हिमाचल के सेब बागवान हरिमन को मिलेगा पद्मश्री:केंद्र ने की घोषणा; गर्म इलाकों में सेब क्रांति के हैं जनक; एचआरएमएन-99 वेरायटी की खोज की
हिमाचल प्रदेश के गर्म जिला बिलासपुर में सेब की खेती करने वाले हरिमन शर्मा को पद्मश्री से नवाजा जाएगा। केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले यानी शनिवार को पद्म पुरस्कार 2025 से सम्मानित किए जाने वाले व्यक्तियों के नामों की घोषणा की है। इस बार 113 हस्तियों को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है। इनमें एक हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से संबंध रखने वाले हरिमन शर्मा है। बता दें कि हरिमन शर्मा बिलासपुर में सेब की एचआरएमएन-99 वैरायटी की पैदावार कर मिसाल पेश की। आमतौर पर कहा जाता है कि सेब की पैदावार ठंडे इलाकों में होती है। इसके लिए समुद्र तल से 5000 फीट से 15000 फीट तक की ऊंचाई वाले क्षेत्र बेहतर माने जाते हैं। मगर हरिमन शर्मा में लगभग 2250 फीट की ऊंचाई पर सेब की खेती की है। हरिमन शर्मा को इससे पहले 19 नेशनल और 15 स्टेट लेवल के अवॉर्ड जीत चुके हैं। उन्हें पांच जिला व उप मंडल स्तर के पुरस्कारों भी मिल चुके हैं। गर्म इलाकों में सेब क्रांति के जनक हरिमन शर्मा दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन की बगिया में भी यह सेब अपनी महक बिखेर रहा है। महाराष्ट्र के नागपुर में दो हजार पौधे तैयार किए हैं, जबकि पूरे महाराष्ट्र में एचआरएमएन-99 वैरायटी के डेढ़ लाख पौधे महक रहे हैं। देश के 29 राज्यों में उनका सेब की किस्म की पैदावार हो रही है। बिलासपुर में पनियाला में उगा रहे बड़ी नर्सरी बिलासपुर जिला के घुमारवीं क्षेत्र में पनियाला नामक स्थान पर उनकी सेब की एक बड़ी नर्सरी है, जहां सेब के पौधे उगाए जा रहे हैं। वह नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन गांधीनगर गुजरात के साथ संबद्ध हैं और वह अपने पौधे इस फाउंडेशन के माध्यम से डिमांड के अनुरूप राज्यों को भेजते हैं। PM मोदी के गोद लिए गांव में भी सेब उगा रहे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गोद लिए बनारस के जयपुरा गांव में भी हरिमन सेब के 500 पौधों की खेती कर रहे हैं, ताकि क्षेत्र के किसानों को भी सेब की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। हरिमन के अनुसार, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और आसाम में 1.25 लाख पौधे बांटे गए हैं। पौधे वितरण का कार्य विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से किया गया है। 1999 में सेब की नई किस्म पर रिसर्च शुरू की हरिमन ने बताया कि उन्होंने साल 1999 में नई किस्म पर रिसर्च शुरू की। उन्हें सातवें साल यानी 2006 में सफलता मिली। उस समय कोई भी उनका विश्वास नहीं करता था। साल 2007 में सेब व आम के फल तत्कालीन मुख्यमंत्री को सचिवालय में भेंट किए। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बागवानी अधिकारियों की मीटिंग ली। इसमें सबको बताया कि गर्म क्षेत्रों में भी सेब पैदा हो रही है। गलासी गांव में जन्मे हरिमन हरिमन शर्मा का जन्म 4 अप्रैल 1956 को बिलासपुर घुमारवी के गलासीं गांव में हुआ। जब वह तीन दिन के थे तो उनकी माता का निधन हो गया। इसके बाद पनियाला निवासी रिडकु राम ने इन्हें गोद लिया और पालन-पोषण किया। सेब के साथ वे इन दिनों एवोकाडो लगाने का काम कर रहे हैं। इस पर ओर तेजी से काम किया जाएगा, क्योंकि यह फल काफी महंगा होता है और लोगों की पहुंच से दूर है।

हिमाचल के सेब बागवान हरिमन को मिलेगा पद्मश्री
केंद्रीय सरकार द्वारा हाल ही में हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध सेब बागवान हरिमन को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण मान्यता है जिन्होंने सेब उत्पादन के क्षेत्र में अपनी मेहनत और नवाचार के जरिए क्रांति लाई है।
हरिमन: सेब क्रांति के जनक
हरिमन के अत्याधुनिक कृषि उपायों और अनुसंधान ने न केवल हिमाचल में बल्कि पूरे देश में सेब की खेती को नया आकार दिया है। गर्म इलाकों में सेब उत्पादन को बढ़ाने के लिए एचआरएमएन-99 वेरायटी को विकसित करना उनकी अत्यधिक महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। यह वेरायटी भारतीय जलवायु के अनुकूल है और सेब की गुणवत्ता में सुधार लाती है।
गर्म क्षेत्रों में सेब की खेती
हरिमन की मेहनत से यह सिद्ध हो गया है कि सेब केवल ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है। उनकी तकनीक और रणनीतियां गर्म इलाकों में भी सेब की सफलतापूर्वक खेती की संभावनाओं को दर्शाती हैं। इससे किसानों को लाभ मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
पद्मश्री पुरस्कार की महत्वता
पद्मश्री पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला एक प्रमुख सम्मान है, जो स्वतंत्रता संग्राम से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता की पहचान करता है। हरिमन का यह सम्मान उनकी व्यापक मेहनत, लगन, और सेब खेती में उनके द्वारा किए गए नवाचार का प्रतिफल है। यह पुरस्कार न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि समस्त बागवान समुदाय के लिए भी गर्व का विषय है।
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