किन्नौर में पूर्व सैनिकों ने प्रदर्शन किया:बोले- वन रैंक वन पेंशन में भेदभाव हुआ, DC से मिलकर पीएम-रक्षा मंत्री को भेजा मांग पत्र
किन्नौर में आज पूर्व सैनिकों ने प्रदर्शन किया। पूर्व सैनिक संघ ने डीसी डॉ अमित कुमार शर्मा के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को ज्ञापन सौंपा। संघ के चेयरमैन इंद्र सिंह नेगी की अध्यक्षता में पूर्व सैनिकों और वीरांगनाओं ने अपनी समस्याएं रखीं। संघ ने वन रैंक वन पेंशन में कई विसंगतियों की ओर ध्यान खींचा। उनका कहना है कि सरकार ने तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए ओआरपी लागू की है। जवानों और जेसीओ की पेंशन औसत के बजाय अधिकतम पेंशन पर निर्धारित होनी चाहिए थी। ज्ञापन में कहा गया कि रैंक आधारित भेदभाव के कारण निचले रैंक के पूर्व सैनिकों में असंतोष है। सैन्य सेवा की कठिनाइयां और जीवन का जोखिम सभी रैंक के लिए समान होना चाहिए। संघ की प्रमुख मांगें हैं: - सिपाही का पे फिक्सेशन सातवें वेतन आयोग की पे मैट्रिक्स लेवल 4 से शुरू हो - सभी रिटायर्ड जवानों को ओआरपी सुविधा मिले - डिसेबिलिटी पेंशन में रैंक के आधार पर भेदभाव न हो - रिजर्विस्ट्स को भी ओआरपी की सुविधा मिले - शहीद की विधवा की पेंशन उनके रैंक के उच्चतम वेतन पर आधारित हो साथ ही, पूर्व सैनिक संघ ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने सरकार से इस मामले में कठोर कार्रवाई की मांग की है।

किन्नौर में पूर्व सैनिकों ने प्रदर्शन किया
किन्नौर में पूर्व सैनिकों द्वारा किए गए प्रदर्शन ने हाल ही में स्थानीय मीडिया का ध्यान आकर्षित किया। ये वीर सिपाही अपनी दिवंगत सेवा के प्रति सम्मान प्रकट करने के साथ-साथ "वन रैंक वन पेंशन" योजना में हो रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। पूर्व सैनिकों का कहना है कि यह योजना उन सभी सेनानियों को समान लाभ प्रदान नहीं कर रही है, जो समान रैंक पर हैं। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने स्थानीय जिला कलेक्टर से मुलाकात की और प्रधान मंत्री तथा रक्षा मंत्री को एक मांग पत्र सौंपा।
वन रैंक वन पेंशन योजना में भेदभाव
वन रैंक वन पेंशन योजना के अंतर्गत, सेना के जवानों को उनकी सेवा अवधि अनुसार समान पेंशन मिलनी चाहिए। पूर्व सैनिकों का तर्क है कि इस योजना में कुछ कमजोरियों के कारण, कई पूर्व सैनिकों को उचित पेंशन नहीं मिल रही है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि यह भेदभाव न केवल उन पूर्व सैनिकों के लिए अन्याय है, बल्कि यह उनके परिवारों के लिए भी चुनौती बनी हुई है।
प्रदर्शन का उद्देश्य
इस प्रदर्शन का प्रमुख उद्देश्य इस मुद्दे को सही तरीके से संबोधित करना और प्रशासन के स्तर पर आवश्यक कदम उठवाना है। पूर्व सैनिक चाहते हैं कि उनकी आवाज को सुना जाए और उनकी आवश्यकताओं का सम्मान किया जाए। इसके साथ ही, उन्होंने एक मजबूत संदेश दिया है कि सेना के सभी सदस्यों को समान अधिकार मिलना चाहिए।
आगे की कार्रवाई
पूर्व सैनिकों ने कहा है कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे भविष्य में और अधिक उग्र आंदोलन कर सकते हैं। इस उद्देश्य के लिए उन्होंने अन्य संबंधित संगठनों से सहयोग मांगा है।
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