संस्कृत विद्यालय का संचालक बना नसीरुद्दीन, बंगाल की छात्राओं को एडमिशन और स्कॉलरशिप, CM ने दिए घोटाले की SIT जांच के आदेश
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संस्कृत विद्यालय का संचालक बना नसीरुद्दीन, बंगाल की छात्राओं को एडमिशन और स्कॉलरशिप, CM ने दिए घोटाले की SIT जांच के आदेश
रैबार डेस्क: क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि केदार की धरती रुद्रप्रयाग में संस्कृत विद्यालय का संचालक नसीरुद्दीन नाम का व्यक्ति है। यही नहीं यहां पश्चिम बंगाल की छात्राएं पढ़ती हैं। हैरानी जरूर होगी लेकिन छात्रवृत्ति घोटाले की राशि डकारने के लिए उत्तराखंड के एक दो नहीं बल्कि 17 स्कूलों में ऐसा खेल रचा गया है। मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की एसआईटी जांच के आदेश दिए हैं।
घोटाले की पृष्ठभूमि
उत्तराखंड में एक खास तरह का छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है। जिसमें सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल और संस्कृत विद्यालयों को कागजों में अल्पसंख्यक विद्यालय यानी 'मदरसा' दिखाकर छात्रवृत्ति डकारी गई है। यही नहीं, इन स्कूलों में पढ़ने वाले अल्पसंख्य छात्र छात्राओं का पता पश्चिम बंगाल, बिहार, और झारखंड दर्शाया गया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना चलाई जाती है। इसके तहत माइनॉरिटी के छात्रों को कक्षा एक से 10वीं तक पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद दी जाती है। इस योजना के पात्र लाभार्थियों के सत्यापन के लिए जब सरकार अभियान चला रही थी, तो इस तरह की भारी अनियमितताएं सामने आई हैं।
खुलासा: कैसे हुआ घोटाले का भंडाफोड़
ऊधम सिंह नगर जिले में वित्तीय वर्ष 2021-2022 और 2022-2023 के राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर दर्ज अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति आवेदकों के प्रमाण पत्रों की जांच के लिए उधम सिंह नगर जिले के 796 बच्चों के डॉक्यूमेंट्स की डिटेल मांगी गई थी। इनमें से 6 मदरसों में पढ़ने वाले 456 बच्चों के बारे में जानकारी संदिग्ध पाई गई। चौंकाने वाली बात ये थी कि इन स्कूलों में सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल, किच्छा का नाम भी शामिल है। इस विद्यालय का संचालक मोहम्मद शारिक-अतीक बताया गया है।
एसआईटी जांच की प्रक्रिया
मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि प्रदेश में छात्रवृत्ति जैसे कल्याणकारी कार्यक्रमों में किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने अनियमितताओं एवं फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से छात्रवृत्ति राशि के गबन के गंभीर प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए एसआईटी के गठन के निर्देश दिए हैं।
स्कूलों का बयान
बसुकेदार संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य का कहना है कि जून के महीने में इस तरह का प्रकरण सामने आने के बाद कई बार जिला प्रशासन की टीम यहां जांच करने आई और दस्तावेजों को खंगाला। लेकिन उन्हें किसी व्यक्ति, नाम या छात्र के नाम को लेकर कोई अनियमितता नहीं मिली। प्रधानाचार्य का कहना है कि किसी ने साजिश के तहत न केवल छात्रवृत्ति योजना से खिलवाड़ किया बल्कि उत्तराखंड के संस्कृत विद्यालय और क्षेत्रीय जनता के साथ भी खिलवाड़ किया।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में चल रहे इस छात्रवृत्ति घोटाले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या सच में शिक्षा संस्थानों को इस तरह से पब्लिक फंडिंग का लाभ उठाना चाहिए? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एसआईटी गठन करना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि आर्थिक सहायता वास्तव में जरूरतमंद छात्रों तक पहुंचे।
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