हिमाचल चीफ सेक्रेटरी ने दी पार्टी, बिल सरकार से मांगा:शिमला के होटल में पत्नी-बच्चों संग आए थे 75 अफसर; रिटायर्ड IAS बोले- खुद भरना चाहिए
हिमाचल प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी प्रबोध सक्सेना IAS अफसरों को होली पर लंच पार्टी देने से सुर्खियों में आ गए हैं। चीफ सेक्रेटरी ने होली (14 मार्च) के दिन अफसरों के लिए शिमला के होटल हॉलिडे होम (HHH) में लंच पार्टी दी। इसमें लगभग 75 अफसर, उनकी पत्नियां व बच्चे शामिल हुए। अब इस पार्टी के बिल को प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) को भेज दिया गया। होटल प्रबंधन ने भुगतान के लिए इसका बिल GAD सेक्रेटरी को भेज रखा है। अब सरकार के स्तर पर बिल के भुगतान की प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है। GAD को भेजे इस बिल के मुताबिक 75 अफसरों, उनकी पत्नियों व बच्चों को लंच और स्नैक्स परोसे गए। प्रति प्लेट 1000 रुपए का बिल आता है। इसी तरह, 22 ड्राइवर के लंच व स्नैक्स और टैक्सी चार्जेज को जोड़कर कुल मिलाकर 1 लाख 22 हजार 20 रुपए का बिल सरकार को दे दिया गया। वहीं चीफ सेक्रेटरी प्रबोध सक्सेना ने इस बारे में कहा कि गवर्नर, राज्यपाल और मुख्य सचिव ऐसी पार्टी का आयोजन कर सकते हैं। पहले भी ऐसा होता रहा है। इन पार्टी में बाहर के लोग भी आते हैं। सरकार को भेजी बिल की कॉपी... पूर्व IAS अधिकारी बोले- अफसर यदि पार्टी दें तो पेमेंट भी खुद करनी चाहिए हिमाचल के पूर्व IAS अधिकारी दीपक सानन ने बताया कि इस तरह की परंपरा पहले नहीं थी। अब मानक पहले जैसे नहीं रहे। यदि कोई अफसर पार्टी देता है, तो बिल भी उसे ही भरना चाहिए। सरकारी खजाने पर ऐसे बिलों का बोझ डालना सही नहीं है। सरकारी खजाने से इस तरह के बिलों के भुगतान का कोई प्रावधान नहीं है। हिमाचल के रिटायर चीफ सेक्रेटरी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया हिमाचल के एक रिटायर चीफ सेक्रेटरी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। न ही नियमों में ऐसा प्रावधान है। रिटायर IAS ने बताया कि मुख्य सचिव द्वारा होली पर दी गई पार्टी में कुछ प्राइवेट लोग भी देखे गए। अब इसका बिल सरकारी खजाने से भरना दुर्भाग्यपूर्ण है। सक्सेना को मिली 6 महीने की एक्सटेंशन प्रबोध सक्सेना बीते 28 मार्च को रिटायर होने वाले थे। केंद्रीय कार्मिक विभाग ने इससे पहले ही उन्हें 6 माह की एक्सटेंशन दी है। हिमाचल में पहली बार किसी अधिकारी को चीफ सेक्रेटरी पद पर एक्सटेंशन मिली है। अब वह 30 सितंबर तक राज्य की अफसरशाही के मुखिया बने रहेंगे। पूर्व रेरा चेयरमैन भी लाखों का सेब सरकारी खजाने से बांट चुके इससे पहले हिमाचल प्रदेश रियल एस्टेट डेवलपमेंट अथॉरिटी (रेरा) के पूर्व चेयरमैन डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने भी देशभर के IAS-IPS मित्रों को सरकारी खजाने से 5 लाख रुपए से ज्यादा का सेब बांट चुके हैं। यह सेब राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों के अफसरों को बांटा गया था, जबकि सरकारी कोष से सेब बांटने का भी नियमों में कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि इस मामले की शिकायत पूर्व डिप्टी एडवोकेट जनरल विनय शर्मा ने विजिलेंस से की थी। मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।

