सरकारी अस्पताल में 10 लाख की एक्सपायर दवाएं मिली:स्टॉक रजिस्टर में नहीं मिला रिकॉर्ड, डॉक्टर और फार्मासिस्ट पर केस दर्ज
बलरामपुर के तुलसीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां एक चिकित्सक के आवास से करीब 10 लाख रुपए की एक्सपायर दवाएं बरामद हुई हैं। इन दवाओं पर सरकारी लेबल लगा हुआ है, लेकिन अस्पताल के स्टॉक रजिस्टर में इनका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है। पिछले साल 3 दिसंबर को मिली इन दवाओं के मामले में सीएचसी अधीक्षक ने तत्कालीन अधीक्षक डॉ. सुमन सिंह चौहान और फार्मासिस्ट शिवपूजन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। रविवार को पुलिस ने अस्पताल में जाकर दवाओं का स्टॉक रजिस्टर से मिलान किया। विवेचक एसआई श्रवण कुमार के अनुसार, अधिकांश दवाएं रजिस्टर में दर्ज नहीं मिलीं, जिससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि इतनी बड़ी मात्रा में सरकारी दवाएं अस्पताल में कैसे पहुंचीं। वर्तमान सीएचसी अधीक्षक डॉ. विकल्प मिश्र का कहना है कि ये दवाएं अस्पताल में रखी रह गईं, जिससे एक्सपायर हो गईं और मरीजों को इनका वितरण नहीं किया गया। थाना प्रभारी संजय दुबे ने बताया कि पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर निष्पक्ष जांच की जा रही है और जांच रिपोर्ट जल्द ही उच्चाधिकारियों को सौंपी जाएगी। यह मामला सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में व्याप्त गंभीर खामियों को उजागर करता है।

सरकारी अस्पताल में 10 लाख की एक्सपायर दवाएं मिली:स्टॉक रजिस्टर में नहीं मिला रिकॉर्ड, डॉक्टर और फार्मासिस्ट पर केस दर्ज
हाल ही में एक सरकारी अस्पताल में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जहाँ 10 लाख रुपये की एक्सपायर दवाइयाँ पाई गई हैं। इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। स्टॉक रजिस्टर की जांच में पाया गया कि इन दवाइयों का कोई रिकॉर्ड नहीं है, जिससे अस्पताल में दवाओं के प्रबंधन में लापरवाही के संकेत मिलते हैं।
घटना का विवरण
स्थानीय प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल में एक विशेष चेकिंग अभियान के दौरान ये दवाइयाँ मिलीं, जो पूर्ण रूप से निष्क्रिय हो चुकी थीं। अस्पताल के एक डॉक्टर और फार्मासिस्ट पर लापरवाही और अनियमितता के आरोप लगाए गए हैं। इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य विभाग में सुधार की आवश्यकता है और उपयुक्त निगरानी की कमी हो सकती है।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है। एक्सपायर दवाइयों का उपयोग न केवल रोगियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि यह सरकारी धन का भी दुरुपयोग करता है। सरकारी अस्पतालों के स्टॉक रजिस्टर में दवाओं का सही रिकॉर्ड होना अत्यावश्यक है, ताकि ऐसी चूक न हों और मरीजों को सुरक्षित और प्रभावी चिकित्सा उपलब्ध कराई जा सके।
कानूनी कार्यवाही
इस मामले में संबंधित डॉक्टर और फार्मासिस्ट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। स्वास्थ्य अधिकारी इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं और अधिकारियों ने इस लापरवाही को गंभीरता से लिया है। अस्पताल प्रबंधन से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की योजना है।
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निष्कर्ष
यह घटना सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में मौजूद खामियों को उजागर करती है। एक्सपायर दवाओं की मौजूदगी और स्टॉक रजिस्टर में कमी स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर स्थिति को दर्शाती है। स्वास्थ्य अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसी स्थितियों को नियंत्रित करें और जनता में विश्वास बनाए रखें। Keywords: सरकारी अस्पताल एक्सपायर दवाएं, 10 लाख की दवाएं, स्टॉक रजिस्टर में रिकॉर्ड, अस्पताल लापरवाही, डॉक्टर और फार्मासिस्ट केस, सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं, दवाओं का प्रबंधन, कानूनी कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग, स्वास्थ्य विभाग की जांच, दवाओं की वर्तमान स्थिति.
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