ब्रिटिश संसद में उठा कंगना की फिल्म 'इमरजेंसी' का मुद्दा:खालिस्तान समर्थकों ने सिनेमाघर में आकर रोकी फिल्म, सांसद भड़के, अधिकारों का हनन बताया
ब्रिटेन में कंगना रनोट की फिल्म इमरजेंसी की स्क्रीनिंग के दौरान खालिस्तानियों के सिनेमा में घुसने और विरोध प्रदर्शन करने का मुद्दा ब्रिटिश संसद में भी उठा। ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन ने इसे ब्रिटेन के लोगों के अधिकारों का हनन बताया और खालिस्तानियों को गुंडा और आतंकवादी कहा। इतना ही नहीं सदन के उपसभापति ने भी उनके मुद्दे को सही बताते हुए चिंता जताई है। दरअसल, पिछले रविवार को ब्रिटेन के कुछ सिनेमा हॉल में फिल्म इमरजेंसी की स्क्रीनिंग के दौरान विवाद हो गया था। नकाब पहने खालिस्तानी सिनेमा हॉल में आ गए और खालिस्तानी नारे लगाते हुए फिल्म की स्क्रीनिंग रुकवा दी। कई सिनेमा हॉल में हुई इस घटना से नाराज ब्रिटेन के सिनेमा जगत ने इस फिल्म की स्क्रीनिंग रुकवा दी। जिसका विवाद अब ब्रिटेन की संसद तक पहुंच गया है। जानें क्या कहा- ब्रिटेन के सांसद ने- ब्रिटेन के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने कहा- रविवार को, मैं और मेरे कुछ साथी पैसे खर्च कर हैरो व्यू सिनेमा में फिल्म "इमरजेंसी" देखने गए। फिल्म शुरू होने के लगभग 30-40 मिनट बाद, मास्क पहने हुए खालिस्तानी आतंकवादी अंदर आ गए और दर्शकों व सुरक्षा बलों को धमकाने लगे कि फिल्म की स्क्रीनिंग बंद की जाए। ऐसी ही घटनाएं वोल्वरहैम्पटन, बर्मिंघम,स्लौ, स्टेन और मैनचेस्टर में भी देखने को मिलीं। इसके परिणामस्वरूप, सिनेमाघरों ने इस फिल्म की स्क्रीनिंग को रोक दिया। यह एक विवादास्पद फिल्म है, और मैं इसकी गुणवत्ता और सामग्री पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। लेकिन मैं अपनी कांस्टीट्यूएंसी (निर्वाचन क्षेत्र) के लोगों और अन्य व्यक्तियों के अधिकारों की बात कर रहा हूं, जिसमें वे फिल्म देखकर अपने विचार बना सकें। यह फिल्म उस समय पर आधारित है जब भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं। हालांकि, इसे एक एंटी-सिख फिल्म के रूप में भी देखा जा रहा है। फिर भी, मैं कहना चाहता हूं कि मेरी कांस्टीट्यूएंसी के लोगों को यह फिल्म देखने का अधिकार होना चाहिए और उन्हें खुद निर्णय लेने देना चाहिए। ठगों द्वारा धमकाए जाने और लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बाधित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अगले सप्ताह तक, इस फिल्म को देखने के इच्छुक लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए। मैं सिनेमाघरों के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार का सम्मान करता हूं, लेकिन अंदर आकर धमकाना बिल्कुल गलत है। पंजाब में भी रोके गए थे शो बॉलीवुड एक्टर एवं हिमाचल के मंडी से BJP सांसद कंगना रनोट की फिल्म इमरजेंसी बीते शुक्रवार को रिलीज हुई थी। पहले ही दिन पंजाब में सिख संगठन इसके विरोध में उतर आए। अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला और मोहाली में थिएटर्स के बाहर सिख संगठनों के सदस्य काले झंडे लेकर विरोध किया। राज्य के किसी भी थिएटर में फिल्म नहीं दिखाई गई। PVR ग्रुप के 70 से 80 थिएटरों पर ये फिल्म दिखाई जानी थी, विरोध के बाद इन थिएटरों पर फिल्म नहीं लगी। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ और सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया। इसके बाद ही शुक्रवार को सिख संगठनों ने PVR सिनेमा के बाहर प्रदर्शन किया। एसजीपीसी ने लिखा था सीएम मान को खत SGPC के सेक्रेटरी प्रताप सिंह ने कहा था- पंजाब में कंगना की फिल्म इमरजेंसी रिलीज न किए जाने को लेकर भारत सरकार और पंजाब सरकार को पत्र भेजा गया था। लेकिन सरकारों ने ऐसा कुछ नहीं किया। SGPC प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने पंजाब के सीएम भगवंत मान को पत्र लिखकर सिनेमाघरों में फिल्म न दिखाए जाने की मांग की थी। एसजीपीसी सेक्रेटरी प्रताप सिंह ने कहा कि हमारी कौम ने देश के लिए कुर्बानियां दी हैं। मगर इस फिल्म में सिखों को गलत दिखाया गया है। इससे पंजाब का माहौल खराब हो सकता है। कंगना ने बताया कला का उत्पीड़न फिल्म की स्क्रीनिंग रुकने पर भड़की कंगना ने X पर लिखा- 'यह पूरी तरह से कला और कलाकार का उत्पीड़न है। पंजाब से कई शहरों से खबरें आ रही हैं कि ये लोग इमरजेंसी