समझौते के बाद पत्नी गुजारा भत्ता मांगा, कोर्ट ने रोका:पत्नी को हाईकोर्ट का नोटिस, एक मुश्त समझौते के बाद फिर किया था दावा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता दावे में ढाई लाख रुपये में एक मुश्त समझौते के बाद फिर से दावा करने की धारा 128 दंड प्रक्रिया संहिता की कार्यवाही पर रोक लगा दी। कोर्ट ने विपक्षी पत्नी अनीता देवी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई मार्च 25 के प्रथम सप्ताह में होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित ने संदीप कुमार की धारा 482 के तहत दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में याची का कहना है कि उसकी पत्नी ने धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत गुजारा भत्ता के लिए पति के खिलाफ अर्जी दी। जिसे स्वीकार करते हुए मजिस्ट्रेट ने 1200 रूपये महीने गुजारा भत्ता निर्धारित किया। इसके बाद पत्नी ने धारा 128 मे अर्जी देकर एकमुश्त सधान की मांग की। मजिस्ट्रेट के समक्ष ढाई लाख एक मुश्त रकम देने और पत्नी द्वारा कोई दावा न करने का समझौता हुआ था। मजिस्ट्रेट ने अनुमोदित कर दिया था। पैसे लेने के बाद पत्नी ने दुबारा धारा 128 मे ढाई लाख समायोजित कर बकाया गुजारा भत्ता दिलाने की अर्जी दी। जिस पर याची को सम्मन किया गया। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कहा गया कि जब समझौता हो चुका है तो दुबारा गुजारा भत्ता की मांग विधि विरूद्ध व अनुचित है। कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और बदलापुर, जौनपुर में चल रही केस कार्यवाही पर रोक लगा दी।

Jan 11, 2025 - 06:40
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समझौते के बाद पत्नी गुजारा भत्ता मांगा, कोर्ट ने रोका:पत्नी को हाईकोर्ट का नोटिस, एक मुश्त समझौते के बाद फिर किया था दावा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता दावे में ढाई लाख रुपये में एक मुश्त समझौते के बाद फिर से दावा क

समझौते के बाद पत्नी गुजारा भत्ता मांगा, कोर्ट ने रोका

हाल ही में एक विवाहिक विवाद में कोर्ट ने पत्नी को गुजारा भत्ता मांगने से रोक दिया है, जब यह पाया गया कि उन्होंने एक मुश्त समझौते के बाद फिर से दावा पेश किया था। इस मामले में हाईकोर्ट ने पत्नी को नोटिस जारी किया है, जो इस समझौते के वैधता के संबंध में सवाल उठाता है।

समझौते का विवरण

समझौता एक ऐसे चरण में पहुंचा था, जब दोनों पक्षों के बीच कई बिंदुओं पर बातचीत हुई थी। यह निश्चित किया गया था कि पत्नी आगे कोई गुजारा भत्ता नहीं मांगेंगी। लेकिन, हाल ही में पत्नी द्वारा गुजारा भत्ता का दावा किया जाना, समझौते की मूल भावना के खिलाफ माना गया।

कोर्ट का निर्णय

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि एक बार समझौता हो चुका है, तो बाद में नई मांगें या दावे करना उचित नहीं है। ऐसे में, अदालत ने पत्नी को गुजारा भत्ता मांगने से रोका है और हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया है।

कानूनी पहलू

इस स्थिति में, कानून के अनुसार एक बार जो समझौता हो जाता है, वह कानून के तहत बाध्यकारी होता है। इस प्रकार, पत्नी इस समझौते को चुनौती नहीं दे सकतीं। कानून के जानकारों का मानना है कि यह निर्णय अन्य मामलों के लिए एक मिसाल बनेगा।

आगे की कार्रवाई

हाईकोर्ट द्वारा जारी नोटिस के बाद, सुनवाई की अगली तिथि पर दोनों पक्षों को अपनी बातें रखनी होंगी। पूर्ण मामले की सुनवाई के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

इस प्रकार के मामलों में जहां समझौते का उल्लंघन होता है, कोर्ट का यह कदम आवश्यक हो सकता है ताकि सहमति का सम्मान हो सके।

News by indiatwoday.com

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