ईमानदारी और मेहनत से मिलेगी सफलता- न्यायमूर्ति अजय भनोट:हाईकोर्ट में ''अपने जज को जानों'' कार्यक्रम , युवा अधिवक्ताओं को गुरू -शिष्य व चेंबर परंपरा को कायम रखना होगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कहा कि ईमानदारी से कड़ी मेहनत करना सफलता पाने के लिए जरूरी है। इसके लिए युवा अधिवक्ताओं को गुरू -शिष्य व चेंबर परंपरा को कायम रखना होगा। कानूनी बारीकियों व प्रक्रिया समझने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं का मार्गदर्शन अतिआवश्यक है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा पुस्तकालय हाल में आयोजित एक कार्यक्रम ''अपने जज को जानों'' में न्यायमूर्ति अजय भनोट ने उक्त विचार प्रकट किए। न्यायमूर्ति भनोट ने कहा कि आजकल मोबाइल का चलन बढ़ गया है। इसके चलते अधिवक्ताओं के बीच मुकदमे को लेकर की जाने वाली वार्तालाप कम हो गई है। इसका असर साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने जूनियर अधिवक्ताओं से कहा कि यह मत सोचो कि मुकदमा आएगा तभी पढ़ेंगे और तभी चेंबर में बैठकर मुकदमा तैयार करेंगे। यह सोच आगे बढ़ने में बाधक है। आप प्रत्येक दिन समय से चेंबर जाइए और काम करिए। विनम्रतापूर्वक ज्ञान की ओर अग्रसर होंगे तो ज्ञान अपने आप आएगा। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी व महासचिव विक्रांत पांडेय सहित समस्त पदाधिकारियों ने न्यायमूर्ति को पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत व अभिनंदन किया। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए न्यायमूर्ति का संक्षिप्त परिचय दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि न्यायालय में बहस के दौरान धैर्य व संयम के साथ वाद से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं को मजबूती से रखना चाहिए। महासचिव विक्रांत पांडेय ने अधिवक्ताओं को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश खरे, अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, अखिलेश कुमार मिश्र, सुभाष चंद्र यादव, नीरज त्रिपाठी, नीलम शुक्ला, संयुक्त सचिव प्रेस पुनीत कुमार शक्ला, संयुक्त सचिव प्रशासन सुमित कुमार श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव लाइब्रेरी अभिजीत कुमार पांडेय, संयुक्त सचिव महिला आंचल ओझा, कोषाध्यक्ष रणविजय सिंह, उदिशा त्रिपाठी, किरन सिंह, ब्रजेश कुमार सिंह सेंगर व भारी संख्या में अधिवक्तागण मौजूद रहे।

ईमानदारी और मेहनत से मिलेगी सफलता - न्यायमूर्ति अजय भनोट
दिल्ली उच्च न्यायालय में आयोजित "अपने जज को जानों" कार्यक्रम में न्यायमूर्ति अजय भनोट ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि ईमानदारी और मेहनत से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने युवा अधिवक्ताओं से अपील की कि वे चिकित्सीय परंपरा और गुरु-शिष्य संबंध को बनाए रखें। इस कार्यक्रम में न्यायालय की कार्यप्रणाली और उसकी औपचारिकताओं को समझाने के साथ-साथ युवा अधिवक्ताओं को मार्गदर्शन देने का उद्देश्य था।
कार्यक्रम का महत्व
इस कार्यक्रम का आयोजन युवा अधिवक्ताओं के लिए किया गया ताकि वे सुधारात्मक दृष्टिकोण और न्यायालय की प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक हो सकें। न्यायमूर्ति भनोट ने बताया कि कानून में स्थायी सफलता के लिए युवाओं को मेहनती होना और ईमानदारी को अपनाना अनिवार्य है। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे अपने पेशेवर जीवन में कार्यकर्ताओं का सम्मान करें और उन परंपराओं का पालन करें जो इस पेशे को मजबूती प्रदान करती हैं।
गुरु-शिष्य परंपरा की आवश्यकता
न्यायमूर्ति ने शिष्य और गुरु के बीच संबंध को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि युवा अधिवक्ताओं को अपने अनुभव और ज्ञान को समझने के लिए अधिक अनुभवी अधिवक्ताओं से मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए। इस संदर्भ में, उन्होंने चेंबर परंपरा को जारी रखने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया, जिससे सभी युवा वकील एक सामान्य दिशा में बढ़ सकें।
निष्कर्ष
इसी प्रकार, न्यायमूर्ति अजय भनोट ने अंतिम शब्दों में कहा कि अगर युवा अधिवक्ता ईमानदारी और मेहनत को अपने पेशे में शामिल करेंगे, तो निश्चित रूप से वे इस न्यायालय में और अन्य स्थलों पर सफलता प्राप्त करेंगे। इस कार्यक्रम की सफलता का माप इसी में है कि युवा वकील न्याय की सेवा में अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभा पाएं।
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