स्वतंत्रता संग्राम के अद्वितीय योद्धा चन्द्रशेखर आज़ाद को भावभीनी श्रद्धांजलि
ब्रिटिश हुकूमत के लिए आतंक का पर्याय बने महान क्रांतिकारी पंडित चन्द्रशेखर आज़ाद की 119वीं जयंती के अवसर पर समूचा राष्ट्र उन्हें शत् शत् नमन कर रहा है। राष्ट्रवादी विचारधारा के वाहक आज़ाद ने उत्तर भारत में सशस्त्र क्रांति की ज्वाला भड़काई और क्रांतिकारी युवाओं की एक पूरी पीढ़ी को तैयार किया। 1920 से 1931 …

स्वतंत्रता संग्राम के अद्वितीय योद्धा चन्द्रशेखर आज़ाद को भावभीनी श्रद्धांजलि
ब्रिटिश हुकूमत के लिए आतंक का पर्याय बने महान क्रांतिकारी पंडित चन्द्रशेखर आज़ाद की 119वीं जयंती के अवसर पर समूचा राष्ट्र उन्हें शत् शत् नमन कर रहा है। राष्ट्रवादी विचारधारा के वाहक आज़ाद ने उत्तर भारत में सशस्त्र क्रांति की ज्वाला भड़काई और क्रांतिकारी युवाओं की एक पूरी पीढ़ी को तैयार किया।
क्रांतिकारी गतिविधियों का अद्वितीय सफर
चन्द्रशेखर आज़ाद का जीवन स्वतंत्रता संग्राम के एक अद्वितीय अध्याय के रूप में जाना जाता है। 1920 से 1931 के बीच लगभग हर प्रमुख क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़े रहें, उन्होंने अपने जीवन को भारत माता की आज़ादी के लिए समर्पित कर दिया। काकोरी कांड के बाद, आज़ाद लंबे समय तक छिपकर रहते रहे, वेश बदलते रहे और ब्रिटिश खुफिया तंत्र को छका कर रखते थे।
झाँसी से ओरछा तक की यात्रा
एक समय पर, उन्होंने झाँसी को अपना गढ़ बना लिया था। लेकिन जब वहाँ पुलिस की गतिविधियाँ तेज़ हुईं, तो वे ओरछा की ओर बढ़कर सातार नदी के किनारे एक कुटिया में रहने लगे। इसी स्थान पर आज़ाद ने एक ओर अपने क्रांतिकारी साथियों को प्रशिक्षण दिया, तो दूसरी ओर गाँव के बच्चों को पढ़ाते हुए स्थानीय जनजीवन में घुल-मिल गए।
उनकी ध्वनि का गूंजता इतिहास
ओरछा के जंगलों में उनकी निशानेबाजी की गूंज आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। उनका यह समय एक महत्वपूर्ण पड़ाव था, जहाँ उन्होंने सधे हुए रणनीतिकार के रूप में गतिविधियों को सुसज्जित किया और पुलिस की नज़रों से बचते रहे। आज़ाद का साहस और जीवटता आज भी प्रेरणा देता है।
विचारों का दीप जलाना
उनका जीवन इस बात का साक्षी है कि देशभक्ति, साहस और दृढ़ संकल्प से हर चुनौती को मात दी जा सकती है। चन्द्रशेखर आज़ाद का बलिदान ना सिर्फ उनके युग को प्रेरणा देता रहा, बल्कि आज भी हमें स्वतंत्रता और संप्रभुता के मूल्य याद दिलाता है।
विशिष्ट टिप्पणी
इस अवसर पर प्रशांत सी बाजपेयी, अध्यक्ष—स्वतंत्रता आंदोलन यादगार समिति ने कहा, “शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद न केवल एक नाम हैं, बल्कि विचार हैं। उनका साहस, उनकी निडरता और भारत माता के लिए समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए पथप्रदर्शक रहेगा।”
हम सबको चन्द्रशेखर आज़ाद के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके बलिदान को याद करते हुए, अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए प्रेरित होना चाहिए।
ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ उनकी जंग, जहाँ एक ओर स्वतंत्रता की रोशनी फैलाती है, वहीं दूसरी ओर यह हमें यह भी सिखाती है कि सच्चे देशभक्त कभी भी हार नहीं मानते।
यह समय है कि हम आज़ाद की भांति अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें और अपने कर्तव्यों का पालन करें।
अंत में, हम सभी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और आशा करते हैं कि उनका गुणजागरण हर भारतीय के दिल में एक अद्वितीय स्थान रखेगा।
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