महाकुंभ में दान दी गई बच्ची का संन्यास वापस:संन्यास दिलाने वाले बाबा 7 साल के लिए अखाड़े से निष्कासित, मां-बाप ने कर दिया था बेटी का दान

प्रयागराज के महाकुंभ में संन्यास लेने वाली 13 साल की लड़की का संन्यास 6 दिन में ही वापस हो गया। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े ने सर्वसम्मति से बैठक कर इस पर विचार कर निर्णय लिया। इतना ही नहीं नाबालिग लड़की को संन्यास दिलाने वाले महामंडलेश्वर नाबालिग लड़की को संन्यासिनी बनाने वाले महामंडलेश्वर कौशल गिरि को 7 साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के संरक्षक हरि गिरि महाराज ने बताया कि “13 वर्षीय बच्ची का संन्यास वापस कर दिया गया है और बच्ची को संन्यास की दीक्षा देने वाले महंत कौशलगिरि को सात वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया है।यह अखाड़े की परंपरा नहीं रही है कि किसी नाबालिग को हम संन्यासी बना दें। महासभा ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है। वह 7 वर्ष तक अब अखाड़े में नहीं रहेंगे।” बाबा ने संगम में स्नान कराने के बाद कराया था संन्यास रा के रहने वाले संदीप उर्फ दिनेश सिंह धाकरे पेशे से पेठा कारोबारी हैं। परिवार में पत्नी रीमा सिंह, बेटी राखी सिंह (13) और छोटी बेटी निक्की (7) हैं। दिनेश की दोनों बेटियां आगरा के कांवेंट स्कूल स्प्रिंगफील्ड इंटर कालेज में नौवीं और दूसरी में पढ़ाई करती हैं। कारोबारी दिनेश सिंह का परिवार श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महंत कौशल गिरि से कई सालों से जुड़ा है। संन्यास के बाद नाम रखा गया था गौरी गिरि राखी को पहले संगम स्नान कराया गया था। राखी का नाम संन्यास के बाद बदल दिया गया था। उसका नाम गौरी गिरि महारानी रखा गया था। पता जूना अखाड़ा कर दिया गया था। वह परिवार के साथ रविवार को महाकुंभ में आई थी। नागाओं को देखकर उसने संन्यास लेने का फैसला किया। परिवार के साथ घर जाने से मना कर दिया था। इसके बाद माता–पिता ने उसे जूना अखाड़े के महंत कौशलगिरि को दान कर दिया था। इसके बाद वह लगातार सूर्खियों में आ गई। 19 को महाकुंभ में होना था उसका पिंडदान दरअसल, संन्यासी बनने के दौरान खुद का पिंडदान करना होता है। महामंडलेश्वर कौशल ने राखी के पिंडदान कराने की भी तैयारी कर ली थी। इसके लिए मकर संक्रांति के बाद 19 जनवरी की तारीख भी तय कर दी गई थी, जूना अखाड़े के शिविर में उसका विधिवत पिंडदान कराया जाता लेकिन इसके पहले अखाड़े की सभा ने यह बड़ी कार्रवाई कर दी। मां ने कहा था, अफसर बनना चाहती थी बेटी संन्यास लेने के दौरान राखी की मां रीमा सिंह ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उनकी बेटी पढ़ाई में होशियार है। वह बचपन से ही भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना संजोए हुए थी, लेकिन कुंभ में आने के बाद उसका विचार परिवर्तित हो गया। आध्यात्मिक गुरु कौशलगिरि की शरण में पुण्य लाभ के लिए आए थे। अब उनकी बेटी संन्यास लेकर धर्म का प्रचार करने की राह पर चल निकली है। बेटी की इच्छा के अनुसार उन्होंने बेटी को गुरु परंपरा के तहत दान कर दिया है।

Jan 11, 2025 - 07:30
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महाकुंभ में दान दी गई बच्ची का संन्यास वापस

हाल ही में महाकुंभ में एक बच्ची के संन्यास को वापस लेने का मामला सामने आया है, जिसने सबको चौका दिया है। बच्ची के माता-पिता ने उसे संन्यास देने का निर्णय लिया था, जो धार्मिक परंपरा का हिस्सा रहा है। लेकिन अब, बच्ची का संन्यास वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस संबंध में एक बाबा, जिन्होंने बच्ची का संन्यास करवाया था, उन्हें 7 साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है।

बच्ची का संन्यास: एक बुरा फैसला?

इस मामले ने समाज में बहस को जन्म दिया है कि क्या किसी छोटे बच्चे के लिए संन्यास एक सही निर्णय है। यदि हम पीछे मुड़कर देखें, तो ऐसा निर्णय न केवल बच्चे के लिए बल्कि समाज के लिए भी चिंताजनक हो सकता है। बच्ची को जीवन की जो सामान्य खुशियाँ जीने का अधिकार है, उसे छीनना कैसे सही है? इसके पीछे धार्मिक भावनाएँ हो सकती हैं, लेकिन इन सभी बातों में दान की भक्ति का स्तर भी विचारणीय है।

माता-पिता की जिम्मेदारी

इस घटना से माता-पिता की जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या उन्हें बच्चों के निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए? या माता-पिता को धार्मिक परंपराओं के प्रति अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए? यह उस प्रश्न का उत्तर है जिसे समाज को समझने की आवश्यकता है।

संकट के बीच ध्यान और संवेदनशीलता

संतों और फकीरों की सलाह का भी इस मामले में ध्यानपूर्वक विचार किया जाना चाहिए। बच्ची के संन्यास को वापस लेने की प्रक्रिया में ध्यान देकर यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि उसे किसी तरह का मानसिक या शारीरिक संकट न हो।

यह मामला न केवल धार्मिक प्रथाओं पर सवाल उठाता है, बल्कि समाज में माता-पिता और बच्चों के बीच संबंधों की समझ को भी पुनः स्थापित करता है। यदि समाज ने इस बात को लेकर सच्ची चिंता दिखाई, तो ऐसे मामलों में सुधार हो सकता है।

News by indiatwoday.com

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