मोदी ने जिनके पैर धुले, वह अब किस हाल में:6 साल में सिर्फ 4 हजार सैलरी बढ़ी; PM आवास नहीं मिला, झोपड़ी में गुजारा
तारीख 25 फरवरी 2019, पीएम नरेंद्र मोदी प्रयागराज अर्ध कुंभ पहुंचे थे। वहां 5 सफाई कर्मियों के पैर धुले। यह पहली बार था कि किसी प्रधानमंत्री ने सफाई कर्मियों के पैर धुले। इसकी हर तरफ जमकर चर्चा हुई। अब आते हैं साल 2025 में। 6 साल बाद पीएम मोदी महाकुंभ शुरू होने से एक महीने पहले यानी 14 दिसंबर को प्रयागराज पहुंचे। मोदी ने कहा- मैंने सफाई कर्मियों के पैर धुलकर अपनी कृतज्ञता दिखाई थी। उन सबके पैर धुलने के बाद जो संतोष मिला वह मेरे जीवन का यादगार अनुभव हो गया। पीएम ने जिन 5 सफाई कर्मियों के पैर धुले थे, उनमें प्यारे लाल भी थे। प्रधानमंत्री से सम्मान पाने के छह साल बाद प्यारे लाल की जिंदगी में क्या बदलाव आया? ये जानने के लिए हमने उनसे संपर्क किया। हम प्यारे लाल के घर पहुंचे। उनसे बात की। पत्नी और बहू से बात की। पढ़िए प्यारे लाल की पूरी कहानी… झोपड़ी में परिवार के साथ रहते हैं प्यारे लाल हमने मेले में साफ-सफाई करने वाले लोगों से प्यारे लाल के बारे में पूछा। ज्यादातर का जवाब था कौन प्यारे लाल? जब हम उन्हें बताते कि जिनके पैर पीएम मोदी ने धुले थे। इस पर वह तुरंत कहते कि हां-हां बता रहे। एक सफाई कर्मी के जरिए घर के बारे में जानकारी मिली। हम संगम से हनुमान मंदिर होते हुए प्यारे लाल के घर पहुंचे। जिस इलाके में वह रहते हैं वहां पहले से ही करीब 200 सफाई कर्मियों का परिवार रहता है। रास्ते में गंदगी और कचरा पड़ा था। हम इससे होते हुए प्यारे लाल के घर पहुंचे। प्यारे लाल ने अपना घर बांस, पन्नी और खराब हो चुकी साड़ी से तैयार किया है। 15 गुणा 15 की जमीन पर तैयार घर को चार भाग में बांट रखा है। एक तरफ चूल्हे पर खाना बनता है। लकड़ी और कंडे वहीं पड़े हुए थे। उसके पीछे वाली जगह में बेटा-बहू रहते हैं। एक और खाने में प्यारे लाल, उनकी पत्नी रहती हैं। चौथे हिस्से में दो बेटे रहते हैं। सिर्फ एक दरवाजा लगा है बाकी सभी में खराब हो चुके कपड़े का पर्दा लगाया गया है। ‘हमें नहीं पता था कि पीएम हमारे पैर धुलेंगे’ हमने प्यारे लाल से बातचीत शुरू की। सबसे पहले यही सवाल पूछा कि कब पता चला कि पीएम मोदी आपके पैर धुलने वाले हैं? प्यारे लाल कहते हैं, हम संगम के पास साफ-सफाई के काम में जुटे थे। एक साहब आए और बोले कि चलो तुम्हें बड़े साहब बुला रहे हैं। मैं वहां गया तो वह मेरे साहब से बोले कि तुम तो बदमाश उठाकर ले आए हो। असल में उस वक्त मेरी दाढ़ी बहुत बढ़ गई थी। फिर बड़े साहब बोले इसकी दाढ़ी बनवाकर ले आओ। मैं दाढ़ी बनवाकर वहां पहुंचा तो बड़े साहब बोले, अरे ये तो हीरो लग रहा है। प्यारे लाल आगे बताते हैं- मुझे गाड़ी में बैठाकर परेड ग्राउंड ले गए। मेरे ही जैसे