तुर्किये में 1100 से ज्यादा प्रदर्शनकारी हिरासत में:10 पत्रकार भी पुलिस की कैद में, 11 साल बाद एर्दोगन के खिलाफ सबसे बड़ा प्रदर्शन

तुर्किये में इस्तांबुल के मेयर और विपक्षी नेता इकरम इमामुलू की गिरफ्तारी के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है। पिछले 5 दिन में 1,133 प्रदर्शनकारियों और 10 पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है। तुर्की के मंत्री अली येरलिकाया का कहना है कि हमारी सड़कों पर आतंक फैलाना और हमारे देश की शांति और सुरक्षा को खतरे में डालना कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कई जगहों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई है। प्रदर्शनकारी सड़कों, यूनिवर्सिटी और मेट्रो स्टेशनों पर सरकार विरोधी नारे लगा रहे हैं। कई सड़कों और मेट्रो लाइनों को भी बंद कर दिया गया है। सरकार ने देश के सबसे बड़े शहर इस्तांबुल में 4 दिन के लिए सार्वजनिक समारोह करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। तस्वीरों में विरोध प्रदर्शन... 2013 के बाद एर्दोगन के खिलाफ सबसे बड़ा प्रदर्शन 22 साल से सत्ता में मौजूद राष्ट्रपति एर्दोगन के खिलाफ यह दूसर सबसे बड़ा प्रदर्शन माना जा रहा है। इससे पहले 2013 में एर्दोगन के खिलाफ गेजी में सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया था। AFP के मुताबिक, तुर्की के 81 प्रांतों में से कम से कम 55 प्रांत यानी देश के दो-तिहाई से ज्यादा हिस्से में रैलियां आयोजित की गईं। सरकार ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म X से 700 से ज्यादा अकाउंट बंद करने के लिए कहा है। रविवार को लगातार इस्तांबुल के सिटी हॉल के बाहर जमा हुए प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए इकरम इमामुलू की पत्नी दिलेक काया इमामोग्लू ने अधिकारियों को चेतावनी दी। दिलेक काया ने कहा कि अधिकारियों इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने मंच से चिल्लाते हुए कहा कि- वह तुम्हें हरा देगा!... तुम हार जाओगे! इकरम के साथ जो अन्याय किया है कि उसने हर किसी की अंतरात्मा को झकझोर दिया। इमामुलू भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हुए इमामुलू (54 साल) आधुनिक तुर्की के निर्माता मुस्तफा कमाल पाशा की पार्टी रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (CHP) के नेता हैं। उन्हें 23 मार्च को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया जाना था, लेकिन इससे पहले ही उन्हें भ्रष्टाचार और एक आतंकी संगठन की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। इकरम इमामुलू पर दो आरोप, इनकी जांचें भी बिठाई गई हैं... इमामुलू की पार्टी CHP ने इस गिरफ्तारी की निंदा करते हुए इसे ‘अगले राष्ट्रपति के खिलाफ तख्तापलट’ बताया। मुख्य विपक्षी दल- रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी (सीएचपी) नेता ओजगुर ओजेल ने विपक्षी दलों से एकजुट होने की अपील की है। ओजेल ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद भी इमामुलू को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया जाएगा। इस बीच इमामुलू की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने विपक्षी पार्टी से राष्ट्रपति चुनावों का बहिष्कार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि देश में अब निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव संभव नहीं हैं। वहीं, तुर्की सरकार ने विपक्ष के सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि देश की न्याय पालिका स्वतंत्र है। इमामुलू की गिरफ्तारी से पहले इस्तांबुल यूनिवर्सिटी ने उनकी डिग्री को रद्द कर दिया था। इससे उनकी उम्मीदवारी संदेह में पड़ गई है। तुर्किये के संविधान के मुताबिक, राष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार का हायर एजुकेशन पूरी करना जरूरी है। अगर, अदालत अपना फैसला नहीं बदलती तो उन्हें राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से रोक दिया जाएगा। एर्दोगन समर्थित उम्मीदवार को हराकर लोकप्रिय हुए इमामुलू इकरम इमामुलू राष्ट्रपति एर्दोगन के प्रशासन के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी चेहरा बनकर उभरे हैं। रियल स्टेट करियर में हाथ आजमाने के बाद 43 साल की उम्र में उन्होंने राजनीति की ओर रुख किया था। वे CHP पार्टी के लिए बेलिकडुजू जिले के मेयर चुने गए। इमामुलू साल 2019 तक देश में ज्यादा लोकप्रिय नहीं थे। लेकिन 2019 के इस्तांबुल मेयर चुनाव में राष्ट्रपति एर्दोगन के समर्थक उम्मीदवार को हराने के बाद वे बेहद मशहूर हो गए। इस चुनाव में उन्हें 41 लाख वोट मिले और उन्होंने 13 हजार वोटों से जीत हासिल की। हालांकि वे एक महीने से भी कम समय तक मेयर रह पाए। अनियमितताओं का आरोप लगाए जाने के बाद चुनाव अधिकारियों ने चुनाव को रद्द कर दिया और उन्हें पद से हटा दिया। फिर से चुनाव कराने का आदेश दिया गया। इसके बाद फिर से जून 2019 में चुनाव हुए जिसमें उन्होंने अपने विरोधी उम्मीदवार को करीब 8 लाख वोटों से हराया। उनकी जीत ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। एर्दोगन समर्थित उम्मीदवार को तीसरी बार हराया मेयर बनने के बाद उन्होंने शहर के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काफी काम किया। इससे उनकी छवि और बेहतर हुई। इमामुलू, एर्दोगन के खिलाफ साल 2023 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के सबसे बड़े दावेदार थे, लेकिन विपक्षी गठबंधन ने कमाल किलिचदारोग्लू को चुना। 2024 के इस्तांबुल मेयर चुनाव में एक बार फिर से एर्दोगन समर्थन उम्मीदवार को हराकर मेयर बने। एर्दोगन समर्थित उम्मीदवार को लगातार तीसरी बार हराने को इमामुलू के लिए बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा गया। वहीं, तुर्की में कई राजनीतिक जानकारों ने इसे ‘एर्दोगन की अब तक की सबसे बुरी हार’ करार दिया। दरअसल, इस्तांबुल वह जगह है जहां एर्दोगन बड़े हुए। यहां से पहली बार वे मेयर बने। ऐसे में उनकी पार्टी के उम्मीदवार की हार, एक बड़ा झटका था। इमामुलू की जीत के बाद उन्हें अगला राष्ट्रपति माना जा रहा है। तुर्किये में 2028 से पहले हो सकते हैं राष्ट्रपति चुनाव ऐसे में इमामुलू की गिरफ्तारी को एर्दोगन से जोड़कर देखा जा रहा है। तुर्किये में साल 2023 में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे, जिसमें एर्दोगन को लगातार तीसरी बार जीत हासिल हुई थी। ऐसे में अब अगला चुनाव साल 2028 में होना है। देश के संविधान के मुताबिक कोई भी चौथी बार राष्ट्रपति नहीं बन सकता है। हालांकि आलोचकों का कहना है कि एर्दोगन ने एक और कार्यकाल पाने के लिए संविधान में बदलाव कर सकते हैं। इसके लिए देश में समय से पहले भी चुनाव कराए जा सकते हैं। एर्दोगन को पिछले साल अपनी सबसे बुरी चुनावी हार का सामना

