हाईकोर्ट में IPS इल्मा मामले में सुनवाई आज:होम-सेक्रेटरी और DGP नोटिस का जवाब देंगे, जनहित याचिका में अफरोज को SP बद्दी लगाने की मांग
हिमाचल हाईकोर्ट में आज SP बद्दी इल्मा अफरोज की तत्काल नियुक्ति के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई होगी। कोर्ट में आज राज्य के गृह सचिव व डीजीपी को जवाब देना होगा। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैंथला की बैंच ने दोनों अधिकारियों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था। बता दें सुचा राम नाम के व्यक्ति ने इस मामले में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। इसमें आग्रह किया गया कि इल्मा अफरोज की जल्द बद्दी में तैनाती की जाए। इल्मा की तैनाती से बद्दी की आम जनता कानून के हाथों सुरक्षित महसूस करेगी। क्षेत्र में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी ड्रग माफियाओं और खनन माफियाओं के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई सुनिश्चित हो पाएगी। वहीं राज्य सरकार ने इल्मा के जॉइन करने के बाद भी उन्हें 16 दिसंबर से पुलिस मुख्यालय में लगा रखा है। प्रार्थी बोला-इल्मा ने कानून का राज स्थापित किया याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ में ड्रग माफिया और खनन माफिया अवैध कार्य करने के आदी हैं। यहां पर पुलिस इन ड्रग माफिया और खनन माफियाओं के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई शुरू करने में विफल रही है। जब से इल्मा को SP बद्दी लगाया गया। तब से क्षेत्र में उन्होंने कानून के राज को लागू किया था। ड्रग माफिया और खनन माफियाओं के खिलाफ की कार्रवाई सुचा राम के अनुसार, इल्मा ने एनजीटी और हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा पारित सभी आदेशों को लागू किया। उन्होंने ड्रग माफिया और खनन माफियाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की। उपर्युक्त क्षेत्र के आम लोगों ने पहली बार खुद को कानून के हाथों सुरक्षित और संरक्षित महसूस किया। हाईकोर्ट के आदेशों की वजह से ट्रांसफर नहीं कर पाए प्रार्थी ने 9 सितंबर 2024 के हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला भी दिया जिसमें कोर्ट ने एक आपराधिक मामले की जांच के लिए इल्मा पर भरोसा जताया था। प्रार्थी का आरोप है कि जब से इल्मा अफरोज अवकाश पर चली गईं, तब से उक्त क्षेत्र की पुलिस ने पुनः अपनी कार्यशैली व योजना बदल दी। इसके मद्देनजर उक्त क्षेत्र की पुलिस ने आम जनता पर बिना किसी गलती के अत्याचार, मारपीट व लूटपाट शुरू कर दी। IPS इल्मा अफरोज प्रार्थी ने कोर्ट में कुछ खबरों का हवाला देते हुए कहा कि इन खबरों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि पुलिस द्वारा बद्दी, बरोटीवाला व नालागढ़ क्षेत्रों में अराजकता व अराजकता फैलाई गई है। प्रार्थी ने अदालत को बताया कि हाईकोर्ट के आदेशों की वजह से सरकार इल्मा का तबादला नहीं कर पाई। इसलिए उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया। प्रार्थी का कहना है कि इल्मा अफरोज की उक्त क्षेत्र में तैनाती से पूर्व बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ में खनन माफिया सभी अवैध गतिविधियां कर रहे थे, क्योंकि जिला सोलन जिले की सीमा पंजाब और हरियाणा से लगती है। प्रार्थी का कहना है कि बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ व आसपास के क्षेत्रों में 43 स्टोन क्रशर है। ज्यादातर अवैध खनन कर रहे हैं। इल्मा ने इन पर लगाम कसी है। 16 दिसंबर से पुलिस मुख्यालय में दे रही सेवाएं बता दें कि इल्मा अफरोज स्थानीय विधायक से टकराव के बाद लंबी छुट्टी पर चली गई थी। बीते 16 दिसंबर को उन्होंने जाइन जरूर किया है। मगर वह अभी पुलिस मुख्यालय में ही तैनात है। वह बद्दी एसपी के तौर पर जाइनिंग के लिए उच्च अधिकारियों के आदेशों का इंतजार कर रही है। इसे लेकर अब एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है।

हाईकोर्ट में IPS इल्मा मामले में सुनवाई आज
आज, प्रदेश की उच्च न्यायालय में IPS इल्मा मामले पर सुनवाई होगी। इस मामले में होम-सेक्रेटरी और DGP को नोटिस का जवाब देने के लिए बुलाया गया है। यह घटनाक्रम आईपीएस अधिकारी इल्मा की वैधता को लेकर उठाए गए गंभीर सवालों के बीच हो रहा है, जो न्यायालय में जनहित याचिका के माध्यम से प्रस्तुत किए गए हैं।
जनहित याचिका का विवरण
इस जनहित याचिका में, याचिकाकर्ता ने अफरोज को SP बद्दी के पद पर नियुक्त करने की मांग की है। आरोप है कि यह पद रिक्त है और इसके प्रभावी ढंग से भरे जाने की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में, प्रभावशाली और सक्षम अधिकारियों की जरूरत है, जो इस पद पर उत्तरदायी हो सकें।
संविधानिक पहलु
हाईकोर्ट में आज की सुनवाई इस मामले के संविधानिक पहलुओं को भी गंभीरता से उठाएगी। न्यायालय के समक्ष यह भी ज्ञात किया जाएगा कि कैसे IPS अधिकारियों की नियुक्तियों में पारदर्शिता और उचित प्रक्रियाओं का पालन हो रहा है। सभी पक्षों को अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देना होगा जिससे न्यायालय उचित निर्णय ले सके।
अभिव्यक्ति और जनहित
यह सुनवाई न केवल IPS इल्मा के बारे में है, बल्कि यह उन सभी नागरिकों की जागरूकता और जनहित से जुड़ी है, जो चाहते हैं कि पुलिस में उच्च गुणवत्ता वाले अधिकारियों की नियुक्तियां नियमित रूप से की जाएं। उम्मीद है कि न्यायालय इस मामले को सुनने के बाद कोई ठोस निर्णय देगा, जो न सिर्फ स्थिति को स्पष्ट करेगा बल्कि आगे की प्रक्रिया को भी सुनिश्चित करेगा।
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