मार्च-अप्रैल की गर्मी से घट सकती है गेहूं की उपज:पंजाब, हरियाणा और UP पर ज्यादा असर, बीते 4 साल से बढ़ रहे गेहूं के दाम

गेहूं की कीमत इस साल भी हाई बनी रह सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक मार्च से मई तक गर्मियों में सामान्य से ज्यादा तापमान रहने की आशंका है। जिसके चलते गेहूं की उपज कम हो सकती है। पिछले चार साल से गेहूं के दाम बढ़ते रहने का एक बड़ा कारण खराब मौसम भी भी है। इस साल का फरवरी 125 साल में सबसे गर्म रहा है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि मार्च से अप्रैल तक देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से ज्यादा गर्मी रहने वाली है। मार्च में गर्म हवाओं की संख्या भी बढ़ने की उम्मीद है। ये हवाएं गेहूं के दाने बनने के प्रोसेस के लिए महत्वपूर्ण है। मार्च में सेंट्रल एशिया में सामान्य से ज्यादा गर्मी IMD ने गर्मी के लिए अपने पूर्वानुमान में कहा, 'मार्च 2025 के दौरान सेंट्रल इंडिया के अधिकांश भागों और दक्षिण के भागों में सामान्य से अधिक गर्मी की लहरें चलने की संभावना है।' गेहूं एक सर्दियों की फसल है जिसे वर्ष में केवल एक बार उगाया जा सकता है और जो देश के लगभग आधे हिस्से के लिए भोजन का मुख्य स्रोत है, इस तरह उच्च तापमान को सहन नहीं कर सकता है। पंजाब, हरियाणा और UP में गर्मी का असर ज्यादा गेहूं उत्पादन संवर्धन सोसाइटी (APPS) के चेयरमैन अजय गोयल ने कहा, 'पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में गर्मी का असर ज्यादा होगा। यहां गेहूं के दाने मिल्किंग स्टेज में जाएंगे और और उनका आकार बढ़ने लगेगा।' अजय गोयल ने कहा, 'उच्च तापमान के कारण अनाज सिकुड़ जाएगा, जिससे प्रत्येक दाने का वजन कम होगा। जिसके चलते गेहूं की फसल की कुल उपज कम हो जाएगी।' पिछले चार साल में गेहूं के प्रोडक्शन में लगातार गिरावट के कारण सरकार के पास गेहूं का स्टॉक कम हो गया है।

Mar 3, 2025 - 18:59
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मार्च-अप्रैल की गर्मी से घट सकती है गेहूं की उपज:पंजाब, हरियाणा और UP पर ज्यादा असर, बीते 4 साल से बढ़ रहे गेहूं के दाम
गेहूं की कीमत इस साल भी हाई बनी रह सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक मार्च से मई तक गर्मियों में सामान

मार्च-अप्रैल की गर्मी से घट सकती है गेहूं की उपज

गर्मी का मौसम हमेशा से कृषि पर प्रभाव डालता है, और इस साल के मार्च और अप्रैल में बढ़ती गर्मी से गेहूं की उपज पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। खासकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादन क्षेत्र इस स्थिति से अधिक प्रभावित हो सकते हैं।

गेहूं की आवक और बाजार में दाम

बीते चार सालों में गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं, जिससे किसान और उपभोक्ता दोनों चिंतित हैं। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, ये कीमतें और भी चिंताजनक स्थिति में जा सकती हैं। मार्केट एनालिस्ट्स का मानना है कि अगर गेहूं की उपज में कमी आई, तो इससे कीमतों में और वृद्धि होगी।

गर्मियों का प्रभाव और किसानों पर बोझ

गर्मी की बढ़ती लहर से न केवल फसलें प्रभावित होती हैं, बल्कि इसके चलते किसानों पर भी आर्थिक बोझ पड़ता है। किसानों को अपनी फसलों की रक्षा के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता होती है, जिससे उनकी आर्थिक हालत पर बुरा असर पड़ता है।

राज्य सरकारें और किसानों का समर्थन

राज्य सरकारें इस स्थिति से निपटने के लिए किसानों को सहायता देने के लिए कदम उठा रही हैं। यह महत्वपूर्ण है कि वे मौसम की जानकारी को ध्यान में रखते हुए उचित योजनाएँ बनाएं ताकि फसल की उपज में कमी न हो।

गर्मी के इस मौसम में, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी फसलों का ध्यान रखें और मौसम के प्रति सतर्क रहें। इसके अलावा, किसानों को सही समय पर सिंचाई करने और कृषि तकनीकों का उपयोग करने की आवश्यकता है।

इन सभी मुद्दों के बावजूद, यह आवश्यक है कि सभी कृषि उत्पादों की कीमतें स्थिर रहें ताकि किसानों को उचित लाभ मिल सके। अंततः, सभी के सहयोग से ही इस समस्या का समाधान ढूंढा जा सकता है।

News by indiatwoday.com

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