हरियाणा कांग्रेस में अब हुड्डा गुट की नहीं चलेगी:बाबरिया-बघेल ने प्रभारियों की सूची बदली, उदयभान की लिस्ट को रोकने की 3 वजहें
कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा में हुड्डा गुट को झटका दे दिया है। हुड्डा के आशीर्वाद से प्रदेशाध्यक्ष बने उदयभान के फैसले को पूरी तरह से बदला जा रहा है। उदयभान ने 18 दिसंबर को जिला प्रभारियों की सूची जारी की थी। इस सूची के बारे में ना तो प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया से चर्चा की गई और ना ही सहप्रभारी जितेंद्र बघेल को इसकी भनक लगी। इस सूची में ज्यादातर नाम हुड्डा के करीबियों के ही शामिल किए गए, जिस पर कांग्रेस के बाकी नेताओं ने ऐतराज जताया। इसके बाद प्रभारी और सहप्रभारी हरकत में आए। दोनों ने हाईकमान को इसकी जानकारी दी। इसके बाद दीपक बाबरिया ने अगले ही दिन एक पत्र जारी कर उदयभान की सूची को निरस्त कर दिया। जिस पर खूब बवाल मचा। इस पर हुड्डा ने प्रतिक्रिया दी कि यह सूची रिवाइज होगी। इसमें कुछ बदलाव किया जाएगा। मगर अब प्रभारी व सहप्रभारी ने एक अलग सूची तैयारी की है। जिसमें सभी सीनियर नेताओं से समन्वय स्थापित कर नामों को शामिल किया गया है। उदयभान द्वारा जारी सूची को बाबरिया ने रोक दिया था... सूची में सेकेंड लाइनर को जगह दैनिक भास्कर से खास बातचीत में सहप्रभारी जितेंद्र बघेल ने कहा कि कांग्रेस 2 से 3 दिन में प्रभारियों की सूची जारी कर देगी। ये पहली सूची से एकदम अलग होगी। इसमें नए चेहरों को मौका दिया गया है। अधिकतर सेकेंड लाइनर को आगे किया है। वहीं हारे विधायकों को नई सूची में जगह नहीं दी जाएगी और पुराने चेहरों को भी बदला जा सकता है। कांग्रेस में नई सूची जारी होने के बाद पुराने नेता जिनका पहली सूची में नाम था मोर्चा खोल सकते हैं। वहीं कांग्रेस जिला प्रभारियों के साथ-साथ जिले की बाकी टीम भी बनाएगी, जिसमें लीगल टीम के नाम भी जारी हो सकते हैं। यूथ कांग्रेस से भी नाम लिए जा सकते हैं। एक गुट की नहीं चलेगी, कॉर्डिनेशन से काम होगा जिला प्रभारियों की नई सूची से कांग्रेस हाईकमान यह मैसेज देना चाह रहा है कि हरियाणा में हुड्डा गुट की एक तरफा नहीं चलेगी। कॉर्डिनेशन से ही काम होगा। सभी नेताओं को विश्वास में लेकर ही संगठन आगे बढ़ेगा। इससे पहले अकसर हरियाणा में कांग्रेस गुटों में बंटी नजर आती रही है। इसका नुकसान कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ा था। इसके बाद कांग्रेस ने फीडबैक के लिए फेक्ट एंड फाइंडिंग कमेटी बनाई। जिसमें ग्राउंड पर जाकर हारे प्रत्याशियों से बात की थी, जिसमें यह निकलकर सामने आया कि कांग्रेस में हार का मुख्य कारण गुटबाजी रही। कांग्रेस के नेताओं ने ही पार्टी को हराने का काम किया। बाबरिया के लिस्ट रोकने की 3 बड़ी वजहें ... 1. सैलजा गुट के नेताओं को जगह नहीं कांग्रेस अच्छे माहौल के बावजूद हरियाणा में विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी। इसके बाद माना गया कि पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को फ्री हैंड देने की वजह से बाकी नेता नाराज हो गए। खास तौर पर सिरसा सांसद कुमारी सैलजा को तरजीह नहीं दी गई। चुनावी हार के बावजूद भी हुड्डा ग्रुप का संगठन पर दबदबा कायम है। हालांकि हाईकमान ने प्रभारियों की लिस्ट में सैलजा गुट के नेताओं को जगह न देने का सीरियस नोटिस लिया है। 2. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दिल्ली जाकर शिकायत की चर्चा यह भी है कि प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने इस लिस्ट में उचाना से चुनाव हारे पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह का नाम शामिल नहीं किया था। इसके बाद उन्होंने इस पर आपत्ति जताई थी। दिल्ली जाकर भी उन्होंने पार्टी नेताओं से इस बारे में शिकायत की थी। इस दौरान उन्होंने पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उदयभान पर जमकर जुबानी हमला भी किया था। 3. हाईकमान को भरोसे में नहीं लिया कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक चुनाव में हार के बाद संगठन की कमी सबको खली। अब हाईकमान संगठन को गंभीरता दिखा रहा है। इसके बावजूद जिला प्रभारियों की लिस्ट में फेरबदल के बारे में प्रदेश प्रभारी या हाईकमान से कोई बात नहीं की गई। इसी वजह से हाईकमान ने लिस्ट रोक दी। लिस्ट में 6 MLA भी थे शामिल प्रदेश प्रभारी ने जो लिस्ट रोकी, वह 18 दिसंबर को जारी की गई थी। जिसमें प्रदेश अध्यक्ष ने 6 विधायक, 12 पूर्व विधायक और 2 पूर्व मंत्री शामिल किए थे। इसके पीछे निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस को मजबूत करने की वजह मानी जा रही थी।

हरियाणा कांग्रेस में अब हुड्डा गुट की नहीं चलेगी
News by indiatwoday.com
बाबरिया-बघेल ने प्रभारियों की सूची बदली
हरियाणा कांग्रेस में बदलाव की एक नई लहर आई है, जिसमें पार्टी नेताओं ने संगठनात्मक परिवर्तनों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। बाबरिया और बघेल द्वारा प्रभारियों की सूची में बदलाव किए जाने से साफ है कि अब पार्टी के भीतर पुराने तरीकों और गुटबाजी को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह कदम पार्टी की नई रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य एकता और समर्पण के साथ आगे बढ़ना है।
उदयभान की लिस्ट को रोकने की 3 वजहें
इस नई सूची में उदयभान की लिस्ट को रोकने की तीन प्रमुख वजहें हो सकती हैं। पहली, पार्टी में गुटबाजी के परिणामस्वरूप संगठन का कमजोर होना। दूसरी, कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष को बढ़ावा देना, जिससे पार्टी की छवि पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। तीसरी, एक नई दिशा देने की आवश्यकता, जिससे कि संगठनों के भीतर अधिक समन्वय और योजना बन सके। इस तरह के कदम अंततः हरियाणा कांग्रेस के भविष्य को सुनश्चित करने के लिए आवश्यक समझे जा रहे हैं।
पार्टी के लिए आगे का रास्ता
हरियाणा कांग्रेस अब एक नई दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है, जिसमें सभी सदस्यों को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। विकल्पों का पुनर्मूल्यांकन और नए युवा नेताओं को अवसर देने का समय आ गया है। ऐसे में पार्टी के लिए आवश्यक है कि वे अपने आंतरिक मतभेदों को भुलाकर एकजुटता का संदेश दें।
यह बदलाव कितने दूर तक जाएंगे, यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन यह निश्चित है कि हरियाणा कांग्रेस अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए नए रास्ते खोजने को तैयार है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, हरियाणा कांग्रेस में हुए ये बदलाव न केवल संगठनात्मक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह दर्शाते हैं कि पार्टी आंतरिक समस्याओं का समाधान करने के लिए कटिबद्ध है। आगे बढ़ने के लिए एक नई दृष्टि की आवश्यकता है, और यह बदलाव उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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