ब्रिटिश PM आज ग्लोबलाइजेशन के खात्मे का ऐलान करेंगे:कहा- इसका कोई फायदा नहीं, हम जिस दुनिया को जानते थे वो खत्म हो चुकी है

ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने शनिवार को एक लेख में ग्लोबलाइजेशन का दौर खत्म हो जाने की बात कही है। ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आज वे देश के नाम संबोधन देंगे, जिसमें वे ग्लोबलाइजेशन के खत्म होने का ऐलान करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टार्मर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ लगाने के फैसले से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबलाइजेशन अब बहुत से लोगों को कोई फायदा नहीं पहुंचा पा रहा है। स्टार्मर ने स्वीकार किया कि इसके बाद कॉम्पटीशन बढ़ेगा और दुनियाभर में डोमेस्टिक प्रोडक्शन बढ़ाने के प्रयास शुरू होंगे। ट्रम्प ने 2 अप्रैल को कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया था। इसकी दुनियाभर में आलोचना हो रही है। स्टार्मर ने टेलीग्राफ न्यूज पेपर में लिखा- इस हफ्ते सरकार ब्रिटेन के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी। लेबर पार्टी देश की घरेलू प्रतिस्पर्धा में सुधार के लिए योजनाओं को तेज गति देगी और ब्रिटिश व्यापार को टैरिफ के तूफान से बचाने के लिए इंडस्ट्रियल पॉलिसी का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है। ग्लोबलाइजेशन को आसान भाषा में समझिए… ग्लोबलाइजेशन का मतलब है दुनियाभर के देशों के बीच एक-दूसरे से जुड़ना और मिल-जुलकर कारोबार करना। पहले हमारे पास सिर्फ अपनी देशी चीजें होती थीं। बाहर के देशों के सामान आते भी थे तो हाई टैक्स की वजह से उनकी पहुंच आम आदमी से दूर थी। साल 1991 में सोवियत यूनियन के पतन के बाद दुनिया में ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत हुई। दुनिया ने विदेशी बाजार के लिए दरवाजे खोले। सामानों पर टैक्स कम किया। इससे दुनिया एक बड़े बाजार की तरह बन गई। लोगों को घर के पास ही विदेशी चीजें सस्ती कीमत पर मिलने लगीं। जब दुनिया के देश एक-दूसरे से जुड़े तो व्यापार बढ़ा। इससे बहुत सारे नए रोजगार और नौकरियां पैदा हुईं। पिछला 3 दशक ग्लोबलाइजेशन के लिए सुनहरा वक्त था। लेकिन अब ट्रम्प ने विदेशी सामानों पर टैरिफ लगा दिया है। उनका मकसद अमेरिका के घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना और विदेशी खासकर चीन जैसे देशों से आने वाले सस्ते सामानों पर नियंत्रण पाना है। उनका मानना है कि इससे अमेरिकी नौकरियों को सुरक्षा मिलेगी और अमेरिका का व्यापार घाटा कम होगा। सिंगापुर पीएम बोले- ग्लोबलाइजेशन का दौर खत्म हुआ सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने शनिवार को कहा कि ग्लोबलाइजेशन और फ्री ट्रेड का दौर अब खत्म हो चुका है। अब दुनिया एक नए युग में जा रही है, जो खतरनाक होने वाला है। वोंग ने चेतावनी दी कि टैरिफ से वर्ल्ड इकोनॉमी को नुकसान पहुंच सकता है और यह एक बड़े ट्रेड वॉर को जन्म दे सकता है। उनका मानना है कि इससे सप्लाई चेन पर असर पड़ेगा और आर्थिक अस्थिरता बढ़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि टैरिफ समस्या का सिंगापुर जैसे छोटे और व्यापार पर निर्भर देशों पर ज्यादा असर पड़ेगा। सिंगापुर पर सबसे कम टैरिफ, फिर भी सबसे ज्यादा असर ट्रम्प ने सिंगापुर पर 10% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। बाकी देशों की तुलना में यह बहुत कम है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे सिंगापुर पर काफी असर पड़ेगा क्योंकि यह देश पूरी तरह से वर्ल्ड ट्रेड पर निर्भर है। ट्रम्प के टैरिफ जैसे चीन पर 54%, वियतनाम पर 46% और भारत पर 26% दुनिया भर में ग्लोबल ट्रेड की रफ्तार को कम कर सकते हैं। अगर इन देशों का व्यापार कम होगा, तो सिंगापुर की शिपिंग और लॉजिस्टिक्स कंपनियों को भी कम काम मिलेगा, क्योंकि सिंगापुर इनके लिए एक बड़ा केंद्र है। अगर कंपनियों को कम पैसा मिलेगा, तो वे नई नौकरियां नहीं देंगी या कुछ लोगों को निकाल सकती हैं। साथ ही, सामान की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे सिंगापुर में रहने का खर्च बढ़ेगा। टैरिफ क्या है... टैरिफ एक तरह की बॉर्डर फीस या टैक्स होता है, जो कोई भी देश विदेशों से अपने यहां आने वाले सामान पर लगाता है। यह टैक्स आयात करने वाली कंपनी पर लगाया जाता है। इसे घटा-बढ़ाकर ही देश आपस में व्यापार को कंट्रोल करते हैं। ट्रम्प के रेसिप्रोकल टैरिफ का इम्पैक्ट… 1. अमेरिकी शेयर मार्केट में भारी गिरावट: ट्रम्प की घोषणा के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट शुरू हुई। SP 500 में 5% की गिरावट (4 अप्रैल को), जून 2020 के बाद सबसे बड़ी थी। नैस्डैक 6% और डाउ जोन्स 4% नीचे गिरे। चीन ने जवाबी 34% टैरिफ की घोषणा की, जिससे अमेरिकी बाजारों में और गिरावट आई। SP 500 के लिए 2 दिनों में 5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। इसी तरह जापान, भारत और दुनिया के कई शेयर मार्केट में नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। अब अमेरिकी एक्सपर्ट मान रहे हैं कि 7 अप्रैल को शेयर मार्केट की हालत और ज्यादा खराब हो सकती है। 2. चीन का जवाबी टैरिफ- ट्रम्प के टैरिफ के बदले चीन ने 34% का जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया। चीन ने कहा, ‘अमेरिका का यह तरीका अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ है। यह चीन के हितों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है और एकतरफा धमकाने की नीति का उदाहरण है।’ 3. फ्रांस बोला- अमेरिका से व्यापार नहीं करेंगेः फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा, ‘यूरोप और बाकी दुनिया के खिलाफ लगाए गए टैरिफ के बारे में स्थिति साफ होने तक अमेरिका से व्यापार नहीं किया जाए। ट्रम्प के टैरिफ ऐलान के बाद अमेरिकी लोग कमजोर और गरीब हो जाएंगे। 4. भारत की डायमंड इंडस्ट्री निराश- भारत दुनिया का सबसे बड़ा हीरा काटने और पॉलिश करने वाला देश है। भारत अपने पूरे डायमंड इंडस्ट्री का 30% अमेरिका को निर्यात करता है। कामा ज्वेलरी के डायरेक्टर कोलिन शाह के मुताबिक, ‘टैरिफ उम्मीद से ज्यादा है। यह काफी सख्त है और निर्यात को प्रभावित करेगा।’ यूरोप- यूरोपीय यूनियन ने 20% टैरिफ का जवाब देने के लिए सोमवार (7 अप्रैल) को अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क का प्रस्ताव तैयार करने की योजना बनाई। इसके अलावा कनाडा ने अमेरिकी कारों पर 25% टैरिफ का ऐलान किया है। वहीं, ब्राजील संसद ने सर्वसम्मति से एक रेसिप्रोकल विधेयक पारित किया, जिससे सरकार को जव

