लखनऊ हाईकोर्ट ने प्रमुख शासन सचिव को फटकारा:कहा- अवैध निर्माणों के खिलाफ क्या कार्रवाई की, जवाब तलब किया
लखनऊ हाईकोर्ट ने मंगलवार को आवास एवं शहरी नियोजन विभाग प्रमुख शासन सचिव से पूछा कि शहर में अवैध निर्माणों पर अब तक क्या कार्रवाई की है। वहीं व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल करके जवाब देने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा- अगर अगली सुनवाई तक शपथपत्र दाखिल करके न्यायालय को नहीं बताया तो प्रमुख सचिव को न्यायालय में रिकॉर्ड के साथ उपस्थित होना होगा। अगली सुनवाई के लिए 10 फरवरी की तारीख तय की गई है। जनहित याचिका पर दिए आदेश यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अशोक कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई के पश्चात पारित किया है। याचिका के माध्यम से याची ने राजधानी में हुए कुछ बहुमंजिला इमारतों के अवैध निर्माण का मामला उठाया है। बहुमंजिला इमारतें अवैध तरीके से बनाई गईं याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि शहर की बहुत सी बहुमंजिला इमारतें अवैध तरीके से बनाई गईं हैं। कुछ में अनुमति से अधिक फ्लोर बना दिए गए हैं तो कुछ में अन्य अवैध निर्माण किया गया है। याचिकाकर्ता ने न्यायालय को यह भी बताया कि एलडीए कई अवैध निर्माण को चिह्नित तो कर लिया है, लेकिन आज तक एक के भी खिलाफ कार्रवाई नहीं की है।एलडीए की ओर से अवैध निर्माणों की एक सूची प्रस्तुत की गई। 2012 में ही अवैध निर्माणों को गिराने के आदेश न्यायालय ने कहा- वर्ष 2012 में ही अवैध निर्माणों को गिराने के आदेश पारित किए गए हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि राज्य सरकार को कुछ ऐसा सिस्टम बनाना होगा, जिससे अवैध निर्माण के खिलाफ उचित कार्यवाही की जा सके। न्यायालय ने अपने आदेश में प्रमुख सचिव से यह भी कहा है कि अवैध निर्माणों को भविष्य में रोकने के लिए आपके द्वारा क्या कार्यवाही की जाएगी। इसके बारे में भी आप न्यायालय को अगली तारीख पर बताएंगे।

लखनऊ हाईकोर्ट ने प्रमुख शासन सचिव को फटकारा
लखनऊ में हाल ही में एक महत्वपूर्ण कानूनी घटना हुई, जब हाईकोर्ट ने प्रमुख शासन सचिव को चेतावनी दी। अदालत ने पूछा कि अवैध निर्माणों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है। इस मामले में शासन सचिव से जवाब तलब किया गया है, जिससे सरकारी कार्रवाई की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहा है।
अवैध निर्माणों की समस्या
अवैध निर्माणों का बढ़ता हुआ मुद्दा भारत के कई शहरों में चिंता का विषय बन चुका है। ये निर्माण न केवल शहर की सुंदरता को प्रभावित करते हैं, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी खतरा उत्पन्न करते हैं। हाईकोर्ट द्वारा शासन सचिव की फटकार ने इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को दर्शाया है।
प्रमुख शासन सचिव का उत्तरदायित्व
प्रमुख शासन सचिव की भूमिका राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने में है। ऐसे में, अवैध निर्माणों पर कार्रवाई करना उनके कर्तव्यों में शामिल है। अदालत ने उनसे ऐसे मामलों में जाँच और उचित कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। यह स्पष्ट करता है कि प्रशासन को नागरिकों की चिंता को गंभीरता से लेना चाहिए।
उच्च न्यायालय की स्थिति
उच्च न्यायालय ने सरकारी अधिकारियों से अपेक्षा की है कि वे अवैध निर्माणों के मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करें। यदि बिना अनुमति के बनाए गए भवनों के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई नहीं होती है, तो यह न केवल कानूनी संकट को बढ़ाएगा, बल्कि शहर की आम जनता के प्रति सरकार के प्रति विश्वास भी घटाएगा।
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निष्कर्ष
लखनऊ हाईकोर्ट का शासन सचिव को फटकारना इस बात का संकेत है कि प्रशासन को अपने कर्तव्यों के प्रति अधिक सजग और जिम्मेदार होना चाहिए। अवैध निर्माणों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि नागरिकों को सुरक्षित और व्यवस्थित आवास मिल सके। Keywords: लखनऊ हाईकोर्ट, प्रमुख शासन सचिव, अवैध निर्माण, न्यायालय, सरकारी कार्रवाई, कानूनी समस्या, नागरिक सुरक्षा, निर्माण नियम, न्यायिक कार्रवाई, indiatoday.com
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