सिलिकॉनवैली से आए संत, टीचरों को सिखाए पढ़ाने के गुर:आदर्श शिक्षक के गुणों पर हुई चर्चा, कहा- बच्चों का पैरेंट्स की तरह रखें ख्याल
इस्कॉन मंदिर व काकादेव स्थित एक कोचिंग संस्थान में वर्क लाइफ बैलेंस और आदर्श शिक्षक के गुणों पर चर्चा की गई। जिसमें अमेरिका के सिलिकॉनवैली में स्थित इस्कॉन मंदिर से आए देवव्रत दास ने बच्चों को कैसे शिक्षित करें इस पर टीचरों से चर्चा की। देवव्रत दास ने शिक्षिकों को बताया कि गीता के माध्यम से बच्चों को मोटिवेट करें और उनका पैरेंट्स की तरह से ख्याल रखें, जिससे बच्चे तनाव से मुक्त होकर पढ़ाई कर सकें। देवव्रत दास ने कहा शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षक देश के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रखते हैं, देश को संभालने वाले युवाओं की बागडोर उन्हीं के हाथों में है। शिक्षक जैसी शिक्षा देगा, देश उसी दिशा में आगे बढ़ेगा। इसके लिए एक अच्छा अध्यापक बनना बहुत जरूरी है। आप बच्चों को ऐसी शिक्षा दें कि वह गलत आदतों में न पड़ें और पढ़ाई की ओर एकाग्रता से ध्यान देकर लक्ष्य को हासिल करें। राधे कृष्ण के भजनों की बहायी रसधार इस दौरान उन्होंने कोचिंग क्लासों में राधे कृष्ण के भजनों की रसधार बहायी। उन्होंने बताया कि आध्यात्मिकता को जीवन का केंद्र बनाकर सही और गलत में अंतर करते हुए आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत किया जा सकता है। नियमित दिनचर्या को अपनाते हुए कार्य क्षेत्र की सभी जिम्मेदारियों और पारिवारिक कर्तव्यों का पालन किया जा सकता है। शिक्षकों के सवाल किए हल हरे कृष्ण महामंत्र का जप मन को शांति प्रदान करने व नई ऊर्जा का संचार करने में सहयोग देता है। बताया कि कैसे शिक्षक को छात्र के गुणों को पहचानते हुए उसका मार्गदर्शन करना चाहिए। अंत में हुए रोचक प्रश्न उत्तर सेशन में शिक्षकों ने रोजाना होने वाली समस्याओं से संबंधित प्रश्न भी पूछे।

सिलिकॉनवैली से आए संत, टीचरों को सिखाए पढ़ाने के गुर
हाल ही में, सिलिकॉनवैली से आए संतों का एक ग्रुप शिक्षकों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में शिक्षकों को आदर्श शिक्षक के गुणों पर चर्चा करने और बच्चों की भलाई के लिए महत्वपूर्ण सलाह दी गई। संतों ने शिक्षा के तरीके को समकालीन संदर्भ में प्रस्तुत किया और टीचरों को बताया कि कैसे वे बच्चों का पैरेंट्स की तरह ख्याल रख सकते हैं।
आदर्श शिक्षक के गुण
इस चर्चा के दौरान संतों ने आदर्श शिक्षकों के प्रमुख गुणों की पहचान की। उन्होंने कहा कि एक अच्छा शिक्षक वही होता है जो बच्चों के समग्र विकास के लिए समर्पित हो। यह गुण न केवल कठिनाई में बच्चों की मदद करने के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि उनके मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए भी सहायक हैं। संतों ने सुझाव दिया कि शिक्षकों को बच्चों के साथ विश्वास का संबंध बनाना चाहिए और उन्हें उनतरिकता से समझना चाहिए।
बच्चों और पैरेंट्स के बीच संतुलन
संतों ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षकों को बच्चों का ख्याल पैरेंट्स की तरह रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि बच्चों के दिलों में जगह बनाने के लिए शिक्षकों को उनकी समस्याओं को समझना और समाधान में मदद करना चाहिए। इस प्रकार का दृष्टिकोण बच्चों को अधिक आत्मविश्वास प्रदान करने में मदद करेगा और उनके मानसिक विकास में योगदान देगा।
शिक्षा में समकालीन बदलाव
सिलिकॉनवैली से आए संतों ने आधुनिक शिक्षा में आवश्यक बदलाव की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आज के बच्चों को तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ मानसिक और भावनात्मक समर्थन की भी आवश्यकता है। शिक्षा के साथ-साथ इस तरह का समर्थन बच्चों को समग्र विकास में मदद करेगा।
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में नए विचारों का समावेश करना और शिक्षकों को उनके दृष्टिकोण में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करना था। संतों ने विश्वास दिलाया कि यदि शिक्षकों ने इस दृष्टिकोण को अपनाया, तो वे बच्चों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकेंगे।
समाप्त करते हुए, संतों ने सभी शिक्षकों से अपील की कि वे इस नयी सोच को अपनाएं और अपने विद्यार्थियों का ख्याल संतों की तरह रखने का प्रयास करें। शिक्षा का यह नया रूप न केवल छात्रों के लिए बल्कि समग्र समाज के लिए भी लाभकारी होगा।
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