Mar 24, 2025 - 17:59
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तुर्किये में 1100 से ज्यादा प्रदर्शनकारी हिरासत में:10 पत्रकार भी पुलिस की कैद में, 11 साल बाद एर्दोगन के खिलाफ सबसे बड़ा प्रदर्शन
तुर्किये में इस्तांबुल के मेयर और विपक्षी नेता इकरम इमामुलू की गिरफ्तारी के बाद देशभर में विरोध

तुर्किये में 1100 से ज्यादा प्रदर्शनकारी हिरासत में: 10 पत्रकार भी पुलिस की कैद में, 11 साल बाद एर्दोगन के खिलाफ सबसे बड़ा प्रदर्शन

तुर्किये ने हाल ही में ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शनों का सामना किया, जहाँ 1100 से अधिक प्रदर्शनकारी हिरासत में लिए गए। यह विरोध प्रदर्शन राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन के शासन के खिलाफ चल रहे असंतोष का प्रतीक है। देश भर में फैले इस आंदोलन ने 11 वर्षों के बाद एर्दोगन के खिलाफ एक जबरदस्त जन आंदोलन की शुरुआत की है। यह प्रदर्शन विभिन्न मुद्दों पर आधारित है, जिसमें लोकतंत्र, प्रेस की स्वतंत्रता, और सामाजिक न्याय शामिल हैं।

पुलिस की कार्रवाई और पत्रकारों की हिरासत

आंदोलन के दौरान, पुलिस ने 10 पत्रकारों को भी हिरासत में लिया, जो कि इस विरोध प्रदर्शन की रिपोर्टिंग कर रहे थे। यह घटना प्रेस की स्वतंत्रता पर चिंता जताती है, क्योंकि पत्रकारों को अपने कर्तव्यों को निभाने से रोका जा रहा है। मानव अधिकार संगठनों ने इस कार्रवाई की निंदा की है और प्रदर्शनकारियों की रिहाई की मांग की है।

सामाजिक असंतोष का बढ़ता स्तर

राष्ट्र के नागरिकों में निराशा और असंतोष लगातार बढ़ रहा है। आर्थिक समस्याओं, सरकारी नीतियों, और लोकतांत्रिक मूल्यों से संबंधित मुद्दों ने जनसत्ता में एक नई लहर को जन्म दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संभवतः एर्दोगन के लिए सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ

इंटरनेशनल मीडिया और मानव अधिकार संगठनों ने तुर्किये में हो रहे प्रोटेस्ट्स पर ध्यान दिया है। कई देशों ने तुर्किये की सरकार से आग्रह किया है कि वह संवैधानिक अधिकारों का सम्मान करे और प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण ढंग से अपनी आवाज उठाने का अधिकार दे।

भविष्य में तुर्किये की राजनीति की दिशा का निर्धारण कैसे होगा, यह देखना होगा। लेकिन वर्तमान में प्रदर्शनकारी और आम जनता के बीच एक गगनचुंबी आवाज सुनाई दे रही है, जो एर्दोगन के शासन को चुनौती दे रही है।

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