डॉगी वाले बाबा, VIDEO:नागा संन्यासियों संग पूजा में होती है शामिल, बैठने के लिए बनाया गया सिंहासन

महाकुंभ दिव्य-भव्य, डिजिटल तो है ही साथ में संगम की रेती पर अद्भुत और अनूठे रंग देखने को मिल रहे हैं। अध्यात्म की नगरी महाकुंभ में अखाड़ों और नागा संन्यासियों के शिविर में पशु प्रेम की झलक भी नजर आ रही है। ऐसी ही एक अनूठी तस्वीर डॉगी सोमा की है। वह गुरुग्राम के खेटाबास आश्रम से महाकुंभ आए जूना अखाड़े के श्री महंत तारा गिरी उर्फ पहाड़ी बाबा के शिविर में है। 9 माह की डॉगी सोमा के अलग ही रंग हैं। माता पूर्णा गिरि के साथ ही सोमा भी रहती है। सोमा के बालों की जटाएं बंधी हैं। वह तिलक लगाती है। उसका अपना सिंहासन है, जहां से वह शीश नवाती है। सोमवार के दिन सोमा का जन्म हुआ था, इसलिए उसका नाम सोमा रखा गया।

Jan 11, 2025 - 05:15
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डॉगी वाले बाबा, VIDEO:नागा संन्यासियों संग पूजा में होती है शामिल, बैठने के लिए बनाया गया सिंहासन
महाकुंभ दिव्य-भव्य, डिजिटल तो है ही साथ में संगम की रेती पर अद्भुत और अनूठे रंग देखने को मिल रहे है

डॉगी वाले बाबा, VIDEO: नागा संन्यासियों संग पूजा में होती है शामिल, बैठने के लिए बनाया गया सिंहासन

भारत में आध्यात्मिकता और अजीबोगरीब शख्सियतें हमेशा खबरों में रहती हैं। हाल ही में 'डॉगी वाले बाबा' की एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है, जिसमें वे नागा संन्यासियों के साथ पूजा करते हुए नजर आ रहे हैं। इस वीडियो में विशेष रूप से देखने योग्य है कि बाबा का सिंहासन कैसे पूजा के अवसर पर सजाया गया है। यह घटना न केवल दिव्यता का प्रतीक है, बल्कि हमारे समाज में आध्यात्मिकता की एक नई परिभाषा भी प्रस्तुत करती है।

डॉगी वाले बाबा का परिचय

डॉगी वाले बाबा का नाम उनके साथ रहने वाले प्यारे कुत्तों के कारण पड़ा है। यह बाबा हमेशा अपने कुत्तों के साथ रहते हैं और उनकी भलाई के लिए काम करते हैं। वे अपने अनोखे स्टाइल और व्यक्तित्व से शहर में चर्चित हो गए हैं।

नागा संन्यासियों संग पूजा

वीडियो में डॉगी वाले बाबा को नागा संन्यासियों के बीच पूजा करते देखा जा सकता है। इस मौके पर विशेष रूप से तैयार किया गया सिंहासन उनकी धार्मिक महत्ता को दर्शाता है। नागा संन्यासी अक्सर अपने विशिष्ट अनुशासन और साधना के लिए जाने जाते हैं, और बाबा का इनसे जुड़ाव यह दर्शाता है कि वे किस प्रकार आत्मिक मार्ग पर अग्रसर हैं।

सिंहासन का महत्व

बाबा के लिए बनाए गए सिंहासन का भी विशेष महत्व है। यह केवल बैठने की जगह नहीं है, बल्कि यह उनकी स्थिति और पूजनीयता को दर्शाता है। पूजा के समय, यह सिंहासन न केवल आराम का साधन है, बल्कि साधकों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।

समाज में डॉगी वाले बाबा की भूमिका

डॉगी वाले बाबा ने न केवल धार्मिक तात्त्विकता का आदान-प्रदान किया है, बल्कि उन्होंने सामाजिक मुद्दों पर भी जोर दिया है। उनके कुत्तों के प्रति स्नेह और देखभाल उनके मानवता के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाते हैं। इस प्रकार, बाबा ने समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया है।

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