को चलने नहीं दे रहे। मैं सभी धर्मों का सम्मान करती हूं। चंडीगढ़ में पढ़ाई और बड़े होने के बाद मैंने सिख धर्म को करीब से देखा और उसका पालन किया है। यह मेरी छवि खराब करने और मेरी फिल्म इमरजेंसी को नुकसान पहुंचाने के लिए सरासर झूठ और दुष्प्रचार है।' SGPC को फिल्म के इन सीन पर आपत्ति फिल्म में 1975-77 के दौरान इंदिरा गांधी के पीएम रहते हुए लगाए गए आपातकाल के समय की घटनाओं को दिखाया गया है। खासतौर पर इसमें सिखों के खिलाफ हुई ज्यादतियों, गोल्डन टेंपल पर सेना की कार्रवाई और बाकी घटनाओं को दिखाया गया है। SGPC का दावा है कि फिल्म में इन घटनाओं को गलत रूप में पेश किया है। पंजाब सरकार का कोई बयान नहीं पंजाब सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अमन वर्मा ने कहा- पंजाब की अमन शांति को नुकसान पहुंचाने वाला कोई काम करने की इजाजत नही दी जाएगी। फिल्म पर रोक लगाने का फैसला मुख्यमंत्री को लेना है। पहले ट्रेलर के बाद शुरू हुआ था विवाद फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह के अलावा सिखों की सर्वोच्च संस्था SGPC ने सबसे पहले इस फिल्म पर एतराज जताया था। इससे पहले ये फिल्म 6 सितंबर 2024 को रिलीज होने वाली थी, लेकिन विरोध के बाद इसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से क्लीयरेंस ही नहीं मिला था। 5 महीने पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले उनके सुरक्षाकर्मी बेअंत सिंह के बेटे एवं फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा ने ट्रेलर में दिखाए गए सीन्स पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि फिल्म इमरजेंसी में सिखों को गलत तरीके से पेश करने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे समाज में शांति और कानून की स्थिति बिगड़ने की आशंका है। अगर इस फिल्म में सिखों को अलगाववादी या आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है तो यह एक गहरी साजिश है। सरबजीत ने कहा था क

ब्रिटिश संसद में उठा कंगना की फिल्म 'इमरजेंसी' का मुद्दा
ब्रिटिश संसद में हाल ही में कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' पर चर्चा हुई, जब खालिस्तान समर्थकों ने इस फिल्म की स्क्रीनिंग को रोकने की कोशिश की। इस घटना ने सांसदों के बीच तीव्र बहस छेड़ दी, जहाँ कई सदस्यों ने इसे नागरिकों के अधिकारों का हनन बताया।
फिल्म 'इमरजेंसी' का महत्व
कंगना की 'इमरजेंसी' भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण घटनाओं का चित्रण करती है। यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के समय की कहानी को दर्शाती है। फिल्म के माध्यम से कंगना ने उस महत्वपूर्ण इतिहास को रेखांकित किया है, जिससे युवा पीढ़ी को जागरूक किया जा सके।
सिनेमाघर में विरोध प्रदर्शन
जब फिल्म की स्क्रीनिंग हो रही थी, तब खालिस्तान समर्थकों ने सिनेमाघर में आकर प्रदर्शन किया और दर्शकों को फिल्म देखने से रोका। इस प्रदर्शन ने सभी को चौंका दिया और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन माना गया। सांसदों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे एक गंभीर मुद्दा बताया।
सांसदों की प्रतिक्रिया
सांसदों ने कहा कि इस तरह के हंगामे का मतलब है कि हम अपने विचारों को साझा करने में असमर्थ हैं। यह हमारा संवैधानिक अधिकार है कि हम किसी भी फिल्म को देख सकें और अपनी राय बना सकें। इसके बाद, कई सांसदों ने इस मुद्दे को संसद में उठाने की बात कही।
ब्रिटिश संसद में इस मामले को लेकर की गई चर्चा ने यह सिद्ध कर दिया है कि सांस्कृतिक मुद्दों पर बहस करना आवश्यक है और किसी के विचारों को दबाना अस्वीकार्य है।
News by indiatwoday.com
समापन विचार
कंगना की 'इमरजेंसी' एक ऐसी फिल्म है जिसने न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी चर्चा का विषय बना लिया है। इस घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि फिल्में केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं होतीं, बल्कि वे सामाजिक और राजनीतिक चर्चाओं को भी जन्म देती हैं। Keywords: ब्रिटिश संसद कंगना इमरजेंसी फिल्म खालिस्तान समर्थकों का विरोध अभिव्यक्ति का अधिकार, सांसदों की प्रतिक्रिया, फिल्म का महत्व, आपातकाल की कहानी, सांस्कृतिक मुद्दों पर चर्चा, अधिकारों का हनन
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