वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएं सुनेंगे जिलाधिकारी – मुख्यमंत्री
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि सरकार वरिष्ठ नागरिकों को गरिमा और संरक्षण प्रदान करने के लिए प्रति प्रतिबद्ध है, इसी क्रम में जिलाधिकारियों को वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के समाधान के लिए जिला स्तरीय अपीलीय अधिकरण का पीठासीन अधिकारी बनाते हुए, उन्हें संबंधित शिकायतों का निस्तारण करने को कहा गया है। […]

वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएं सुनेंगे जिलाधिकारी – मुख्यमंत्री
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लेखिका: सुषमा चावला, प्रियंका रावत, और शिल्पा वर्मा
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि सरकार वरिष्ठ नागरिकों को गरिमा और संरक्षण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में, जिलाधिकारियों को वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के समाधान के लिए जिला स्तरीय अपीलीय अधिकरण का पीठासीन अधिकारी नियुक्त करते हुए, उन्हें संबंधित शिकायतों का निस्तारण करने को कहा गया है।
मुख्यमंत्री के निर्देश और वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार
मुख्यमंत्री ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए बताया कि वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए लागू ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 (MWPSC Act, 2007)’ को प्रभावी ढंग से अमल में लाया जाए। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों एवं माता-पिता को उनके बच्चों, पोते, और संपत्ति के उत्तराधिकारियों से भरण-पोषण की वैधानिक व्यवस्था प्रदान करना है।
जिला स्तर पर व्यवस्था
राज्य में कुल 13 अपीलीय भरण-पोषण अधिकरण और 69 से अधिक भरण-पोषण अधिकरण कार्यरत हैं। यहाँ भरण-पोषण की अधिकतम राशि ₹10,000 प्रति माह निर्धारित की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला स्तरीय अपीलीय अधिकरण के पीठासीन अधिकारी जिला मजिस्ट्रेट होंगे, जिन पर इस कानून को सख्ती से लागू करने की जिम्मेदारी होगी। इसके अतिरिक्त, उपजिलाधिकारी और जिला समाज कल्याण अधिकारी भी इस प्रक्रिया में शामिल होंगे।
संपत्ति के हस्तांतरण में सुरक्षा प्रावधान
इस कानून के तहत, यदि कोई वरिष्ठ नागरिक अपने देखभाल की शर्त पर संपत्ति हस्तांतरित करता है, और अगर बाद में उन शर्तों का पालन नहीं किया जाता, तो अधिकरण उस हस्तांतरण को अमान्य करते हुए संपत्ति की वापसी सुनिश्चित कर सकता है। यह प्रावधान वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करता है और उनकी चिंता को कम करता है।
वरिष्ठ नागरिकों को उपलब्ध सेवाएं
बागेश्वर, चमोली और उत्तरकाशी जिलों में निशुल्क वृद्ध एवं निशक्तजन आवास गृह संचालित किए जा रहे हैं। यहां कई जरूरतमंद वरिष्ठ नागरिक निवास कर रहे हैं। इसके अलावा, राज्य में वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद का गठन किया गया है जिसके अध्यक्ष रामचंद्र गौड़ हैं।
सकारात्मक कदम, लेकिन आगे की राह
उत्तराखंड सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के प्रति अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता जताई है। लेकिन कई वरिष्ठ नागरिक ऐसे हैं जो जीवन यापन के लिए उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। इस संबंध में, मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों से अपील की है कि यदि वे ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, तो तुरंत अपने नजदीकी भरण-पोषण अधिकरण या जिला समाज कल्याण अधिकारी से संपर्क करें।
निष्कर्ष
वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं को सुनना और उनका समाधान करना एक आवश्यक कदम है जो उन्हें सम्मान और संजीवनी देता है। सरकार की यह पहल न केवल उन्हें सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि हमारे समाज में उनके महत्वपूर्ण योगदान को भी स्वीकारती है। वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और उनके अधिकारों की रक्षा हमारे सामूहिक जिम्मेदारी है।
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