हिमाचल चीफ इंजीनियर मौत मामला:FIR के बाद भी डायरेक्टर पर्सनल का तबादला नहीं; परिजनों को सबूतों से छेड़छाड़ का डर
हिमाचल सरकार ने चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत मामले में IAS एवं MD पावर कॉरपोरेशन हरिकेश मीणा को हटाकर लंबी छुट्टी पर भेज दिया है। डायरेक्टर (इलेक्ट्रिकल) देसराज को सस्पेंड किया गया। मगर, डायरेक्टर (पर्सनल) एवं IAS शिवम प्रताप को अभी भी पावर कॉरपोरेशन से नहीं बदला गया। निष्पक्ष जांच के लिए शिवम प्रताप को भी ट्रांसफर करने की मांग उठ रही है, क्योंकि विमल नेगी के परिजनों ने शिवम प्रताप पर भी प्रताड़ना के आरोप लगाए है। इसके बाद न्यू पुलिस थाना में शिवम प्रताप के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, लेकिन सरकार ने अब तक उन्हें पावर कॉरपोरेशन दफ्तर से दूसरी जगह ट्रांसफर नहीं किया। विमल नेगी के परिजनों को आशंका है कि रिकॉर्ड व सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। इससे जांच प्रभावित हो सकती है। पावर कॉरपोरेशन कर्मचारी भी इसे लेकर अंदरखाते सवाल उठा रहे हैं। शिवम प्रताप को किया जाए ट्रांसफर: सुरेंद्र नेगी विमल नेगी के भाई सुरेंद्र नेगी ने प्रदेश सरकार से शिवम प्रताप को जल्द पावर कॉरपोरेशन से ट्रांसफर करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि शिव प्रताप का रवैये भी उनके भाई के साथ ठीक नहीं था। इसलिए शिवम प्रताप को पावर कॉरपोरेशन दफ्तर में ड्यूटी जॉइन न करने दी जाए। ऐसा करने से सबूतों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है। सरकार ने ACS को सौंपी जांच वहीं राज्य सरकार ने विमल नेगी मौत मामले की जांच अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को सौंपी है। उन्हें 15 दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस बीच पुलिस ने भी एमडी और दो डायरेक्टर के खिलाफ एफआईआर कर दी है। 10 कर्मचारियों से पूछताछ कर चुकी पुलिस पुलिस को अब इस मामले में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है। इसके आधार पर पुलिस जांच तेज होगी। बीते कल और आज पुलिस ने 10 से ज्यादा पावर कॉरपोरेशन कर्मचारियों के बयान कलमबद्ध कर दिए है, क्योंकि मृतक के परिजनों ने पावर कॉरपोरेशन अधिकारियों पर विमल नेगी की प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए है। पुलिस ने इस दिशा में जांच तेज कर दी है।

हिमाचल चीफ इंजीनियर मौत मामला: FIR के बाद भी डायरेक्टर पर्सनल का तबादला नहीं; परिजनों को सबूतों से छेड़छाड़ का डर
हिमाचल प्रदेश में चीफ इंजीनियर की संदिग्ध मौत ने समूचे राज्य में हलचल मचा दी है। इस मामले में FIR दर्ज होने के बाद भी, संबंधित डायरेक्टर पर्सनल का तबादला नहीं किया गया है, जिससे प्रश्न उठ रहे हैं कि क्या जांच निष्पक्ष है? इसके साथ ही, परिजनों ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ होने की आशंका व्यक्त की है, जिससे मामला अधिक पेचीदा होता जा रहा है।
मामले की पृष्ठभूमि
हिमाचल प्रदेश के चीफ इंजीनियर का निधन हाल ही में हुआ, और इसके बाद ही उनकी मौत को संदिग्ध मानते हुए FIR दर्ज की गई। प्रारंभिक जांच में कुछ अनियमितताओं के संकेत मिले हैं। ऐसे में, परिवार का मानना है कि महत्वपूर्ण साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है, जो पूरी जांच को प्रभावित कर सकती है।
डायरेक्टर पर्सनल की स्थिति
ध्यान देने वाली बात यह है कि FIR के बावजूद डायरेक्टर पर्सनल का तबादला नहीं किया गया है, जिसने सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या उच्च अधिकारियों को इस मामले में कुछ छुपाने का डर है? इस पर भी विचार किया जाना चाहिए। राज्य की विधायिका को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
परिजनों की चिंताएं
परिजनों ने आशंका जताई है कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है, जो न्याय की प्रक्रिया के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। मृतक के परिवार ने सरकार से अपील की है कि वे मामले की गहराई से जांच करें और उचित कार्रवाई सुनिश्चित करें।
इसके अलावा, इस मामले में प्रशासनिक सफाई की भी मांग की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी अनियमितताएं सामने न आएं। इसके लिए नागरिकों को भी जागरूक रहना जरूरी है।
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश में चीफ इंजीनियर की मौत का यह मामला न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि समाज में न्याय की भावना को भी चुनौती देता है। यह आवश्यक है कि सभी संबंधित जांचों को साफ और पारदर्शी तरीके से अंजाम दिया जाए। प्रदेशवासियों को इस मामले पर बारीकी से नजर रखनी होगी और उच्च अधिकारियों से जवाबदेही की मांग करनी होगी।
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