मजदूरों का धरना 56वें दिन भी जारी रहा
इटावा| बकाया वेतन भुगतान की मांग को लेकर जेके फैक्ट्री के मजदूरों का धरना सोमवार को 56वें दिन भी कलेक्ट्रेट पर जारी रहा। धरने का संचालन कामरेड अशोक सिंह ने किया। मजदूर नेता कामरेड उमाशंकर और कामरेड हबीब खान और मजदूर नेताओं ने कहा कि जब तक बकाया वेतन नहीं मिलता और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को कोटा के विकास में लागू नहीं किया जाता, तब तक जेके फैक्ट्री के मजदूरों का अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा। धरने को कामरेड हबीब खान, उमाशंकर, नरेंद्र सिंह, महिला समिति जिलाध्यक्ष रजनी शर्मा, कामरेड गोपाल शर्मा, कालीचरण सोनी, महिला नेता पुष्पा खींची, जाहिदा बानो, रमा रघुवंशी और हनुमान सिंह ने संबोधित किया।

मजदूरों का धरना 56वें दिन भी जारी रहा
News by indiatwoday.com
धरने का उद्देश्य और महत्त्व
मजदूरों का धरना 56वें दिन भी जारी है, जिसमें श्रमिक अपनी माँगों को लेकर लगातार आवाज़ उठा रहे हैं। यह धरना उनके हक़, बेहतर कामकाजी परिस्थितियों और उचित वेतन को लेकर आयोजित किया जा रहा है। मजदूरों का यह संघर्ष न केवल उनके लिए, बल्कि समस्त श्रम वर्ग के लिए एक प्रेरणा बन चुका है।
धरने की गतिविधियाँ
धरना स्थल पर रोज़ाना कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें स्थानीय नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और लोग श्रमिकों के समर्थन में आते हैं। मज़दूर संगठन ने धरने के समर्थन में देशभर में रैलियाँ और सभा भी आयोजित की हैं। यह प्रदर्शन श्रमिकों की एकता और उनकी संघर्ष की भावना को प्रदर्शित करते हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। हालाँकि, कुछ तालुकात में बातचीत के प्रयास किए गए हैं, लेकिन मजदूरों का कहना है कि उनकी माँगें पूरी नहीं हुई हैं। उन्होंने अधिराज्य सरकार से विकासशील योजनाओं में श्रमिकों का योगदान मानने की अपील की है।
समर्थन और एकजुटता
मजदूरों के धरने को समर्थन देने के लिए विभिन्न संगठनों और सामाजिक समूहों ने भी अपनी आवाज़ उठाई है। एकजुटता का यह प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि देश के श्रमिक वर्ग में जोश और एकजुटता है, जो उनके अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखने के लिए प्रेरित कर रहा है।
आगे का रास्ता
मजबूत एकता और संवाद से ही समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। मजदूरों ने यह स्पष्ट किया कि वे अपनी अधिकारों के लिए अंत तक लड़ते रहेंगे। आगे की योजना में बृहद पैमाने पर रैली आयोजित करने की तैयारी है, जिससे कि उनके मुद्दों को व्यापक रूप से उठाया जा सके।
निष्कर्ष में, यह धरना मजदूरों के संघर्ष की कहानी है, जो न केवल आज के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
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