कुल 15 सफाई कर्मी बुलाए गए थे। सभी की जांच पड़ताल हो रही थी। जांच होते-होते सिर्फ 5 लोग बचे। हम लोग ऐसे ही बैठे थे, कोई कुछ भी नहीं बता रहा था। मुझसे पूछा गया कि तुम्हारे ऊपर कोई केस तो नहीं है। हमने कहा कि नहीं। फिर उन्होंने बांदा जिले के बबेरू थाने में फोन लगाया। यह मेरा थाना लगता है। थानेदार ने जांच की और कहा कि कोई केस नहीं है। इसके बाद हम बैठे रहे। पौने चार बजे हम लोगों को बताया गया कि पीएम मोदी आप लोगों से मिलने आ रहे हैं। कमरे में चारों तरफ कैमरा लगा दिए गए। ‘जब पीएम मिले तब उनसे कुछ कह नहीं पाए’ प्यारे लाल से हमने पूछा कि आपके और पीएम के बीच क्या बात हुई? वह कहते हैं, पीएम अंदर आए और बैठे। फिर पानी मंगाया गया। वह पैर धुलने लगे। इसके बाद तौलिए से पैर पोछा। सभी को एक-एक गमछा दिया। यह सब बहुत अजीब था। फिर हम लोगों से पूछा कि मेला कैसा लगा? हमने कहा कि मेला तो बहुत अच्छा रहा, सारे गलत काम बंद हो गए। सब साफ-सुथरा हो गया। इसके बाद पीएम बाहर चले गए। हम लोग न तो कुछ मांग पाए और न ही कुछ कह पाए। प्यारे लाल कहते हैं, इसके बाद हमारी जिंदगी में एक जो सबसे बड़ा बदलाव आया, वह ये कि संगम पर झाड़ू लेकर साफ-सफाई के लिए खड़े होते तो लोग पहचान जाते थे। वह कहते कि आप तो पीएम मोदी से मिले। इसके बाद उन्हीं में से कोई 200-300 दे देता था। हमारी यही पहचान हो गई कि हम पीएम मोदी से मिले हैं। जहां भी जाते इसी चीज की चर्चा होती थी। मीडिया के लोग भी हमसे बात करते थे। डीएम ने लिखा-पढ़ी की, लेकिन हुआ कुछ नहीं प्यारे लाल से हमने पूछा, आप पीएम से मिलने के बाद यहां किसी अधिकारी से मिले थे? वह कहते हैं- हम लोग उस वक्त यहीं के डीएम के पास गए थे। उन्होंने कहा कि आप अपने जिले के डीएम के पास जाइए। इसके बाद हम बांदा के डीएम से मिले। उनसे मदद मांगी। उन्होंने लिखा-पढ़ी की। स्थानीय प्रशासन को भी लिखा, प्रयागराज प्रशासन को भी लिखा, लेकिन कुछ भी नहीं मिला। हमको बस एक कागज मिला, जिसमें कहा गया कि जब मरोगे तो 5 लाख मिलेगा।’ असल में यह कागज हेल्थ बीमा से जुड़ा है, जो हर सफाई कर्मी को मिला है। हमने प्यारे लाल से पूछा, इन 6 सालों में क्या कुछ बदला और क्या कुछ आपको चाहिए? वह कहते हैं- बदलाव सिर्फ इतना हुआ कि पहले मैं लेबर था, अब मेट हो गया हूं। अभी भी झाड़ू ही लगाता हूं। पहले 8 हजार रुपए मिलते थे, अब 12 हजार 300 रुपए मिलते हैं। 2 हजार रुपए कट जाता है। कोई हेल्थ सुविधा नहीं मिली है। हम चाहते हैं कि हमको एक प्रधानमंत्री आवास वाली कॉलोनी मिल जाए तो बढ़िया रहे। 