पावर लिफ्टिंग कंपटीशन में आजमगढ़ की बेटी को गोल्ड मेडल:50 किलोग्राम भार वर्ग में जीता खिताब, मां बोली बचपन से ही खेल में थी बेटी की रुचि

आजमगढ़ जिले की बेटी खुशी सिंह ने वाराणसी में आयोजित पूर्वांचल पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 50 किलोग्राम भार वर्ग में पहले ही प्रयास में गोल्ड मेडल हासिल कर आजमगढ़ का नाम रोशन किया है। खुशी सिंह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की छात्रा हैं। खुशी सिंह की उपलब्धि से जहां परिजन काफी खुश हैं। वहीं परिजनों को जमकर बधाइयां भी मिल रही हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए अपनी सफलता का श्रेय अपने परिजनों और गुरुजनों को देते हुए कहा कि मेरा सपना है कि पहले मैं स्टेट लेवल फिर नेशनल लेवल और उसके बाद एशियाई गेम में खेल कर अपने जिले और देश का नाम रोशन करना चाहती हूं। खुशी ने बताया कि नियमित 2 घंटे की प्रैक्टिस करती हूं। यही कारण है कि यह सफलता मिली। मां बोली बचपन से ही बेटी की थी खेल में रुचि दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए खुशी सिंह की माता आशा सिंह ने बताया कि मेरी बेटी बचपन से ही खेल में रुचि रखती थी। केंद्रीय विद्यालय में पढ़ने वाली रुचि सिंह इससे पूर्व भी नेशनल लेवल पर कबड्डी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। बेटी की सफलता पर गदगद मां आशा सिंह का कहना है कि हम लोग चाहते हैं की बेटी एक दिन देश के लिए खेल कर भारत देश के साथ-साथ जिले का भी नाम रोशन कर सके। इस अवसर पर बड़ी संख्या में जिले के लोगों ने पहुंचकर खुशी के परिजनों को बेटी की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी।

Jan 15, 2025 - 01:20
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पावर लिफ्टिंग कंपटीशन में आजमगढ़ की बेटी को गोल्ड मेडल

आजमगढ़ की एक बेटी ने 50 किलोग्राम भार वर्ग में पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे शहर का नाम रोशन किया है। इस जीत से गर्वित मां ने बताया कि उनकी बेटी बचपन से ही खेल में रुचि रखती थी और इस क्षेत्र में उसे सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा हमेशा उसके अंदर थी।

पावर लिफ्टिंग का सफर

पावर लिफ्टिंग एक ऐसा खेल है जो न केवल शारीरिक शक्ति को आजमाता है, बल्कि खेल भावना, समर्पण और कड़ी मेहनत की भी मांग करता है। आजमगढ़ की बेटी ने अपने कठिन परिश्रम और मेहनत के बल पर इस खेल में न केवल राज्य स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। उनके इस गोल्ड मेडल ने यह साबित कर दिया है कि यदि इरादा मजबूत हो, तो किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

मां की खुशी और गर्व

बेटी की इस उपलब्धि पर उसकी मां ने कहा, "मैंने हमेशा अपनी बेटी को प्रेरित किया कि वह अपने सपनों का पीछा करे। उसके खेल में रुचि देख कर मैंने हमेशा उसका समर्थन किया। आज उसकी मेहनत का फल मिला है और मैं गर्व महसूस कर रही हूँ।" मां ने बताया कि उनकी बेटी ने कई घंटों की कड़ी ट्रेनिंग से यह उपलब्धि हासिल की है।

समाज में परिवर्तन की दिशा में कदम

इस जीत ने अन्य युवाओं के लिए एक प्रेरणा का कार्य किया है। आजमगढ़ में कई युवा लड़कियों में खेल के प्रति जागरूकता बढ़ी है। खेलों में भाग लेने से न केवल शारीरिक फिटनेस में सुधार होता है, बल्कि आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।

निष्कर्ष

पावर लिफ्टिंग कंपटीशन में आजमगढ़ की बेटी की जीत न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत करती है। यह दर्शाता है कि विभिन्न क्षेत्रों में लड़कियों का खेलना और सफलता प्राप्त करना संभव है।

इसके अलावा, इस पुरानी सोच को बदलने की आवश्यकता है कि लड़कियों को केवल शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए, बल्कि उन्हें खेलों में भी भाग लेना चाहिए। हमें उम्मीद है कि भविष्य में और भी लड़कियां इस तरह की उपलब्धियां हासिल करेंगी।

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