हिमाचल में 10 दिन से 4000 पटवारी-कानूनगो स्ट्राइक पर:स्टेट कैडर बनाने से नाराज, 39 प्रकार की सेवाएं ठप; सरकार झुकने को तैयार नहीं
हिमाचल प्रदेश में 4 हजार से ज्यादा पटवारी कानूनगो 10 दिन से हड़ताल पर हैं। राज्य सरकार भी इनके आगे नहीं झुक रही। पटवारी कानूनगो भी मांगे माने बगैर काम पर लौटने को तैयार नहीं हैं। इससे रोजाना हजारों लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश के पटवार और कानूनगो सर्किल दफ्तरों में 25 फरवरी से ताले लटके हुए हैं। इससे राजस्व विभाग के माध्यम से मिलने वाली 39 तरह की सेवाएं लोगों को नहीं मिल रही। छात्रों को विभिन्न प्रकार के सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहे। इससे बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं, काउंसलिंग और एडमिशन में भाग नहीं ले पा रहे। छात्रों को नहीं मिल रहे ये प्रमाण पत्र गौरतलब है कि काउंसलिंग, एडमिशन और अलग-अलग पेपर के लिए हिमाचली बोनाफाइड, इनकम, लैंड-लेस, जाति प्रमाण पत्र, ओबीसी जैसे सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। मगर पटवारी-कानूनगो के स्ट्राइक पर जाने से बच्चों को ये सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहे। स्टेट कैडर बनाए जाने से पटवारी-कानूनगो नाराज बता दें कि पटवारी-कानूनगो स्टेट कैडर बनाए जाने से नाराज हैं, क्योंकि जब इनकी भर्ती हुई थी तब इनके भर्ती एवं पदोन्नति नियम जिला कैडर के थे। राज्य सरकार ने अब इन्हें स्टेट कैडर बनाया है। इसी तरह पटवारी-कानूनगो सभी दफ्तरों में बिजली, पानी, कंप्यूटर, वाइफाई जैसी मूलभूत सुविधाएं मांग रहे हैं। कैडर स्ट्रैंथ के हिसाब से प्रमोशन मिले पटवारी-कानूनगो एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश चौधरी ने बताया कि पटवारी-कानूनगो पदोन्नति में भेदभाव को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। पटवारी-कानूनगो को अभी 60% प्रमोशन अवसर मिल रहे है, जबकि मिनिस्ट्रियल स्टाफ को 120% पदोन्नति के अवसर मिल रहे हैं। उन्होंने प्रमोशन कैडर स्ट्रैंथ के हिसाब से देने की मांग की। उन्होंने बताया कि जब तक उनकी मांगे नहीं मान ली जाती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। 39 प्रकार की सेवाएं प्रभावित हो रही राजस्व विभाग के माध्यम से मिलने वाली 39 प्रकार की सेवाएं आज ठप पड़ी है। इनकी हड़ताल से रजिस्ट्री, डिमार्केशन, इंतकाल, तकसीम, गिरदावरी और बैंक की केसीसी रिपोर्ट के अलावा विभिन्न प्रकार के सर्टिफिकेट जैसी सेवाएं नहीं मिल पा रही है। पहले भी हड़ताल कर चुके राज्य सरकार ने बीते साल पटवारी-कानूनगो को स्टेट कैडर में डालने का फैसला लिया था। तब भी हिमाचल संयुक्त पटवार एवं कानूनगो संघ ने एक सप्ताह से अधिक समय तक अनिश्चितकालीन हड़ताल की थी। सरकार के आश्वासन पर इन्होंने अपनी हड़ताल को खत्म किया था। स्टेट कैडर बनाने से क्या असर राज्य सरकार द्वारा पटवारी और कानून को स्टेट कैडर बनाने के बाद अब इनकी ट्रांसफर जिला से बाहर राज्य में कहीं भी की जा सकेगी, जबकि जिला कैडर में जिला से बाहर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।

हिमाचल में 10 दिन से 4000 पटवारी-कानूनगो स्ट्राइक पर
हिमाचल प्रदेश में पटवारी और कानूनगो कर्मचारी 10 दिन से जारी हड़ताल के चलते राज्य की 39 प्रकार की सेवाएं ठप हैं। कर्मचारी स्टेट कैडर बनाने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। इस संगठित हड़ताल ने राज्य की प्रशासनिक शक्तियों को कमजोर कर दिया है, जिससे कई सरकारी कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
पटवारी-कानूनगो की मांगें
पटवारी और कानूनगो कर्मचारी राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनके लिए एक समर्पित स्टेट कैडर बनाया जाए। उनका कहना है कि बिना स्टेट कैडर के उनकी नौकरी की स्थिरता और पहचान को खतरा है। वे सभी कार्यों को बिना किसी रुकावट के करने का दावा कर रहे हैं।
सरकार की स्थिति
हालांकि, राज्य सरकार अभी तक कर्मचारियों की मांगों के आगे झुकने के लिए तैयार नहीं दिख रही है। अधिकारी इस मुद्दे पर रणनीति बनाते हुए स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हड़ताल का असर साफ देखा जा सकता है।
सामाजिक प्रभाव
इस हड़ताल के चलते आम लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। भूमि सुधार, विक्रय प्रमाण पत्र तथा अन्य जरूरी सेवाएं बंद हैं, जिससे नागरिकों में असंतोष बढ़ रहा है। सरकार को ऐसे मामलों में तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
समापन विचार
अंत में, यह कहा जा सकता है कि अगर कर्मचारियों की मांगों को नजरअंदाज किया गया तो यह संघर्ष और भी बढ़ सकता है। लोगों की अपेक्षाएँ पूरी करने के लिए प्रशासन को जल्दी ही कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
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