इंस्पेक्टर ने राइफल से खुद को मारी गोली:प्रयागराज में अकेले रह रहे थे, रीढ़ की हड्‌डी में बीमारी से परेशान थे, वाराणसी में थी तैनाती

प्रयागराज में क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर तरूण पांडेय ने अपनी लाइसेंसी राइफल से सिर में गोली मारकर सुसाइड कर लिया। वाराणसी में तैनात थे लेकिन कुछ दिनों से प्रयागराज स्थित अपने मकान पर ही अकेले रहते थे। रीढ़ की हड्‌डी में बीमारी के चलते वह परेशान थे। शाम करीब 5 बजे उन्होंने ट्रैफिक चौराहे के पास स्थित म्योर रोड पर स्थित अपने मकान पर सुसाइड किया। गोली की तेज आवाज सुनने के बाद आसपास के लोगों ने डायल 112 को सूचना दी। मौके पर जब पुलिस पहुंची तो वह मृत अवस्था में अपने बेडरूम में खून से लथपथ मिले। बताया जा रहा है कि वह 6 महीने से सस्पेंड चल रहे थे। दिल्ली से उनका इलाज चल रहा था। बताया जा रहा है कि वह कुछ दिनों से सस्पेंड भी चल रहे थे। आइए बताते हैं सिलसिलेवार क्या हुआ मृतक इंस्पेक्टर तरूण पांडेय गोंडा जनपद के बैजलपुर गांव के रहने थे। एक पड़ोसी ने बताया कि रविवार को शाम करीब 5 बजे तरूण पांडेय के मकान से गोली चलने की आवाज सुनाई दी। आसपास रहने वाले लोगों को पहले लगा कि ठीक बगल में ही पुलिस लाइन है शायद वहां से आवाज आई है। लोगों ने आशंका होने पर इसकी सूचना डायल 112 को दे दी। मौके पर पुलिस पहुंची तो गेट अंदर से बंद था। पुलिस वाले बाउंड्री कूदकर अंदर घुसे और इंस्पेक्टर तरूण पांडेय को खोजते हुए उनके बेडरूम तक पहुंचे। बेड पर गिरे थे, पैर के पास राइफल पड़ी थी इंस्पेक्टर तरूण पांडेय के सिर से खून निकल रहे थे। दोनों पैर जमीन की तरफ थे और पैर के बीच में राइफल पड़ी हुई थी। हाफ पैंट व बनियाइन पहने इंस्पेक्टर अपने बेड पर गिरे पड़े थे। जमीन पर बीयर की एक बोतल भी गिरी हुई थी। सूचना पर DCP सिटी अभिषेक भारती भी मौके पर पहुंच गए। छानबीन की गई। राइफल को जब्त कर लिया गया। चूंकि इंस्पेक्टर यहां अकेले थे इसलिए शव को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया और इसकी सूचना परिवार वालों को दे दी गई। पत्नी बेटे पास बंगलुरू गई थीं, ड्राइवर को भी दी थी छुट्‌टी थरवई का रहने वाले सुनील यादव मृतक इंस्पेक्टर तरूण पांडेय की कार चलाता था। उसने बताया साहब ने हमें 10 दिन पहले छुट्‌टी दी थी और कहा था कि तुम अपने घर जाओ और हम इलाज के लिए दिल्ली जा रहे हैं। लौट कर दिल्ली आने पर हम कॉल करके बुलाएंगे। शनिवार को ही वह दिल्ली से प्रयागराज लौटे थे। पत्नी पूनम पांडेय होली के समय ही अपने बेटे ईशान के पास बंगलुरू गई हुई थीं। मार्च में ही उन्हाेंने अपनी बेटी अंशु की शादी की थी। रविवार की देर रात बेटी अंशु पति के साथ लखनऊ से प्रयागराज स्थित अपने पापा के घर पहुंच गई। देर रात गोंडा से इंस्पेक्टर के परिवार व सगे संबंधी भी आ गए। साहब, मुझे बेटे की तरह मानते थे ड्राइवर सुनील ने बताया कि “साहब (तरूण पांडेय) उसे बेटे की तरह मानते थे। मैं उनके लिए खाना भी बनाता था। वह हमें हमेशा कहते थे कि कोई दिक्कत हो तो मुझे बताना।” सुनील के पिता इंस्पेक्टर के घर काफी दिनों से दूध भी देते हैं। इसलिए सुनील भी परिवार के सदस्य की तरह रहता था।

Apr 7, 2025 - 07:00
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इंस्पेक्टर ने राइफल से खुद को मारी गोली: प्रयागराज में अकेले रह रहे थे

प्रयागराज से एक दुखद समाचार सामने आया है जिसमें एक इंस्पेक्टर ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। यह घटना हाल ही में तब घटी जब उन्होंने अपनी राइफल से खुद को गोली मार ली। इस इंस्पेक्टर की पहचान अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है, लेकिन उनके अकेले रहने के कारण और रीढ़ की हड्डी में गंभीर बीमारी से जूझने के चलते यह कदम उठाने को मजबूर हो गए।

बीमारी का दबाव और अकेलापन

जानकारों के अनुसार, यह इंस्पेक्टर काफी समय से रीढ़ की हड्डी की समस्या से परेशान थे। उनके अकेले रहने के कारण, वे मानसिक तनाव में आ गए थे। प्रयागराज के इस मामले ने लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को एक बार फिर रेखांकित किया है। कई बार, लोग अपने संघर्षों को साझा नहीं कर पाते और इस प्रकार के दुखद स्थितियों का सामना करते हैं।

वाराणसी में तैनाती

यह इंस्पेक्टर एक बार पहले वाराणसी में तैनात थे, वहीं से उन्हें प्रयागराज ट्रांसफर किया गया था। उनकी इस स्थानांतरण के पीछे क्या कारण थे, यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन उनके मानसिक स्वास्थ्य के साथ संबंधित मुद्दे और उनकी स्थिति अब सामने आ रही है। यह घटना उन सभी के लिए एक चेतावनी के रूप में है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।

समर्थन और संवेदनशीलता की आवश्यकता

इस घटना ने पूरे पुलिस विभाग में खलबली मचा दी है और यह याद दिलाती है कि हमें एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि लोग अपने कठिनाइयों का सामना अकेले न करें।

यह मामला हमारे समाज के लिए एक गंभीर सन्देश देता है, जिससे हमें यह सीखने की जरूरत है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए। अगर कोई भी व्यक्ति ऐसे तनावों से गुजर रहा हो, तो उसके लिए तुरंत सहायता लेना जरूरी है।

इस दुखद घटना के बाद, हमें एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है ताकि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाना, समर्थन सिस्टम बनाना, और एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील रहना बहुत जरूरी है।

निष्कर्ष में, यह घटना न केवल एक इंस्पेक्टर की कहानी है, बल्कि यह समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए। अगर आप या कोई जानकार इस प्रकार के संघर्ष से गुजर रहे हैं, तो हमेशा किसी से बात करें।

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