दिग्विजय सिंह का कांवड़ यात्रा पर विवादित पोस्ट, सियासी बवाल
नई दिल्ली : कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के एक फेसबुक पोस्ट ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। पोस्ट में कांवड़ यात्रा को लेकर की गई टिप्पणी को लेकर विवाद गहरा गया है। सिंह ने अपने फेसबुक अकाउंट पर दो तस्वीरें साझा कीं—एक में कांवड़ यात्रा के दृश्य दिखाए …

दिग्विजय सिंह का कांवड़ यात्रा पर विवादित पोस्ट, सियासी बवाल
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नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के एक फेसबुक पोस्ट ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। पोस्ट में कांवड़ यात्रा को लेकर की गई टिप्पणी को लेकर विवाद गहरा गया है। सिंह ने अपने फेसबुक अकाउंट पर दो तस्वीरें साझा कीं—एक में कांवड़ यात्रा के दृश्य दिखाए गए हैं, जबकि दूसरी में लोग सड़क पर नमाज अदा करते नजर आ रहे हैं। पोस्ट के कैप्शन में लिखा था, “एक देश, दो कानून?”
सियासी बवाल और प्रतिक्रियाएं
दिग्विजय सिंह के इस पोस्ट ने राजनीतिक हलकों में चिंता पैदा कर दी है। भाजपा ने इस पर विरोध जताते हुए दिग्विजय को “सनातन विरोधी” करार दिया। मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, "दिग्विजय सिंह कांवड़ यात्रा जैसे पवित्र पर्व को विवादास्पद बनाने की कोशिश कर रहे हैं।" उन्होंने इस मुद्दे पर तीखे हमले करते हुए आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर तुष्टिकरण की राजनीति की है।
कांग्रेस की चुप्पी और मुस्लिम समुदाय की भावना
कांग्रेस ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन भाजपा के तीखे हमले के बाद यह मामला और तूल पकड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कांवड़ यात्रा, जो लाखों हिंदू श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है, इस तरह का विवाद पहले भी संवेदनशील रहा है। यह महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक दल इस मामले को समझदारी से हैंडल करें, ताकि किसी समुदाय की भावना को ठेस न पहुंचे।
लोगों की प्रतिक्रियाएँ और सोशल मीडिया का प्रभाव
सोशल मीडिया पर दिग्विजय सिंह के खिलाफ और उनके समर्थन में प्रतिक्रिया अलग-अलग रही है। जहां कई लोग उनके विचारों का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कई लोग इसे राजनीति का बाजार बनाने की कोशिश मान रहे हैं। यह बात ध्यान देने योग्य है कि इस प्रकार के विवाद अक्सर सियासी अभिव्यक्ति और धार्मिक भावनाओं के बीच की खाई को और चौड़ी कर देते हैं।
निष्कर्ष
इस विवाद पर नजर रखते हुए हमें यह समझना चाहिए कि धर्म और राजनीति का चित्त राज्य में एक जटिल समीकरण होता है। दिग्विजय सिंह के इस पोस्ट ने एक बार फिर से यह सवाल उठाया है कि क्या राजनीतिक नेताओं को धार्मिक विश्वासों के मामले में सावधान रहना चाहिए। हम देखेंगे कि कांग्रेस इस विवाद को कैसे संभालती है और क्या इसके परिणाम उसके राजनीतिक भविष्य पर प्रभाव डालेंगे।
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