Apr 7, 2025 - 14:59
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ब्रिटिश PM आज ग्लोबलाइजेशन के खात्मे का ऐलान करेंगे:कहा- इसका कोई फायदा नहीं, हम जिस दुनिया को जानते थे वो खत्म हो चुकी है
ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने शनिवार को एक लेख में ग्लोबलाइजेशन का दौर खत्म हो जाने की बात कही है।

ब्रिटिश PM आज ग्लोबलाइजेशन के खात्मे का ऐलान करेंगे

ब्रिटिश प्रधानमंत्री एक ऐतिहासिक घोषणा करने वाले हैं, जिसमें वे ग्लोबलाइजेशन के खात्मे का ऐलान करेंगे। यह बयान तेजी से बदलती वैश्विक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि ग्लोबलाइजेशन का अब कोई सार्थक फायदा नहीं है और जिस दुनिया का हम पहले अनुभव कर रहे थे, वह अब समाप्त हो चुकी है।

ग्लोबलाइजेशन का वर्तमान परिदृश्य

ग्लोबलाइजेशन ने पिछले कुछ दशकों में अर्थव्यवस्था, व्यापार और सामाजिक ढांचे को बदलकर रख दिया है। लेकिन, आर्थिक असमानता, व्यापार युद्ध और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों ने इस प्रक्रिया को चुनौती दी है। ब्रिटिश पीएम का यह कदम स्पष्ट करता है कि वे किस प्रकार की नीतियों की ओर बढ़ना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री का नजरिया

प्रधानमंत्री के अनुसार, अब समय है कि देशों को अपनी स्वायत्तता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उनका मानना है कि देश अपने-अपने हितों की रक्षा करने में सक्षम होने चाहिए। यह सवाल उठता है कि क्या इस घोषणा का प्रभाव वैश्विक व्यापार और समग्र अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

वैश्विक प्रतिक्रिया

इस घोषणा के बाद, विभिन्न देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की प्रतिक्रियाएँ आनी शुरू हो गई हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह घोषणा दुनिया को एक नई दिशा में ले जाने का संकेत हो सकती है, जबकि अन्य इसे वैश्विक सहयोग के लिए एक बड़ा खतरा मानते हैं।

इस प्रकार की घोषणाओं का उद्देश्य नागरिकों को भ्रमित करने का नहीं बल्कि समय की आवश्यकता के अनुसार नीतिगत बदलाव करने का है। आने वाले समय में किस प्रकार की प्राथमिकताएँ और नीतियाँ सामने आएँगी, यह देखने के लिए सभी की नज़रें इस दिशा में बनी रहेंगी।

News by indiatwoday.com

ग्लोबलाइजेशन की मौत, ब्रिटिश पीएम की घोषणा, वैश्विक व्यापार के बदलाव, राष्ट्रीय नीति संबंधी निर्णय, आर्थिक असमानता, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

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