इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट पर प्रतिबंध की तैयारी में अमेरिका:संसद के निचले सदन में बिल पास, इजराइली PM के खिलाफ अरेस्ट वारंट का विरोध

अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव ने गुरुवार को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) पर प्रतिबंध लगाने से जुड़ा पास कर दिया। अमेरिका ने ये कदम इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेंट के खिलाफ ICC की तरफ से जारी किए गए अरेस्ट वारंट के बाद उठाया है। इस बिल पर वोटिंग के दौरान 243 सांसदों ने इसके पक्ष में वोट किया, वहीं 140 सांसदों ने इसके विरोध में वोट किया। समर्थन करने वालों में रिपब्लिकन पार्टी के 198 और डेमोक्रेटिक पार्टी के 45 सांसद थे। किसी भी रिपब्लिकन सांसद ने बिल का विरोध नहीं किया। नेतन्याहू और गैलेंट के खिलाफ गाजा में युद्ध अपराध, मानवाधिकार उल्लंघन और नरसंहार के लिए ICC ने अरेस्ट वारंट जारी किया है। ICC पर पहले भी प्रतिबंध लगा चुका अमेरिका अमेरिका पहले भी ICC पर प्रतिबंध लगा चुका है। इससे पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2020 में ICC पर प्रतिबंध लगाए थे। दरअसल, ICC ने अफगानिस्तान में अमेरिका और फिलिस्तीन में इजराइल की आपराधिक गतिविधियों की जांच शुरू कर दी थी। इसके खिलाफ ट्रम्प प्रशासन ने ICC पर प्रतिबंध लगाए थे। हालांकि बाद में जो बाइडेन ने राष्ट्रपति बनने के बाद इन प्रतिबंधों को हटा दिया था। गुरुवार को हाउस से बिल पास होने के बाद विदेश मामलों की समिति के रिपब्लिकन अध्यक्ष ब्रायन मास्ट ने कहा कि एक कंगारू कोर्ट हमारे सहयोगी इजराइल के PM को गिरफ्तारी करना चाहती है, इसलिए अमेरिका ये कानून पारित कर रहा है। नेतन्याहू के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी होने के बाद कई देशों ने अलग-अलग रुख अपनाया है। ICC के पास गिरफ्तारी की पावर नहीं ICC ने पिछले साल 21 नवंबर को नेतन्याहू के खिलाफ वारंट जारी किया था। हालांकि उसके पास गिरफ्तारी करने की शक्तियां नहीं हैं। इसके लिए वह अपने सदस्य देशों पर निर्भर है। वह सिर्फ उन देशों में अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकता है, जिन्होंने इस कोर्ट की स्थापना करने वाले समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। 2002 में शुरू हुआ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट 1 जुलाई 2002 को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी ICC की शुरुआत हुई थी। ये संस्था दुनियाभर में होने वाले वॉर क्राइम, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच करती है। ये संस्था 1998 के रोम समझौते पर तैयार किए गए नियमों के आधार पर कार्रवाई करती है। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का मुख्यालय द हेग में है। ब्रिटेन, कनाडा, जापान समेत 123 देश रोम समझौते के तहत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के सदस्य हैं। --------------------------------- नेतन्याहू और ICC वारंट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... नेतन्याहू पर पश्चिमी देश बंटे:कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी होने पर अमेरिका नाराज; ब्रिटेन, इटली और कनाडा बोले- हमारे यहां आए तो गिरफ्तार करेंगे

Jan 10, 2025 - 08:45
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इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट पर प्रतिबंध की तैयारी में अमेरिका:संसद के निचले सदन में बिल पास, इजराइली PM के खिलाफ अरेस्ट वारंट का विरोध
अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव ने गुरुवार को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) पर प्

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट पर प्रतिबंध की तैयारी में अमेरिका

अमेरिका ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में, अमेरिकी संसद के निचले सदन ने एक बिल को पास किया है जो ICC के खिलाफ उठाए गए कुछ खास कदमों को पेश करता है। इस बिल का मुख्य उद्देश्य इस्लामिक आतंकवादियों और उनके खिलाफ जारी अदालती वारंट के खिलाफ अमेरिका के विरोध को मजबूत करना है।

अमेरिका का फैसला और उसके प्रभाव

यह कदम इजराइली प्रधानमंत्री के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट द्वारा जारी किए गए अरेस्ट वारंट के संदर्भ में उठाया गया है। अमेरिका का मानना है कि ICC का यह कदम न केवल इजरायल के खिलाफ है, बल्कि यह सभी लोकतांत्रिक देशों की संप्रभुता को भी चुनौती देता है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी चर्चा उत्पन्न की है और इसके कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।

क्यों उठाया गया यह कदम?

अमेरिका का मानना है कि ICC का न्यायालयिक अधिकार कुछ देशों, विशेषकर अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए खतरे का कारण बन सकता है। बिल के तहत, अमेरिका ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि घरेलू मामले ICC की पहुंच से बाहर रहें। इसके अलावा, यह कदम इस बात को भी दर्शाता है कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय न्याय व्यवस्था में अपनी भूमिका को लेकर गंभीर है।

सीधे और अप्रत्यक्ष परिणाम

इस प्रकार के निर्णयों के परिणाम दूरगामी हो सकते हैं। अमेरिकी कांग्रेस द्वारा यह कदम उठाने के बाद, कई विशेषज्ञ इसकी संभावित राजनीतिक और आर्थिक प्रभावों की चर्चा कर रहे हैं। यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बीच तनाव को भी बढ़ा सकता है और अमेरिकी विदेश नीति को प्रभावित कर सकता है।

इजराइल और अमेरिका के बीच गहरे संबंध हैं, और इस मामले में उठाए गए कदम निश्चित रूप से दोनों देशों के बीच सहयोग को प्रभावित कर सकते हैं। ICC पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी से न केवल कानून और न्याय व्यवस्था में बदलाव संभव हैं, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर भी असर डाल सकता है।

अंततः, यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका ICC के खिलाफ अपने इस अभियान को कैसे आगे बढ़ाता है और इसके गहरे परिणाम क्या होते हैं।

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