हाईकोर्ट में संजौली मस्जिद मामले में सुनवाई:निगम आयुक्त को 6 हफ्ते में केस निपटाने के आदेश, निचली दो मंजिल को लेकर करना होगा फैसला
हिमाचल हाईकोर्ट में आज संजौली मस्जिद मामले में सुनवाई हुई। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने संजौली मस्जिद केस निपटाने के लिए शिमला नगर निगम आयुक्त को 6 हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है। निगम आयुक्त ने इस केस के निपटारे के लिए 8 हफ्ते का समय मांगा था। दरअसल, इस केस में संजौली मस्जिद के आसपास रहने वाले रेजिडेंट की तरफ से हाईकोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर की गई है। उसमें कहा गया कि हाईकोर्ट ने बीते साल 21 अक्टूबर को नगर निगम शिमला को आदेश दिए थे कि 20 दिसंबर तक संजौली मस्जिद केस को निपटाया जाए। कोर्ट के आदेशानुसार, 20 दिसंबर तक संजौली मस्जिद केस नहीं निपटाया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके खिलाफ लोकल रेजिडेंट ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। इस याचिका पर पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने निगम आयुक्त को नोटिस जारी किया था। कोर्ट के नोटिस पर आज निगम आयुक्त ने जवाब देते हुए 8 सप्ताह का समय मांगा। अवमानना याचिका पर 1 अप्रैल को सुनवाई संजौली मस्जिद के लोकल रेजिडेंट के वकील जगतपाल ने बताया कि निगम आयुक्त को छह सप्ताह में मस्जिद केस निपटाने को कहा गया है। उनकी अवमानना याचिका पर 1 अप्रैल को सुनवाई होगी। लोकल रेजिडेंट ने दायर की थी याचिका बता दें कि लोकल रेजिडेंट ने बीते साल ही इस केस को जल्दी निपटाने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। इस याचिका पर ही हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर तक केस निपटाने के आदेश दिए थे। 5 अक्टूबर को दिए थे तीन मंजिल तोड़ने के आदेश वहीं नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने बीते साल 5 अक्टूबर को मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलें गिराने के आदेश दे रखे है। निचली दो मंजिल को लेकर मामला अभी नगर निगम आयुक्त कोर्ट में विचाराधीन है।

हाईकोर्ट में संजौली मस्जिद मामले में सुनवाई
हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय में संजौली मस्जिद मामले की सुनवाई का आज महत्वपूर्ण चरण रहा। कोर्ट ने निगम आयुक्त को आदेश दिया है कि वे छह सप्ताह के भीतर इस मामले से संबंधित सभी कार्यवाही पूरी करें। यह आदेश खासकर निचली दो मंजिलों के विवाद को लेकर है, जो कि भविष्य में इस मस्जिद के विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा।
मामले का पृष्ठभूमि
संजौली मस्जिद का मामला पिछले कुछ महीनों से काफी चर्चा में रहा है। इस मस्जिद के निर्माण और इसके आसपास के निर्माण कार्य के कारण स्थानीय निवासियों और प्रशासन के बीच विवाद उत्पन्न हो गया था। जिन मुद्दों पर गौर किया जा रहा है उनमें भूमि उपयोग, धार्मिक स्थल की सुरक्षा, और स्थानीय नियमों का पालन शामिल हैं।
निगम आयुक्त से अपेक्षाएँ
उच्च न्यायालय ने निगम आयुक्त से स्पष्ट निर्देश दिए हैं। कोर्ट का मानना है कि इस मामले का शीघ्र समाधान होना चाहिए ताकि धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल के संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय समुदाय के हितों की रक्षा की जा सके। इस फैसले का धारा के तहत गहन अध्ययन और सही सूचना के आधार पर फैसला लिया जाएगा।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों ने इस मामले में उच्च न्यायालय की पहल का स्वागत किया है। कई निवासियों ने बताया कि वे इस मुद्दे का समाधान चाहते हैं ताकि सभी धार्मिक स्थलों का सम्मान बना रहे और सामुदायिक सौहार्द भी स्थापित हो सके। इसके साथ ही, न्यायालय के आदेश के बाद नागरिकों को उम्मीद है कि उन्हें जल्द ही इस मुद्दे का समाधान मिलेगा।
निष्कर्ष
संजौली मस्जिद मामले में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब देखना यह है कि निगम आयुक्त कितना जल्दी इस मामले को निपटाते हैं। इस पूरे प्रक्रिया के दौरान, सभी पक्षों को एक खुले और पारदर्शी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। न्यायालय का यह कदम धार्मिक सहिष्णुता और स्थानीय विकास के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
News by indiatwoday.com
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