किन्नौर के प्रथम यांबुर ने UPSC क्लियर किया:दूसरे प्रयास में 841वीं रैंक; पिता बागवान और मां आंगनबाड़ी वर्कर, DU से की पढ़ाई

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के सांगला घाटी स्थित कामरु गांव के 23 वर्षीय प्रथम यांबुर ने UPSC परीक्षा में सफलता हासिल की है। उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 841वीं रैंक हासिल की है। प्रथम के पिता व्यास सुंदर एक बागवान हैं और माता राजदेवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। प्रथम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शिवालिक पब्लिक स्कूल सांगला से प्राप्त की। उन्होंने 10+2 नॉन-मेडिकल की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय रिकांगपिओ से की। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में कला स्नातक की डिग्री हासिल की। पिछली बार असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर हुआ था चयन प्रथम का इससे पहले UPSC के माध्यम से CISF में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर चयन हुआ था। लेकिन उनका लक्ष्य IAS अधिकारी बनना था। इसलिए उन्होंने यह पद स्वीकार नहीं किया। प्रथम एक मेधावी छात्र होने के साथ-साथ खेलकूद और सह-शैक्षणिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं। उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया है। प्रथम ने हिमाचल प्रदेश के युवाओं को संदेश दिया है कि कड़ी मेहनत, लगन और समर्पण से लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। उन्होंने युवाओं से नशे से दूर रहने और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पूरी लगन से जुट जाने का आह्वान किया है।

Apr 22, 2025 - 18:59
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किन्नौर के प्रथम यांबुर ने UPSC क्लियर किया:दूसरे प्रयास में 841वीं रैंक; पिता बागवान और मां आंगनबाड़ी वर्कर, DU से की पढ़ाई
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के सांगला घाटी स्थित कामरु गांव के 23 वर्षीय प्रथम यांबुर ने UPSC परीक्

किन्नौर के प्रथम यांबुर ने UPSC क्लियर किया: दूसरे प्रयास में 841वीं रैंक

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यांबुर की सफलता की कहानी

किन्नौर के यांबुर ने अपने दूसरे प्रयास में UPSC (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) परीक्षा को सफलतापूर्वक पास किया है। उन्होंने 841वीं रैंक हासिल की है, जो उनके मेहनत और समर्पण का एक अच्छा उदाहरण है। यांबुर के पिता एक बागवान हैं और उनकी मां एक आंगनबाड़ी वर्कर हैं, जो परिवार के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।

शिक्षा का सफर

यांबुर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा किन्नौर में प्राप्त की और इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की। उनका अकादमिक प्रदर्शन हमेशा ही उत्कृष्ट रहा है। उन्होंने अपने प्रयासों से यह साबित किया है कि कठिनाईयों का सामना करके अपने लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

UPSC परीक्षा की तैयारी

यांबुर की तैयारी का सफर कठिनाइयों से भरा था। उन्हें अपने पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी कमजोरियों का विश्लेषण किया और अपने अध्ययन की रणनीतियों को बेहतर बनाया। उनके पास एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम था, जिसमें उनके परिवार और दोस्तों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

समाज के लिए एक प्रेरणा

यांबुर की सफलता न केवल उनके लिए, बल्कि उनके पूरे समुदाय के लिए गर्व की बात है। उन्होंने यह साबित किया है कि यदि आप कड़ी मेहनत करते हैं और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहते हैं, तो सफलता अवश्य मिलती है। अब वे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा हैं।

अंतिम विचार

यांबुर की यह सफलता उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ है और यह उनकी कड़ी मेहनत, लक्ष्य निर्धारण और त्याग का परिणाम है। समाज को ऐसी सफलताओं की आवश्यकता है, जो दूसरों को भी प्रेरित करें। हम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।

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