस ने मामले में आनन-फानन में मुकदमा दर्ज किया। इस मामले की जानकारी मिलने के बाद होमगार्ड कमांडेंट मनोज सिंह बघेल ने आरोपी होमगार्ड को निलंबित कर दिया है। आरोपी के आपराधिक कुकृत्य को देखते हुए आरोपी के विरूद्ध बर्खास्तगी के लिए शासन को पत्र लिखा जाएगा जिसके आधार पर आरोपी की बर्खास्तगी कराई जाएगी। आरोपी नकदू उर्फ नंदलाल पर 1984 में जहानागंज थाने में 302, 201 धारा में तो 1987 में मुकदमा जबकि मेंहनगर थाने में अपराध संख्या 17/ 1987 में धारा 395/ 397 डकैती और डकैती के दौरान हत्या करने का भी मुकदमा दर्ज हुआ। इन्हीं दोनो आपराधिक मुकदमों के आधार पर आरोपी नंदलाल के विरूद्ध गैंगेस्टर की भी कार्रवाई 1988 में की गई। जिसकी हिस्ट्रीशीट नंबर 52A है। नाम बदल कर हुआ होमगार्ड आजमगढ़ का रहने वाला नकदू यादव कक्षा चार तक गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ा है। आरोपी ने कक्षा आठ का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर होमगार्ड की नौकरी हासिल किया। 1990 के पहले तक आरोपी की पहचान नकदू यादव पुत्र लोकई यादव के रूप में थी। 1990 में आरोपी नकदू से नंदलाल बन गया। हिस्ट्रीशीटर बनने के बाद बना होमगार्ड आरोपी होमगार्ड नंदलाल यादव पर भले ही हत्या, डकैती, डकैती के दौरान हत्य

आजमगढ़ में 41 साल से इंसाफ की आस में भाई: भाई की न्याय की मांग
आजमगढ़ जिले में एक भाई 41 साल से इंसाफ की तलाश कर रहा है। यह कहानी 1984 की है, जब एक हिस्ट्रीशीटर ने उसके भतीजे को गोली मारी थी। इस जुर्म के बाद भतीजा अपनी जान से हाथ धो बैठा, और अब परिवार न्याय की उम्मीद में संघर्ष कर रहा है। भाई ने कहा है कि उसे 35 साल की होमगार्ड की नौकरी करने वाले अपराधी को फांसी मिलनी चाहिए। यह मामला आजमगढ़ में चर्चा का विषय बना हुआ है और इसे लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं।
मामले का इतिहास
1984 में हुआ यह खौफनाक अपराध आज भी भुलाया नहीं गया है। भाई का कहना है कि उन्होंने पुलिस से लेकर न्यायालयों तक अपने चारों तरफ इंसाफ की मांग की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हिस्ट्रीशीटर, जो अब तक कई अपराधों में लिप्त रहा है, अपनी पकड़ को बरकरार रखने में कामयाब रहा है।
भाई की गहरी चिंता
भाई ने बताया कि यह न केवल उसके परिवार के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक खतरे की घंटी है। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि हमारा केस सही तरीके से सुना जाए और हमें न्याय मिले। इन अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि ऐसे अपराध दोबारा न हो सकें।"
लोकल प्रशासन की भूमिका
स्थानीय प्रशासन के अधिकारी भी इस मामले पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, लंबे समय के बाद भी उचित कार्रवाई न होने से समाज में निराशा का माहौल बना हुआ है। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर इतने सालों के बाद भी इस गंभीर मुद्दे पर ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए।
भाई की आस है कि किसी तरह इंसाफ मिल सके। उनकी आवाज को सुनना और इस सच्चाई को सुनिश्चित करना जरूरी है।
आजमगढ़ में हुई इस घटना ने न केवल परिवार को प्रभावित किया है बल्कि समुदाय को भी जागरूक किया है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर कई चर्चाएँ चल रही हैं। भाई का कहना है कि अगर उन्हें इंसाफ नहीं मिला, तो न्याय की आस को और भी बेकार समझेंगे।
न्याय के इस लंबे सफर में लोगों की एकजुटता महत्वपूर्ण होगी। इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई के समय पर सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। News by indiatwoday.com Keywords: आजमगढ़ इंसाफ, 1984 भतीजे गोली, हिस्ट्रीशीटर मामले, भाई न्याय की मांग, होमगार्ड नौकरी, आजमगढ़ में अपराध, स्थानीय प्रशासन भूमिका, समाजिक सतर्कता, न्यायालय सुनवाई, इंसाफ की आस
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