अमेरिका से डिपोर्ट 112 भारतीयों का तीसरा बैच अमृतसर पहुंचा:इनमें हरियाणा के 44, पंजाब के 33 लोग; अब तक 335 लोगों को लौटाया
अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे भारतीयों का तीसर बैच 16 फरवरी को रात 10 बजे अमृतसर एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। अमेरिकी एयरफोर्स के C-17 A ग्लोबमास्टर विमान में 112 लोगों आए हैं। इनमें हरियाणा के 44 और पंजाब के 33 लोग शामिल हैं। करीब 6 घंटे की पूछताछ के बाद ये लोग एयरपोर्ट से बाहर आए। हरियाणा के लोगों के लिए पुलिस के अधिकारी वॉल्वो बस लेकर पहुंचे। एयरपोर्ट पर अमृतसर की DC साक्षी साहनी भी पहुंचीं। उन्होंने कहा कि सभी लोग शारीरिक रूप से तंदुरुस्त हैं। डिपोर्ट किए गए लोगों में कुछ बच्चे भी शामिल हैं। बच्चों को डाइपर के साथ दूध उपलब्ध करवाया। बताया जा रहा है कि देश के 18 हजार लोगों को भारत भेजा जाएगा, जिनमें करीब 5 हजार लोग हरियाणा हैं। अब तक कुल 335 भारतीय डिपोर्ट हो चुके हैं। वहीं, शनिवार रात साढ़े 11 बजे अमेरिकी विमान 116 भारतीयों का दूसरा बैच लेकर अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा था। महिलाओं-बच्चों को छोड़कर सभी पुरुषों को हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां डालकर विमान में बैठाया गया था। एयरपोर्ट पर ही उनके परिवार से मुलाकात कराई गई। करीब 5 घंटे की वैरिफिकेशन के बाद पुलिस की गाड़ियों में सभी को घर छोड़ा गया। इससे पहले 5 फरवरी को 104 अप्रवासी भारतीयों को जबरन लौटाया जा चुका है। इनमें बच्चों को छोड़कर महिलाओं-पुरुषों को हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़कर लाया गया था। इस तरह अब तक 332 अवैध अप्रवासी भारतीयों को भारत भेजा जा चुका है। युवक ने हथकड़ी-बेड़ियों की पुष्टि की, चचेरे भाई मर्डर केस में डिटेन इस विमान में डिपोर्ट हुए होशियारपुर के दलजीत सिंह ने हथकड़ियां-बेड़ियां लगाने की पुष्टि की। उन्होंने कहा- हमारे हाथ बंधे थे और पैरों में जंजीरें डाली गईं थी। वह डंकी रूट से अमेरिका पहुंचा था। वहीं डिपोर्ट होकर आए चचेरे भाइयों संदीप और प्रदीप को पटियाला पुलिस ने डिटेन किया है। उनसे जून 2023 में दर्ज कत्ल केस के मामले में पूछताछ की जा रही है। दूसरे बैच में पंजाब के 65, हरियाणा के 33, गुजरात के 8 लोग शनिवार को जबरन वापस भेजे गए लोगों में पंजाब से 65, हरियाणा से 33, गुजरात से 8, उत्तर प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान से 2-2 और हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से एक-एक व्यक्ति शामिल हैं। इनमें अधिकांश 18 से 30 साल की उम्र के हैं। पिछले बैच को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सवाल किए थे कि जब सबसे ज्यादा 33-33 लोग हरियाणा और गुजरात के थे तो विमान को अहमदाबाद या अंबाला की जगह पंजाब क्यों उतारा गया? हालांकि इस बैच में सबसे ज्यादा पंजाबियों को लौटाया गया। पंजाब के मंत्री डिपोर्ट किए गए लोगों से मिले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान रिसीव करने के लिए पहले अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचे थे, लेकिन विमान के आने में देरी की वजह से वे लौट गए। इसके बाद पंजाब सरकार की तरफ से 2 मंत्रियों, कुलदीप धालीवाल और हरभजन सिंह ईटीओ ने पंजाब के युवकों को रिसीव किया। इस दौरान मंत्री कुलदीप धालीवाल ने रात 1 बजे अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचकर कहा, 'उन्हें बड़ा दुख हुआ कि हरियाणा सरकार ने अमेरिका से डिपोर्ट किए अपने लोगों के लिए कैदियों वाली बस भेजी। उन्होंने हरियाणा के परिवहन मंत्री अनिल विज से कहा कि पंजाब ने अच्छी गाड़ियां लगाई हैं। विज ट्रांसपोर्ट मंत्री हैं, उन्हें कोई अच्छी बस भेजनी चाहिए थी। हरियाणा से कोई मंत्री, MLA या भाजपा नेता तक यहां नहीं आया।' 5 कहानियों से समझें पंजाबियों का दर्द... 1. पटियाला: सोहजबीर ने जमीन गिरवी रखी, 60 लाख खर्चे पटियाला के गांव गाजेवास के सोहजबीर की मां बलजिंदर को पता ही नहीं था कि बेटा डिपोर्ट किया गया है। मां बिलख उठी। बताया, अपनी 3 एकड़ जमीन गिरवी रखी, उधार लेकर 60 लाख खर्च किए। एजेंट ने उसे एक साल दुबई रखा। हमें कहा 20 दिन में अमेरिका भेजेंगे। 