शमी के एनर्जी ड्रिंक पर मौलाना भड़के, बोले-वो मुजरिम:बरेली में कहा- रोजा नहीं रखा, ऐसा हरगिज नहीं करना चाहिए था
यूपी के बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी टीम इंडिया के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी से नाराजगी जताई। उनका कहना है कि शमी ने रमजान में रोजा नहीं रखा, जो गुनाह है। शरीयत की नजर में वह मुजरिम हैं। इनको हरगिज ऐसा नहीं करना चाहिए था। दरअसल, मंगलवार को शमी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच के दौरान ग्राउंड पर एनर्जी ड्रिंक पीते नजर आए थे। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने गुरुवार को वीडियो जारी किया। शमी शरीयत के नियमों का पालन करें शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, शरीयत के नियमों का पालन करना सभी की जिम्मेदारी है। इस्लाम में रोजा रखना फर्ज है। अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर रोजा नहीं रखता, तो वह इस्लामिक कानून के अनुसार गुनहगार माना जाता है। क्रिकेट खेलना बुरा नहीं है, लेकिन धार्मिक जिम्मेदारियों को भी निभाना चाहिए। मैं हिदायत देता हूं कि शमी शरीयत के नियमों का पालन करें और अपने धर्म के प्रति जिम्मेदार बनें। शमी 2023 वनडे वर्ल्ड कप फाइनल के बाद चोटिल हो गए थे। उन्हें एड़ी की सर्जरी करानी पड़ी थी। फिर उन्हें वापसी के लिए 14 महीने का इंतजार करना पड़ा था। खबर अपडेट की जा रही है...

शमी के एनर्जी ड्रिंक पर मौलाना भड़के
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बरेली में मौलाना का बयान
हाल ही में भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी ने एक एनर्जी ड्रिंक का विज्ञापन किया, जिसके बाद मौलाना की प्रतिक्रिया ने सभी का ध्यान खींचा। बरेली में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान मौलाना ने शमी के इस कदम की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि इस तरह के विज्ञापन मुस्लिम समुदाय के मूल्यों के खिलाफ हैं। मौलाना का कहना था कि शमी जैसे प्रसिद्ध खिलाड़ियों को ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, खासकर जब वो रोजा रख रहे हों।
मौलाना का आरोप
मौलाना ने शमी को मुजरिम कहते हुए कहा कि वह धार्मिक मूल्यों का पालन करने में असफल रहे हैं। उन्होंने कहा, "रोजा नहीं रखा, ऐसा हरगिज नहीं करना चाहिए था। एक मशहूर खिलाड़ी होते हुए, उन्हें इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि वे युवाओं को क्या संदेश दे रहे हैं।" उनके इस बयान ने शमी के फैंस के बीच हलचल मचा दी है।
समाज में विवाद की स्थिति
मौलाना के बयान ने समाज में एक नई बहस छेड़ दी है। कई लोग मौलाना के विचारों से सहमत हैं, जबकि कुछ शमी के निर्णय का समर्थन कर रहे हैं। इस विवाद ने यह प्रश्न उठाया है कि क्या खिलाड़ियों को अपनी व्यक्तिगत पसंद के लिए आलोचना का सामना करना चाहिए।
समुदाय की प्रतिक्रिया
इस विषय पर चर्चा करते हुए, मुस्लिम समुदाय के कई लोग बयान दे रहे हैं। कुछ का मानना है कि खिलाड़ियों को अपनी पेशेवर जिंदगी और धार्मिक आस्थाओं के बीच संतुलन बनाना चाहिए। वहीं, कुछ लोग इस विरोध को अतिवादी करार देते हैं और शमी को अपनी चुनावों का अधिकार देने का समर्थन करते हैं।
इन सभी घटनाक्रमों ने बरेली में एक महत्वपूर्ण संवाद को जन्म दिया है, जो केवल धार्मिक मूल्यों से ही नहीं, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए आदर्श प्रस्तुत करने की जरूरत को भी दर्शाता है।
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