मथुरा में जिला महिला अस्पताल का हाल बेहाल:CDO के निरीक्षण में मिली खामियां,जिला चिकित्सा अधीक्षिका मिली अनुपस्थित
मथुरा में स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर बेहाल हैं यह देखने को मिला मुख्य विकास अधिकारी द्वारा किए गए जिला महिला अस्पताल के औचक निरीक्षण में। CDO के निरीक्षण में अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी। यहां ट्रॉमा सेंटर में पीकू वार्ड संचालित होता नहीं मिला तो साफ सफाई भी नहीं नजर आई। इतना ही नहीं जिला चिकित्सा अधीक्षिका सहित कई कर्मचारी मौजूद ही नहीं थे। जिसके बाद नाराज CDO ने अधीक्षिका का जनवरी महीने का वेतन अगले आदेश तक रोक दिया। स्टॉफ रजिस्टर देखा तो कर्मचारी मिले गैरमौजूद मुख्य विकास अधिकारी मनीष मीणा ने गुरुवार को अचानक जिला महिला अस्पताल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के समय चिकित्सा अधीक्षिका शोभावती सहित कई कर्मचारी अनुपस्थित मिले। जिसके बाद CDO ने निर्देश दिए कि अनुपस्थित कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा जाए और इसकी रिपोर्ट उनके कार्यालय में दी जाए। इसके अलावा आयुष्मान मित्र ओपीडी के पास बैठा नहीं मिला। जबकि 23 सितंबर को किए गए निरीक्षण में सीडीओ ने निर्देश दिए थे कि OPD के बाहर आयुष्मान मित्र बैठाया जाए। पीकू वार्ड का नहीं हो रहा प्रयोग CDO मनीष मीणा ने बताया कि जिला शासी निकाय की बैठक में निर्देश दिए थे कि पीकू वार्ड का प्रयोग किया जाए लेकिन गुरुवार को किए गए निरीक्षण में पीकू वार्ड का प्रयोग होता हुआ नहीं मिला।इतना ही नहीं उस वार्ड में रखे उपकरण का भी प्रयोग नहीं किया गया था। अस्पताल में बना ट्रॉमा सेंटर बंद था और उसको प्रयोग में नहीं लाया जा रहा था। ऑक्सीजन प्लांट के बावजूद सिलेंडर से की जा रही पूर्ति मुख्य विकास अधिकारी मनीष मीणा को निरीक्षण के दौरान अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाहर से सिलेंडर मंगा कर की जाती हुई मिली। जबकि अस्पताल परिसर में ऑक्सीजन प्लांट लगा हुआ है। इस बारे में जब मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका से बाहर से सिलेंडर लेने और कब कब कितने सिलेंडर लिए इसकी जानकारी की गई तो वह कोई जवाब नहीं दे सकी। अस्पताल में मिली गंदगी CDO मनीष मीणा ने बताया कि निरीक्षण के दौरान अस्पताल में गंदगी मिली। जबकि सितंबर में किए गए निरीक्षण के दौरान साफ सफाई रखने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन इसके बाबजूद हॉस्पिटल में साफ सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। वार्ड में भर्ती महिला मरीजों ने CDO को बताया कि शौचालय में गंदगी का अंबार है। जबकि दो शौचालय बंद हैं जिनका स्टोर के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। यही हाल ओपीडी के शौचालयों का था। मनमानी तरीके से कर रहीं अधीक्षिका काम निरीक्षण के बाद महिला चिकित्सालय की अधीक्षिका की कार्य शैली से नाराज नजर आए मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि इससे साफ है कि वह मनमाने तरीके से काम करने की आदि हैं। उनको अधिकारियों द्वारा दिए गए आदेशों का पालन नहीं करना है। मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्था और निरीक्षण के समय अनुपस्थित मिलने पर चिकित्सा अधीक्षिका का अगले आदेश तक जनवरी 2025 का वेतन रोक दिया गया है। इसके अलावा अनुपस्थित कर्मियों का स्पष्टीकरण 3 दिन के अंदर उनकी टेबल पर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

मथुरा में जिला महिला अस्पताल का हाल बेहाल
मथुरा जिले के महिला अस्पताल की स्थिति को लेकर हाल ही में हुई एक निरीक्षण रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया है। जिला चिकित्सा अधिकारी (CDO) की टीम ने अस्पताल का दौरा किया और कई गंभीर खामियां उजागर की। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा करती है और सरकार की ओर से दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीरता को दर्शाती है।
निरीक्षण के दौरान मिली खामियां
CDO के निरीक्षण में पाया गया कि अस्पताल में ना केवल बुनियादी सुविधाओं की कमी है, बल्कि कई आवश्यक उपकरण भी खराब अवस्था में हैं। मरीजों के संतोषजनक इलाज के लिए यह आवश्यक है कि सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध हों। निरीक्षण के दौरान यह भी देखा गया कि कई स्टाफ सदस्य अपनी ड्यूटी पर अनुपस्थित थे, जिससे मरीजों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
जिला चिकित्सा अधीक्षिका की अनुपस्थिति
असामान्य रूप से, जिला चिकित्सा अधीक्षिका का निरीक्षण के समय अस्पताल में न होना और उनकी अनुपस्थिति पर सवाल उठ रहे हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि अस्पताल की प्रबंधन व्यवस्था में कमी है, जो मरीजों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि अधिकरण इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं।
समाधान और आवश्यक कदम
इन खामियों को ठीक करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। अस्पताल को आवश्यक संसाधनों और trained staff की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। जिला प्रशासन को चाहिए कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करे।
मथुरा में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा कठोर उपाय करने की आवश्यकता है, ताकि मरीजों को उचित ध्यान और इलाज मिल सके।
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