यूरिया खाद की कालाबाजारी पर किसानों का विरोध:330 से 400 रुपए तक बोरी बेचने की शिकायत, डीएम ने कार्रवाई का दिया आश्वासन

बस्ती में किसानों को यूरिया खाद की कालाबाजारी से जूझना पड़ रहा है। सहकार भारती के जिलाध्यक्ष ओंकार चौधरी के नेतृत्व में किसानों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर डीएम को इस समस्या से अवगत कराया। विभाग संयोजक शिव प्रसाद चौधरी ने बताया कि रबी की फसल के लिए यूरिया की मांग बढ़ी है, लेकिन खाद समितियों में इसकी उपलब्धता नहीं है। इस स्थिति का फायदा उठाकर बिचौलिए और प्राइवेट दुकानदार मनमानी कीमतें वसूल रहे हैं। कप्तानगंज-टिनिच मार्ग के मंझरिया चौराहे पर यूरिया 330 रुपए प्रति बोरी बेचा जा रहा है। कुछ जगहों पर 350 रुपए तक और जिंक पैकेट के साथ 400 रुपए प्रति बोरी तक वसूला जा रहा है। किसानों ने मांग की है कि सभी समितियों और विक्रेताओं के यहां उर्वरकों के मूल्य और संबंधित अधिकारियों के नंबर प्रदर्शित किए जाएं। खाद की प्राप्ति और बिक्री का मिलान किया जाए। प्राइवेट केंद्रों पर स्टॉक की जांच हो। कालाबाजारी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। डीएम ने किसानों की शिकायत पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

Jan 10, 2025 - 13:50
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यूरिया खाद की कालाबाजारी पर किसानों का विरोध:330 से 400 रुपए तक बोरी बेचने की शिकायत, डीएम ने कार्रवाई का दिया आश्वासन
बस्ती में किसानों को यूरिया खाद की कालाबाजारी से जूझना पड़ रहा है। सहकार भारती के जिलाध्यक्ष ओंक

यूरिया खाद की कालाबाजारी पर किसानों का विरोध

हाल ही में, किसानों ने यूरिया खाद की कालाबाजारी को लेकर अपने गुस्से का इजहार किया है। किसानों का आरोप है कि यूरिया की बोरी 330 से 400 रुपए तक बेची जा रही है, जो कि बाजार मूल्य से कहीं अधिक है। ऐसे में, किसानों ने डीएम से कार्रवाई की मांग की है और आश्वासन प्राप्त किया है कि सरकार जल्द ही इस मुद्दे पर संज्ञान लेगी।

कालाबाजारी की समस्या

किसानों का कहना है कि यूरिया खाद की कालाबाजारी उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। जब उन्हें यूरिया की आवश्यकता पड़ती है, तब बाजार में इसकी उपलब्धता सीमित होती है। इसके चलते उन्हें अधिक कीमत चुकानी पड़ती है, जिससे उनका आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। किसानों ने समस्त समस्या को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया, जिससे प्रशासन का ध्यान आकर्षित हुआ।

डीएम का आश्वासन

प्रशासन ने किसानों की आवाज़ को सुनते हुए, डीएम ने इस मामले में प्रभावी कदम उठाने का आश्वासन दिया। डीएम ने कहा कि वे बाजार की स्थिति की जांच करेंगे और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। यह निर्णय किसानों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

किसानों की एकता

विभिन्न किसान संगठनों ने एकसाथ मिलकर इस मुद्दे पर आवाज़ उठाने का निर्णय लिया है। उनका मानना है कि केवल एकजुटता ही उन्हें इस समस्या से निजात दिला सकती है। इसके साथ ही, किसानों ने आम जनता से भी अपील की है कि वे इस मुद्दे पर जागरूक रहें और प्रशासन पर दबाव बनाए रखें।

यूरिया खाद की कालाबाजारी के खिलाफ यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक किसानों को उचित मूल्य और खाद की सही उपलब्धता नहीं मिलती। ऐसे आंदोलनों से यह स्पष्ट होता है कि मौजूदा समस्याओं का समाधान ढूंढना कितना आवश्यक है।

किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करना हर नागरिक का कर्तव्य है। इस प्रकार की घटनाएं केवल कृषि जगत को ही नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज को प्रभावित करती हैं।

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