महाकुंभ- पहले शाही स्नान के लिए नागा-साधु तैयार:जूना अखाड़ा पहुंचे किन्नर संत; 50 देशों से श्रद्धालु आए; कल 1.65 करोड़ ने लगाई थी डुबकी
महाकुंभ का पहला अमृत स्नान (शाही स्नान) आज है। मकर संक्रांति पर 13 अखाड़ों के शैव, शाक्त और वैष्णव संप्रदाय के साधु-संत संगम में स्नान करेंगे। महाकुंभ में अमृत स्नान की शुरुआत नागा साधु करेंगे। हर अखाड़े को 30 से 40 मिनट का समय दिया गया है। जूना अखाड़े के साथ ही किन्नर अखाड़ा भी स्नान करेगा। भारी भीड़ को देखते हुए मेले के बाद अब प्रयागराज शहर में भी वाहनों की नो एंट्री कर दी गई है। इस बार शाही स्नान का नाम बदलकर अमृत स्नान किया गया है। अमृत स्नान का साक्षी बनने के लिए 50 से ज्यादा देशों के श्रद्धालु महाकुंभ में पहुंच चुके हैं। अनुमान के मुताबिक, मकर संक्राति (आज) पर 2 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु स्नान करेंगे। पौष पूर्णिमा पर 1.65 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई थी। संगम घाट अखाड़ों के लिए रिजर्व रहेगा। बाकी घाटों पर श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे। मकर संक्रांति पर्व पर अखाड़ों का अमृत स्नान करीब साढ़े 9 घंटे तक चलेगा। हालांकि, शिविर से निकलने और वापस आने में 12 घंटे से भी अधिक समय लगेगा। महाकुंभ के पहले स्नान से जुड़े पल-पल के अपडेट्स और वीडियो के लिए नीचे ब्लॉग से गुजर जाइए...

महाकुंभ: पहले शाही स्नान के लिए नागा-साधु तैयार
महाकुंभ 2023 एक बार फिर से आस्था और श्रद्धा का केंद्र बन चुका है। इस वर्ष पहले शाही स्नान के लिए नागा-साधु पूरी तैयारी कर चुके हैं। जूना अखाड़े में किन्नर संतों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और विशेष बना दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार मेले में श्रद्धालुओं की संख्या ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
श्रद्धालुओं की भव्य उपस्थिति
इस महाकुंभ में लगभग 50 देशों से श्रद्धालु आए हैं। ये श्रद्धालु यहां गंगा में डुबकी लगाने के लिए उत्सुक हैं। पिछले दिन, यानी कल, करीब 1.65 करोड़ लोगों ने पवित्र नदियों में स्नान किया, जो इस आयोजन की महानता को दर्शाता है। स्नान के दौरान, श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था को दर्शाते हुए गंगा की पवित्र जल में अपने पाप धोने का प्रयास किया।
नागा-साधुओं की तैयारी
नागा-साधु, जो अपने तप और साधना के लिए प्रसिद्ध हैं, इस महाकुंभ के समय अपने विशेष अंदाज में तैयार हैं। उनकी उपस्थिति इस मेले में एक अलग ही ऊर्जा भरती है। नागा-साधुओं ने अपने चेहरे पर भद्दी आकृतियाँ बनाई हैं, और उनकी वेशभूषा इस धार्मिक समारोह में विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करती है।
धार्मिक और सामाजिक महत्व
महाकुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है। इस अवसर पर दुनिया भर से लोग एकत्रित होते हैं और विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। श्रद्धालुओं का यह समागम हमारे देश की विविधता और एकता को दर्शाता है।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2023 का महत्व न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी है। यह हमें याद दिलाता है कि एकता में शक्ति है और धार्मिक आस्था के माध्यम से एक दूसरे के प्रति हम सभी का एकता का बंधन मजबूत हो सकता है।
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