3 बेटे हैं, एक तो हमारे साथ साफ-सफाई करता है, दो बाहर कमा रहे, किसी को कोई काम-धंधा नौकरी मिल जाए तो वह यहीं रह ले। बहू बोली- घर मिल जाए तो अच्छा रहे प्यारे लाल आखिर में कहते हैं, पीएम मोदी कई बार प्रयागराज आए। हम उनसे हर बार मिलने की कोशिश करते, लेकिन पुलिस-दरोगा और अधिकारी मिलने नहीं देते। हमारी बात ही उन तक नहीं पहुंच पाती। अगर मिल पाए तो कुछ मदद हो जाएगी। प्यारे लाल की ही बहू बाहर बैठी थी। पिछले साल शादी हुई है। वह कहती है, यहां रहने में मुश्किल होती है। बरसात होती है तो घर में पानी भर जाता है। घर मिल जाए तो अच्छा रहेगा। प्यारे लाल वीआईपी घाट के पास बने जल पुलिस थाने के पास वाली सड़क पर झ

मोदी ने जिनके पैर धुले, वह अब किस हाल में
सोचिए, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन गरीबों के पैर धुले थे, वह आज किस हालात में हैं। यह सवाल हर किसी के मन में उठता है जब हम देश के विकास की कहानी सुनते हैं। पिछले 6 साल में आर्थिक स्थिति में कितनी सुधार हुआ है, इस पर बहस जारी है। हाल ही में उठे सवालों ने यह भी संकेत किया है कि क्या वास्तव में गरीबों के जीवन में कोई बदलाव आया है या केवल दिखावे का खेल चल रहा है?
6 साल में सिर्फ 4 हजार सैलरी बढ़ी
जो लोग इस समय की सबसे निचली श्रेणी में हैं, उनकी सैलरी में केवल 4 हजार की वृद्धि हुई है। यह सोचने का विषय है कि क्या इससे उनके जीवन स्तर में कोई महत्वपूर्ण बदलाव आया है। छोटे कामकाजी वर्ग के लिए यह वृद्धि अत्यंत कम प्रतीत होती है। क्या यह बात हमें इस बात पर विचार करने के लिए मजबूर नहीं करती कि सरकार की योजनाएं कितनी प्रभावी रही हैं?
PM आवास नहीं मिला, झोपड़ी में गुजारा
इसके अलावा, कई परिवार अभी भी झोपड़ियों में रह रहे हैं और आवश्यक सुविधाओं से वंचित हैं। सरकार ने कई आवास योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन उन योजनाओं का लाभ उन तक नहीं पहुँच पा रहा है। प्रवासी मजदूरों और निर्माण श्रमिकों की स्थिति तो सबसे चिंताजनक है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सुलझाने की आवश्यकता है।
क्या सरकार को इस दिशा में अधिक गंभीरता से काम नहीं करना चाहिए? क्या सूरज के सामने आकर उठाए गए कदमों का अंदाजा किसी को नहीं है? हमें यह विचार करना होगा कि आज का भारत सही मायने में क्या स्थिति में है।
News by indiatwoday.com द्वारा निर्मित इस लेख का उद्देश्य है कि हम इस महत्वपूर्ण विषय पर विचार विमर्श करें और संभावित समाधान खोजें।
समस्त जानकारी को ध्यान में रखते हुए, हम सभी को एकजुट होकर इन मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार की योजनाएं वास्तविकता में गरीबों की मदद करें व वादा करके सिर्फ दिखावा न बनें। मोदी, गरीब, सैलरी बढ़ोतरी, PM आवास योजना, झोपड़ियों में जीवन, सरकारी योजनाएँ, भारत में गरीबी, सामाजिक स्थिति, मोदी सरकार, आर्थिक विकास, मजदूरी दर, जीवन स्तर, सहायता योजनाएं, ग्रामीण विकास, शहरी आवास समस्या.
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