23 जनवरी को बॉर्डर क्रॉस किया। फिर संपर्क नहीं हुआ। मां बलजिंदर कौर और पिता सुखदीप सिंह ने संतोष जताया कि बेटा सकुशल घर आ रहा है। 2. बीस साल का जश्नप्रीत सिंह रिफ्यूजी कैंप में भी रहा हलका भुलत्थ के गांव पंडोरी राजपूतां से अमेरिका गए 20 वर्षीय जश्नप्रीत सिंह के डिपोर्ट होने की खबर मिलने पर मां कुलदीप कौर की आंखों में आंसू थे। वह भरी आंखों से ईश्वर को धन्यवाद दे रही थीं कि बेटा सही सलामत लौट रहा है। पिता ने बताया, बेटा अगस्त में स्पेन पहुंचा था। वहां अमेरिका जाने का मन बनाया। जनवरी में अमेरिका के रिफ्यूजी कैंप में पहुंचा था, लेकिन उसे डिपोर्ट कर दिया गया। 3. ब्याज पर रुपए लेकर बेटे को 2 साल पहले अमेरिका भेजा गुरदासपुर के गांव भेट पतन निवासी अजायब सिंह ने बताया कि उनका बेटा गुरमेल सिंह अमेरिका से डिपोर्ट हो रहा है। वह 2 साल पहले अमेरिका गया था। एजेंट कई महीनों तक उसे दुबई, रोमानिया समेत अन्य जगहों पर घुमाता रहा। इस साल 27 जनवरी को वह अमेरिका पहुंचा था। अमेरिका भेजने के लिए उन्होंने 50 लाख में एजेंट से डील की थी। ब्याज पर पैसे लेकर एजेंट को 35 लाख रुपए दे दिए थे। 4. बेटे को अमेरिका भेजने के 40 लाख लिए, एजेंटों ने हम पर ही FIR करा दी राजपुरा के रहने वाले मलकीत सिंह ने बताया कि बेटा गुरदत्त भी अमेरिका से डिपोर्ट हुआ है। जब लिस्ट में नाम आया तो इसका पता लगा। एजेंटों ने हमारे खिलाफ ही राजपुरा थाने में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज करवाई। उनका आरोप था कि हम उनके पैसे नहीं दे रहे। एजेंट के 18 लाख रह गए थे। मलकीत के मुताबिक 40 लाख दिए हैं। मैं अब मांग करता हूं कि पैसे वापस दिए जाएं। बेटा आ गया गया। 3 महीने हमारे बेटे को अरेस्ट करके रखा गया। 5. दो ट्रक और प्रॉपर्टी बेचकर पोते को अमेरिका भेजा जंडियाला गुरु अमृतसर निवासी मंगल सिंह ने बताया कि पोता जसनूर 9 जून 2024 को डंकी रूट से अमेरिका गया था। 29 और 30 जनवरी की रात को बॉर्डर क्रॉस किया। इसके बाद उससे कोई संपर्क नहीं हुआ। आज मीडिया से पता चला कि जसनूर डिपोर्ट होकर आ रहा है। उसे 2 बड़े कॉमर्शियल ट्रक बेचकर 54 लाख रुपए दिए थे। फिर साढ़े 11 लाख रुपए कर्ज पर लेकर एजेंट को दिए। अ

अमेरिका से डिपोर्ट 112 भारतीयों का तीसरा बैच अमृतसर पहुंचा
हाल ही में अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 112 भारतीयों का तीसरा बैच अमृतसर पहुंचा। यह बैच विभिन्न राज्यों से संबंधित है, जिसमें हरियाणा के 44 और पंजाब के 33 लोग शामिल हैं। यह डिपोर्टेशन प्रक्रिया महामारी के बाद से बढ़ाने का एक हिस्सा है, जो अमेरिका में अवैध प्रवासियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए की जा रही है।
डिपोर्टेशन की प्रक्रिया
इस पूरी प्रक्रिया में कई चरण शामिल हैं, जिसमें संबंधित अधिकारियों द्वारा दस्तावेज़ और पहचान की पुष्टि करना शामिल है। डिपोर्ट किए गए लोगों में से कई ने अपनी यात्रा के दौरान कठिनाइयों का सामना किया है। अधिकारियों ने बताया कि अब तक कुल 335 भारतीय नागरिक अमेरिका से वापस लौटाए जा चुके हैं। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उन भारतीय नागरिकों के लिए सुरक्षा और पुनर्वास का मार्ग प्रशस्त करता है जिन्हें अमेरिका में अवैध बताया गया।
प्रदेश वार जानकारी
हरियाणा से आने वाले 44 और पंजाब से 33 नागरिकों के अलावा अन्य राज्यों से भी लोग हैं। यह स्थिति दोनों प्रदेशों में काफी चर्चित है। अधिकारियों का मानना है कि यह प्रक्रिया लोगों को अवैध प्रवासन के खतरे से बचाने में मदद करेगी।
स्थानीय प्रतिक्रिया
स्थानीय समुदाय ने इस घटना पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कुछ लोग इसे प्रवासियों के लिए एक चेतावनी मानते हैं, जबकि अन्य इसे उनके लिए एक नए अवसर के रूप में देखते हैं। इस मुद्दे पर सामाजिक संगठनों और राजनीतिक नेताओं ने भी अपनी राय व्यक्त की है।
निष्कर्ष
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीय नागरिकों की यह स्थिति निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है। यह एक संकेत है कि अवैध प्रवासन पर नियंत्रण पाने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास जारी हैं। समाचार में आगे अपडेट के लिए, कृपया indiatwoday.com पर जाएं।
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