हिमाचल चीफ सेक्रेटरी ने दी पार्टी, बिल सरकार से मांगा
शिमला में हाल ही में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में, हिमाचल प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी ने एक भव्य पार्टी का आयोजन किया। इस पार्टी में 75 अधिकारी अपने परिवारों के साथ शामिल हुए, जिसमें उनकी पत्नियाँ और बच्चे भी मौजूद थे। यह कार्यक्रम शिमला के एक निजी होटल में आयोजित किया गया, जिसने काफी सुर्खियाँ बटोरीं। कार्यक्रम के बाद, रिटायर्ड IAS अधिकारियों का मानना था कि इस खर्च का बिल सरकार से मांगने की बजाय, अधिकारियों को खुद भुगतान करना चाहिए।
समारोह का महत्व और प्रतिक्रिया
इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल सरकारी अधिकारियों के बीच एकजुटता और सौहार्द बढ़ाना था, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना था कि सभी अधिकारी अपने परिवार के साथ समय बिता सकें। हालांकि, इस पार्टी के आयोजन के बाद विभिन्न प्रतिक्रियाएँ मिलीं। कुछ लोगों ने इसे सकारात्मक पहल माना, जबकि कुछ ने इसे सरकारी खर्च में बेतरतीबी करार दिया। रिटायर्ड IAS अधिकारियों का मानना है कि ऐसे समारोहों पर खर्च को व्यक्तिगत स्तर पर उठाना चाहिए, बजाय इसके कि सरकारी खजाने का दुरुपयोग हो।
बिल का विवाद और नीति निर्धारण
जबकि कार्यक्रम खूबसूरती से आयोजित किया गया था, अब सवाल यह उठता है कि इस प्रकार की पार्टियाँ सरकारी धन पर कितनी अनुचित हैं। क्या सरकारी अधिकारियों को अपने व्यक्तिगत खर्चों के लिए सरकारी कोष का उपयोग करना चाहिए? इस मुद्दे पर बहस जारी रहेगी और कई अधिकारियों ने अपनी असहमति व्यक्त की है। उन्हें लगता है कि ऐसा करना न केवल अनुचित है, बल्कि भारतीय प्रशासन में नैतिकता के विपरीत भी है।
इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करते हुए, समाज के विभिन्न वर्गों से इस घटना की प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ लोगों ने तर्क किया कि ये कार्यक्रम एक आवश्यकता हैं, ताकि अधिकारी अपने आपसी संबंधों को मजबूत कर सकें, वहीं कुछ लोगों ने इसे एक अनावश्यक विलासिता करार दिया।
समाज का यह मंथन और टिप्पणियाँ भारतीय प्रशासनिक नीति में बदलाव की दिशा में एक नया दृष्टिकोण प्रदान कर सकती हैं। इसके अलावा, यह भी जरूरी है कि अधिकारियों की जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के प्रति एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है, ताकि ऐसे विवाद उत्पन्न न हों।
समापन में, इस घटना ने सभी को एक महत्वपूर्ण प्रश्न पर विचार करने पर मजबूर किया है कि क्या सरकारी खजाना ऐसे व्यक्तिगत समारोहों के लिए सही उपयोग किया जाना चाहिए। इसके कई पहलू हैं, जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए। समाचार की अधिक विस्तृत जानकारी और स्थिति के लिए 'News by indiatwoday.com' पर जाएं। Keywords: हिमाचल चीफ सेक्रेटरी पार्टी, शिमला होटल में अधिकारी, रिटायर्ड IAS अधिकारियों की राय, सरकारी खर्च का विवाद, अधिकारियों का पारिवारिक समारोह, सरकारी धन का सही उपयोग, प्रशासनिक नैतिकता, हिमाचल के अधिकारी, सरकारी नीति में बदलाव, निजी समारोहों के लिए सरकारी खजाना
What's Your Reaction?






